बी बी सी के दफ़्तर से इनकम टैक्स के अधिकारी निकलचुके हैं। छापे की कार्रवाई पूरी करके जिसे वे सर्वेकहलाना चाहते हैं। चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे के गुटको असली शिव सेना का नाम और उसका चुनाव चिह्न भीसौंप दिया है। सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली नगरपालिकाके मेयर के चुनाव में उप राज्यपाल के द्वारा नामित सदस्योंके मत देने की जिद को ठुकरा दिया है। गौतम अदाणी परअमरीकी संस्था हिंडनबर्ग के घोटाले के आरोप से जुड़ेमसले की जाँच के लिए सरकार द्वारा बंद लिफ़ाफ़े में दिएगए नाम लेने से सर्वोच्च न्यायालय ने इंकार कर दिया है।
कर्नाटक के भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख ने टीपू सुल्तान को माननेवालों और उनमें भी कॉंग्रेस पार्टी के नेता सिद्धारमैया का सफ़ाया करने का आह्वान किया है। भारत के गृह मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के दूसरे सबसे ताकतवर नेता अमित शाह ने कर्नाटक के लोगों को उनके पड़ोसी केरल से सावधान किया है। वे इससे अधिक कुछ नहीं कहना चाहते थे कि कर्नाटक के लोगों को याद रखना चाहिए कि बग़ल में केरल है। उसका मतलब कर्नाटक के लोगों को समझ जाना चाहिए और अपनी सुरक्षा के लिए भाजपा को सत्ता दे देनी चाहिए। असम के मुख्यमंत्री ने बाल विवाह को रोकने के लिए गिरफ़्तारी अभियान का हमला बोल दिया है और हज़ारों औरतों और पुरुषों को जेल भेज दिया है।
जब भारत और दुनिया में हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर बहस चल रही थी और हमारे विश्लेषक जनतंत्र के लिए कुछ उम्मीद देख रहे थे, उसी समय कानपुर के एक इलाक़े में बुलडोज़र ने एक घर ढाह दिया। बुलडोज़र कार्रवाई के वक्त ही घर के क़रीब झोपड़ी में आग लग गई और उसमें सोई माँ बेटी आग में भस्म हो गईं। आग में जलती माँ बेटी से बेपरवाह बुलडोज़र चलता रहा। इस बार बुलडोज़र का शिकार परिवार मुसलमान न था:हिंदू ,उसमें भी ब्राह्मण था।बुलडोज़र का यह इस्तेमाल बुरा है, यह पहली बार हिंदुओं ने सोचा और कहा भी। पहली बार कुछ टी वी वालों ने माना कि सरकार या अधिकारी बुलडोज़र का इस्तेमाल किसी को सज़ा देने के लिए नहीं कर सकते। अगर कोई अपराध भी है तो उसकी सज़ा तक पहुँचने की प्रक्रिया है। उस प्रक्रिया को विकृत नहीं किया जाना चाहिए।
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पिछले दो साल तक मीडिया के यही मंच मुसलमानों पर बुलडोज़र चलते देख जश्न मना रहे थे। जो हो, अगर इस घटना से भी बुलडोज़रवादी इंसाफ़ पर बात शुरू हो तो भी बुरा नहीं है। लेकिन यह खबर कुछ वक्त बाद ही अख़बारों, मीडिया से ग़ायब हो गई लगती है। कश्मीर में बुलडोज़र घर ढाह रहे हैं। उसका कहीं कोई विरोध नहीं है। वह इसलिए कि हमें लगता है कि वहाँ बुलडोज़र मुसलमानों के घर ही तोड़ रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में भी बुलडोज़रवादी इंसाफ़ का विरोध इस वक्त सिर्फ़ ब्राह्मण कर रहे हैं क्योंकि कानपुर में उसका शिकार परिवार ब्राह्मणों का है। लेकिन इसने लोगों को कुछ हिलाया। कॉंग्रेस पार्टी ने भी इसके ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन किए।
अभी इस खबर की स्याही सूखी भी न थी कि राजस्थान के भरतपुर के दो मुसलमान नौजवानों, जुनैद और नासिर के उनकी गाड़ी के साथ जलाकर मार दिए जाने की खबरआई। उनका अपहरण करके हरियाणा में उन्हें जलाकर मार डाला गया, ऐसा उनके परिजन और ग्रामीणों का इल्ज़ाम है।जली हुई गाड़ी में उनके कंकाल ही पाए गए।पुलिस इसे दुर्घटना बतलाकर रफ़ा दफ़ा करना चाहती थी लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि उनका अपहरण करके दूर जाकर जाकर उन्हें जलाकर मारा गया।
