भारतीय अर्थव्यवस्था से जुड़ी दिक्क़तें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। रोज नए-नए आँकड़े आ रहे हैं जो अर्थव्यवस्था की पहले से अधिक बदहाली की दास्तान सुनाते हैं। चालू वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी के -23.9 प्रतिशत तक गिरने की खबर आने के एक दिन बाद ही यह ख़बर आई है कि पूरे वित्तीय वर्ष के दौरान जीडीपी के 10.9 प्रतिशत गिरने की आशंका है।
भारतीय स्टेट बैंक के समूह प्रमुख आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने यह अनुमान लगाया है। पिछले साल इसी दौरान जीडीपी वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत थी।
आगे क्या होगा?
इकोनॉमिक टाइम्स की ख़बर के अनुसार, घोष ने एक नोट में कहा, 'पहली तिमाही में जीडीपी के 23.9 प्रतिशत गिरने के बाद सवाल उठता है कि बाकी के बची हुई तिमाहियों में विकास दर क्या रहेगी। अब यह साफ हो गया है कि दूसरी तिमाही में भी गिरावट दो अंकों में होगी।' सौम्य कांति घोष ने इसके आगे कहा,
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'हमारा शुरुआती अनुमान यह है कि पूरे साल में अर्थव्यवस्था में गिरावट दहाई में होगी और यह 10.9 प्रतिशत के आसपास हो सकती है।'
सौम्य कांति घोष, समूह प्रमुख आर्थिक सलाहकार, भारतीय स्टेट बैंक
निगेटिव ग्रोथ
स्टेट बैंक के इस अर्थशास्त्री ने यह भी कहा कि दुनिया के 60 देशों में सिर्फ चीन और वियतनाम की अर्थव्यवस्था ही सकारात्मक है यानी उनकी वृद्धि दर शून्य से ऊपर है। बाकी सब शून्य से नीचे हैं। लेकिन भारत के लिए अधिक चिेंता की बात यह है कि यह विकासशील देशों में सबसे नीचे है।
भारतीय अर्थव्यवस्था में एकमात्र कृषि ही वह क्षेत्र है, जहाँ वृद्धि दर सकारात्मक है, इस क्षेत्र में 3.4 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। बेहतर मानसून और अच्छी बुआई होने के कारण उम्मीद की जाती है कि यह विकास दर और आगे बढ़ेगी।
पहले से पता था?
दूसरी ओर यह भी सच है कि यह आकँड़ा अनपेक्षित इसलिए नहीं है कि पहले ही कई एजेन्सियों और यहां तक की रिज़र्व बैंक ने भी कहा था कि जीडीपी में गिरावट तो होगी ही, अर्थव्यवस्था सिकुड़ सकती है यानी शून्य से नीचे जा सकती है।दुनिया की मशहूर प्रबध सलाहकार कंपनी मैंकिजे ने कहा है कि चालू साल में भारत के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी में 3 प्रतिशत से 9 प्रतिशत तक की कमी हो सकती है।
इसके भी पहले जून महीने में भारत आई अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ़ की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने कहा था कि 2020-2021 के दौरान भारत की जीडीपी 1 प्रतिशत से थोड़ी तेज़ रफ़्तार से बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि यह बहुत मजबूत वृद्धि दर नहीं है, पर दूसरे कई देशों में भी ऐसा ही होने की संभावना है।