गोपालगंज में धार्मिक जुलूस के दौरान दो पक्षों में हुई पत्थरबाजी, एसडीपीओ ने लगाए धार्मिक नारे
बिहार के गोपालगंज जिले के हथुआ अनुमंडल में एक धार्मिक जुलूस निकाले जाने के दौरान दो गुटों के बीच रविवार एक अक्टूबर को झड़प हो गई है। इस दौरान दोनों गुटों के बीच एक-दूसरे पर जमकर पत्थरबाजी भी हुई है। इसकी तस्वीर और वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आए हैं।
इस जुलूस का एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है जिसमें दिख रहा है कि हथुआ अनुमंडल के अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी (एसडीपीओ) अनुराग कुमार खुद हाथ में माइक लेकर धार्मिक नारे लगा रहे हैं। वर्दी में एक पुलिस अधिकारी द्वारा जुलूस के साथ चलते हुए धार्मिक नारे लगाने का अपने तरह का यह पहला मामला बताया जा रहा है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक हथुआ थाना अंतर्गत महावीरी जुलूस अखाड़ा का आयोजन किया गया था। जुलूस जब चिकटोली स्थित मस्जिद के पास से गुजर रहा था तब दो समुदायों के बीच झड़प हो गई।
इस झड़प के बाद सोशल मीडिया पर सामने आए वीडियो में दिख रहा है कि दोनों ही तरफ से पत्थरबाजी हो रही है। इसके कारण मस्जिद परिसर और उसके सामने की सड़क पर जगह-जगह पत्थर बिखड़े पड़े दिख रहे हैं। सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि मस्जिद और जूलस पर पत्थरबाजी हुई है।
इस झड़प में दोनों ही तरफ के कुल 6 लोगों के घायल होने की बात कही जा रही है। हालांकि इस संख्या की आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई है। इस पत्थरबाजी के बाद दोनों ही गुटों के बीच स्थिति तनावपूर्ण हो गई थी। प्राप्त सूचना के मुताबिक अब स्थिति शांतिपूर्ण और नियंत्रण में है। इलाके में भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई है।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक जुलूस में शामिल लोगों की संख्या करीब 20 हजार थी। इनमें से बहुत से लोगों के पास लाठी,डंडे और अन्य हथियार भी थे। ऐसे में स्थिति और ज्यादा खराब हो सकती थी।
पुलिस अधिकारी के द्वारा धार्मिक नारे लगाने के बाद बिहार सरकार और पुलिस मुख्यालय ने इस पूरे मामले को संज्ञान में लिया है। बताया जा रहा है कि जांच के बाद आगे नियमानुसार कार्रवाई की जायेगी। पुलिस मुख्यालय ने गोपालगंज एसपी से इसकी जांच कर रिपोर्ट देने को कहा है।
इस बीच एसडीपीओ अनुराग कुमार का बयान सामने आया है। उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि भीड़ नियंत्रण के लिए और पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों - कर्मियों की सुरक्षा को देखते हुए मैंने नारा लगाया था।
उन्होंने कहा कि जुलूस को मस्जिद से आगे बढ़ाने के लिए ही मैंने नारा लगाया ताकि शांतिपूर्ण तरीके से स्थिति को संभाला जाए। हमारी कोशिश थी कि कोई अप्रिय घटना नहीं हो। ऐसा करने से भीड़ नियंत्रित होकर मस्जिद से आगे निकल गई। उन्होंने कहा कि भीड़ 20 से 30 हजार थी। ऐसे में उस समय की जो आवश्यकता थी वहीं मैंने किया।
गोपालगंज एसपी कार्यालय ने कहा होगी पूरे मामले की जांच
