मणिपुर सीएम के बाद एनडीए के 7 विधायक दिल्ली में क्यों? 

10:28 am Jun 29, 2024 | सत्य ब्यूरो

क्या मणिपुर में नेतृत्व परिवर्तन होगा? क्या मौजूदा मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को इस्तीफा देना होगा?  मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने इन अटकलों को अफवाह बताकर खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा है कि उनकी पार्टी और सहयोगी दलों के कुछ विधायक दिल्ली में हैं, लेकिन उन्होंने इस बात को खारिज कर दिया कि उनके दौरे का उनके इस्तीफे की अटकलों से कोई संबंध है। बीरेन सिंह की इस सफाई के बीच यह सवाल तो उठ ही रहा है कि आखिर संसद के मौजूदा सत्र के बीच वे दिल्ली में क्यों पहुँच गए?

मणिपुर के एनडीए विधायकों का एक समूह शुक्रवार को दिल्ली पहुंचा है। माना जा रहा है कि राज्य में चल रहे जातीय संघर्ष के समाधान के लिए केंद्रीय नेतृत्व पर दबाव बनाने के लिए यह समूह राजधानी में है। एक रिपोर्ट के अनुसार भाजपा और उसके सहयोगी नागा पीपुल्स फ्रंट के कम से कम सात विधायक शुक्रवार को राष्ट्रीय राजधानी पहुंचे। 

यह मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह द्वारा एनडीए विधायकों के साथ एक बैठक की अध्यक्षता करने के एक दिन बाद हुआ है। उस बैठक में 10 कुकी-ज़ोमी विधायक शामिल नहीं हुए थे। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा कि यह मणिपुर की मौजूदा स्थिति पर विचार-विमर्श करने के लिए था। उपस्थित लोगों में भाजपा, एनपीएफ, एनपीपी और जेडीयू के विधायक शामिल थे। अख़बार ने सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट दी है कि कई विधायकों ने संकट से निपटने के तरीके पर असंतोष व्यक्त किया और जनता से महसूस किए जा रहे दबाव से अवगत कराया। 

पिछले साल 3 मई को मणिपुर में हिंसा भड़की थी। मैतेई और कुकी समुदायों के बीच लंबे समय से चला आ रहा तनाव हिंसा में बदल गया था। शुरू के तीन दिनों में कम से कम 52 लोगों की जान चली गई थी। पिछले साल 3 मई को मणिपुर में पुरुषों की भीड़ द्वारा दो महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न और नग्न परेड कराने की घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया था। महिलाओं का एक वीडियो पिछले साल जुलाई में वायरल हुआ था। एक खेत की ओर जाते समय पुरुषों को महिलाओं को घसीटते और उनका यौन उत्पीड़न करते देखा गया था।

पिछले एक वर्ष के दौरान यहां जारी हिंसा में 226 लोग मारे जा चुके हैं। इसमें 20 महिलाएं और 8 बच्चे भी शामिल हैं। करीब 1500 घायल हुए हैं। वहीं 60 हजार लोग इस हिंसा के कारण राज्य के भीतर ही विस्थापित हुए हैं। इसके साथ ही 13247 आवास, दुकान, समेत अन्य संरचनाएं नष्ट हो गई हैं। 

मारे गए लोगों के अलावा करीब 28 लोग अब भी लापता हैं जिनके बारे में माना जा रहा है कि या तो उनका अपहरण हुआ है या उनकी हत्या कर दी गई है।

पिछले कुछ दिनों से ऐसी ख़बरें आ रही हैं कि बीरेन सिंह पर अपने ही कुछ विधायकों से भारी दबाव है। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार ख़बरें हैं कि भाजपा और उसके सहयोगी दलों नगा पीपुल्स फ्रंट यानी एनपीएफ, नेशनल पीपुल्स पार्टी यानी एनपीपी और जेडीयू के विधायकों का एक वर्ग मुख्यमंत्री के इस्तीफे पर दबाव बना रहा है। वेबसाइट ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि 2017 में बीरेन सिंह के मुख्यमंत्री बनने के बाद से भाजपा नेतृत्व को उनकी जगह किसी और को लाने के लिए मनाने की कई बार कोशिशें की गईं और पिछले साल 3 मई को जातीय हिंसा भड़कने के बाद इसमें तेजी आई।

बहरहाल, शुक्रवार को दिल्ली पहुंचे भाजपा विधायकों में से एक के इबोमचा सिंह ने कहा है कि विधायक केंद्रीय नेतृत्व से शिष्टाचार भेंट करने आए थे। अंग्रेजी अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा, 'कल हमने मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में एनडीए विधायकों की एक बैठक की थी, और उसमें हमने प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और अन्य वरिष्ठ नेताओं से शिष्टाचार भेंट के रूप में मिलने और राज्य में समस्या का सम्मानजनक समाधान लाने के लिए एक नया अनुरोध दर्ज करने का निर्णय लिया। कुछ अन्य लोग कल (शनिवार को) आएंगे।'

उन्होंने कहा, 'मणिपुर का मुद्दा नई केंद्र सरकार के 100 दिन के कार्यक्रम में शामिल है, इसलिए हमने इसका समाधान निकालने के लिए केंद्रीय नेताओं से बात करने का फ़ैसला किया है, क्योंकि यह प्राथमिकता सूची में शामिल है।' विधायकों के दिल्ली आने से अटकलें लगाई जा रही हैं कि क्या राज्य सरकार के लिए कोई मुश्किल खड़ी हो रही है। हालाँकि, मुख्यमंत्री ने इसे खारिज करते हुए कहा कि इसका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने भी इसे प्रधानमंत्री से शिष्टाचार भेंट बताया।

बता दें कि मणिपुर विधानसभा में 60 विधायक हैं, जिनमें से 10 कुकी-ज़ोमी समुदाय से हैं। इनमें एनडीए के आठ शामिल हैं, जो हिंसा भड़कने के बाद से विधानसभा में भाग नहीं ले रहे हैं। अन्य 50 विधायकों में से केवल पांच विपक्षी कांग्रेस के हैं और दो निर्दलीय विधायक हैं, जबकि बाकी एनडीए के साथ हैं। भाजपा ने 2022 में 60 विधानसभा सीटों में से 32 सीटें जीती थीं, लेकिन उस साल बाद में जेडीयू के पांच विधायक भाजपा में शामिल हो गए थे।