जिस पर इस हत्या का आरोप है, वह मोनू मानेसर ख़ुद ही इसके पहले हिंसा की कई वारदातों में अपनी शिरकत की शान बघारता रहा है। मुसलमानों को मारते हुए, उनके साथ तरह तरह की हिंसा करते हुए वह अपने वीडियो ख़ुद प्रसारित करता रहा है। उसके चाहने वालों की संख्या लाखों में है। उसने यू ट्यूब पर ऐसे वीडियो प्रकाशित किए हैं जिनमें वह तथाकथित गो तस्करों की गाड़ियों का पीछा कर रहा है,उन पर गोली चला रहा है। मुसलमानों को पीटते हुए, उन पर गोली चलाते हुए उसके वीडियो लोकप्रिय हैं।मोनू मानेसर और बड़े पुलिस और सिविल अधिकारियों की दोस्ताना तस्वीरें उसके फ़ेसबुक पेज पर देखी जा सकतीहैं।
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देश के ग़द्दारों को गोली मारने का आह्वान करने वाले मंत्री अनुराग ठाकुर और 2002 में गुजरात में ‘दंगाइयों’ को सबक सिखाकर राज्य स्थायी शांति पैदा करनेवाले अमित शाह जैसे नेताओं के साथ मोनू मानेसर की तस्वीरों को देखकर आज की सत्ता का चरित्र मालूम किया जा सकता है।
मोनू मानेसर उस रामगोपाल भक्त का मित्र है जिसने जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्रों पर गोली चलाईथी। अब वह ए के 47 और दूसरे हथियारों से लैस अंगरक्षकों के साथ घूमता दिखलाई पड़ता है। नासिर और जुनैद की हत्या के पहले मेवात में एक वारिस की हत्या कीगई।उसमें भी मोनू मानेसर आरोपी है।
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मोनू मानेसर ही आज का राज्य है।
जुनैद और नासिर की मौत के बाद पुलिस अधिकारी ने बयान दिया कि मारे गए लोगों पर पहले भी गो तस्करी के आरोप हैं और शायद इसी संदेह में उनकी हत्या कर दी गई है। यह बयान जुनैदऔर नासिर की हत्या को स्वाभाविक ठहराने का तर्क पेश कर रहा है। मानो ख़ुद उन्होंने अपनी हत्या का कारण जुटाया।
हरियाणा पुलिस मोनू मानेसर को सम्मानित करती हुई।
मोनू मानेसर फ़रार है। जो लोग कानपुर में माँ बेटी के जलने से दहल उठे थे,उनमें से अनेक जुनैद और नासिर के जलाकर मार डालने पर उन्हीं को इसके लिए ज़िम्मेदार ठहराते देखे जा सकते हैं। इन हत्याओं पर हरियाणा की सरकार का कोई बयान नहीं है। संघीय सरकार का तो कहना ही क्या! कानपुर की घटना पर विपक्षी दलों ने विरोध प्रदर्शन किया, इन हत्याओं पर वैसा कोई क्षोभ सार्वजनिक नहीं दिखलाई पड़ा।
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मोनू मानेसर के पक्ष में बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद ने बयान दिया है। स्पष्ट है कि वह उस बड़े हिंसक तंत्र का सदस्य है जो आज भारत पर क़ाबिज़ है। मोनू मानेसर ख़ुदब ख़ुद पैदा नहीं हुआ।
2014 के चुनाव के पहले नरेंद्र मोदी ने व्हाइट रिवोल्यूशन और पिंक रिवोल्यूशन का फ़र्क अपनी जनता को समझाया था। व्हाइट का मतलब दूध और पिंक का मतलब गोमाँस! आश्चर्य नहीं कि नरेंद्र मोदीनीत भाजपा की जीत को ‘पिंक रिवोल्यूशन’के ख़िलाफ़ अभियान की शुरुआत माना गया। दिल्ली के क़रीब दादरी में मोहम्मद इखलाक़ को उनके घर से खींचकर सड़क पर मार डाला गया। उस हत्या को भी जायज़ ठहराया गया यह कहकर कि उनके फ़्रिज़ में गोमाँस होने का शक था। बाद में उनकी हत्या के एक आरोपी की बीमारी से मौत के बादउसके शव को तिरंगे लपेटा गया और भाजपा के बड़े नेताओं ने उसे श्रद्धांजलि दी। झारखंड में अलीमुद्दीन अंसारी के हत्या के अभियुक्तों का भाजपा के नेता और संघीय सरकार मंत्री जयंत सिन्हा ने सार्वजनिक अभिनंदन किया।
इस प्रकार मुसलमानों के ख़िलाफ़ हिंसा और उनकी हत्या की एक राजकीय संस्कृति विकसित हुई। मोनू मानेसर उस संस्कृति का हिस्सा है। उसकी पैदाइश और उसे और आगे ले जानेवाला। यहाँ तक आते आते हम पूछ सकते हैं कि आख़िर इस टिप्पणी की शुरुआत से इस कथन का क्या संबंध। आख़िर मोनू मानेसर के छापों और आज की सरकार की एजेंसियों के छापों के बीच क्या रिश्ता हो सकता है?