जैवलिन थ्रो कोच : ओलंपिक खिलाड़ियों को सही खुराक़ तक नहीं मिलती

01:46 pm Aug 08, 2021 | सत्य ब्यूरो

टोक्यो ओलंपिक 2020 में नीरज चोपड़ा को जैवलिन थ्रो में स्वर्ण पदक मिलने के बाद उनकी तारीफ तो सभी कर रहे हैं, पर सच तो यह है कि तैयारियों के लिए ओलंपिक के पहले तक भारत सरकार या उसकी एजेन्सियों से कोई ख़ास सहयोग उन्हें नहीं मिला था।

 उन्हें प्रशिक्षण के लिए स्पोट्स अथॉरिटी या एथलेटिक्स फ़डरेशन ने यूरोप नहीं भेजा था, न ही उन्हें कोई विशेष सुविधाएँ दी गई थीं। 

जैवलिन थ्रो के जर्मन कोच ऊवे हॉन ने टोक्यो ओलंपिक 2020 के पहले ही इसका खुलासा किया था। 

ऊवे हॉन ने 16 जून 2021 को 'इंडियन एक्सप्रेस' में छपी एक ख़बर में कहा था कि स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया और एथलेटिक्स फ़ेडरेशन ऑफ इंडिया ने ओलंपिक तैयारियों के काफी कुछ नहीं किया है। 

ऊवे हॉन अकेले व्यक्ति हैं जिन्होंने 100 मीटर से ज़्यादा दूर तक का जैवलिन फेंका है। वे पिछले साढे तीन साल से भारत में हैं और जैवलिन के कोच के तौर पर काम कर रहे हैं।

'उचित खुराक़ तक नहीं मिलती है'

उन्होंने कहा कि खिलाड़ियों के लिए सही प्रशिक्षण तो दूर, सटीक खुराक़ तक की व्यवस्था नहीं होती है। 

जर्मन कोच के मुताबिक टार्गेट ओलंपिक पोडियम स्कीम के तहत जिन खिलाड़ियों का चयन होता है, उन्हें भी उचित खुराक़ नहीं मिल पाती है। 

उन्होंने 'इंडियन एक्सप्रेस' से कहा,

कैंप और प्रतिस्पर्द्धा के अलावा जब हम अपने न्यूट्रिशनिस्ट के ज़रिए फ़ूड सप्लीमेंट की माँग करते हैं तो कई बार वह भी नहीं मिल पाता है। कुछ मिल जाता है तो लोग खुश हो जाते हैं।


ऊवे हॉन, कोच, जैवलिन थ्रो

विदेश में प्रशिक्षण?

उनका मानना है कि नीरज चोपड़ा जून के पहले हफ़्ते में प्रशिक्षण के लिए यूरोप जा पाए तो इसके पीछ जेएसडब्लू का वह कार्यक्रम है जिसके तहत वे कॉमनवेल्थ और एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक जीतने वालों की मदद करते हैं। 

उन्होंने 'इंडियन एक्सप्रेस' से कहा,

मैं पक्के तौर पर नहीं जानता कि नीरज यूरोप कैसे गए। पर मेरा अनुमान है कि जेएसडब्लू से संपर्क से ऐसा हुआ है। स्पोर्ट्स अथॉरिटी या एथेलिटक्स फेडरेशन ने तो निश्चय ही कुछ नहीं किया है।


ऊवे हॉन, कोच, जैवलिन थ्रो

यूरोप में प्रशिक्षण क्यों?

सरकार ने 100 मीटर से ज़्यादा दूर जैवलिन फेंकने वाले दुनिया के इस आदमी को ओलंपिक के लिए शिवपाल सिंह को प्रशिक्षित करने का काम दिया। 

उन्होंने 'इंडियन एक्सप्रेस' से कहा, 

पटियाला में तापमान बहुत ही ऊँचा रहता है और हम सिर्फ बहुत ही सुबह या शाम के छह बजे के बाद ही प्रैक्टिस कर सकते हैं। ऐसे में लंबे समय तक उत्साह बनाए रखना मुश्किल होता है।


ऊवे हॉन, कोच, जैवलिन थ्रो

नीरज चोपड़ा को टोक्यो ओलंपिक 2020 में जैवलिन थ्रो (भाला फेंक) में स्वर्ण पदक मिला है। ओलंपिक इतिहास में एथलेटिक्स में यह भारत का पहला सोना है। नीरज ने अपने पहले थ्रो में 87.03 मीटर दूर भाला फेंका। इसके बाद दूसरी कोशिश में 87.58 मीटर और तीसरे प्रयास में नीरज ने 76.79 मीटर दूर भाला फेंक कर सबको चौंका दिया। 

भारत को 13 साल बाद स्वर्ण पदक मिला है। नीरज की इस सफलता पर उन्हें तमाम राजनेताओं सहित आम लोगों ने बधाई दी है और हरियाणा सहित पूरे देश में जश्न का माहौल है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संदेश में लिखा है कि नीरज ने टोक्यो में इतिहास रच दिया है और उनकी इस उपलब्धि को हमेशा याद रखा जाएगा।