रविवार को हुई इस घटना के बाद गोपालगंज जिले के एसपी कार्यालय की ओर से सोशल मीडिया साइट एक्स पर जानकारी दी गई है कि एक अक्टूबर 2023 को को हथुआ थाना अंतर्गत महावीरी जुलूस अखाड़ा का आयोजन किया गया था जिसमे चिकटोली स्थित मस्जिद के पास दो समुदाय के बीच झड़प हुई थी।बताया गया है कि करीब 20,000 की संख्या में अखाड़ा के लोग थे जो काफी उग्र हो रहे थे। भीड़ नियंत्रण के लिए अखाड़े के माइक से ही अखाड़े के नारे को बोलते हुए मस्जिद के पास से उग्र भीड़ को निकालना और मस्जिद के साथ- साथ ही अन्य किसी भी प्रकार की दुर्घटना और अप्रिय घटना से दोनों समुदायों को बचाना पुलिस की पहली प्राथमिकता थी।
नाजुक स्थिति को देखते हुए एसडीपीओ हथुआ अनुराग कुमार के द्वारा यह नारा लगाया गया था। एसपी कार्यालय की ओर से जारी प्रेस रिलिज में कहा गया है कि पुलिस की वर्दी में धार्मिक नारे लगाना अनुचित प्रतीत होता है, पूरे मामले की जांच कराकर वरीय पदाधिकारी को सूचित किया जायेगा।
गोपालगंज एसपी कार्यालय की ओर से जारी प्रेस रिलिज में कहा गया है कि चिकटोली मोहल्ला स्थित मस्जिद के पास झड़प में दोनों तरफ से मामूली रूप से कुछ लोग जख्मी हुए हैं।
ड्रोन और अन्य कैमरा के माध्यम से प्राप्त फुटेज के आधार पर दोषियों की चिन्हित कर आगे की कारवाई की जा रही है।एहतियात के तौर पर तीन शिफ्ट में पुलिस बल - पदाधिकारी और मजिस्ट्रेट की प्रतिनियुक्ति की गई है और स्थिति शांतिपूर्ण है। शांति समिति की बैठक की गई है तथा फ्लैग मार्च किया जा रहा है।
गोपालगंज एसपी कार्यालय की ओर से जानकारी दी गई है कि फुटेज और मिली सूचना के आधार पर झंडा जुलूस पर पथराव करने वाले, मस्जिद की बैरिकेडिंग तोड़ने वाले, बिना अनुमति के डीजे आर्केस्ट्रा चलाने वाले, जुलूस के लाइसेंस की शर्तों के उलंघन के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई हैं।
दोनो पक्षों से चिन्हित कर 15-20 दोषियों को हिरासत में लिया गया है। कुछ दोषी गिरफ्तारी के भय से फरार चल रहे है, जल्द गिरफ्तारी की जायेगी।
जिनसे निष्पक्ष रहने की उम्मीद वे ही एक पक्ष का नारा लगाने लगे
ऐसे में बड़ा सवाल उठता है कि क्या पुलिस की संख्या इतनी कम थी कि एक पुलिस अधिकारी को जुलूस को खुश करने और शांति बनाए रखने के लिए धार्मिक नारे लगाने के लिए मजबूर होना पड़ा। पुलिस अधिकारी से उम्मीद की जाती है कि वे हर स्थिति में निष्पक्ष बने रहेंगे। खासतौर से धार्मिक जुलूस के दौरान जब दो पक्षों में स्थिति तनावपूर्ण हो गई हो तब निष्पक्षता की अधिक उम्मीद की जाती है।किसी एक पक्ष के नारे अगर पुलिस अधिकारी ही लगाने लगेंगे तो जनता का भरोसा पुलिस पर कैसे रहेगा। पुलिस अधिकारी द्वारा जुलूस के धार्मिक नारे लगाना पुलिस के तय आचरण के भी खिलाफ है।
सवाल यह भी उठता है कि पुलिस की तैनाती के बावजूद जुलूस पर पथराव हो जाता है। मस्जिद की बैरेकेडिंग तोड़ दी जाती है। बिना अनुमति के डीजे डीजे आर्केस्ट्रा चलाया जाता है। जुलूस के लाइसेंस की शर्तों का उलंघन होता है लेकिन इसे समय रहते क्यों नहीं रोका जा सका। ऐसे में पूरे मामले की निष्पक्ष जांच और दोषियों पर कार्रवाई होने से ही कानून पर लोगों का भरोसा कायम होगा।