रैना के बाद हरभजन ने भी छोड़ा आईपीएल, क्या धोनी को भज्जी की कमी खलेगी?

06:00 pm Sep 05, 2020 | विमल कुमार - सत्य हिन्दी

सुरेश रैना के बाद एक और बेहद अनुभवी और सीनियर खिलाड़ी हरभजन सिंह ने चेन्नई सुपर किंग्स का साथ आईपीएल शुरू होने से पहले ही छोड़ दिया। बहरहाल, जितनी चर्चा रैना के बाहर होने पर हुई, उसकी 10 फीसदी भी हरभजन पर नहीं होगी। रैना की तरह हरभजन ने भी शुरुआत में निजी कारणों का हवाला दिया है और अपील की है कि उन्हें अकेले छोड़ दिया जाए। 

ऐसी ही अपील तो चेन्नई मैनेजमेंट ने भी की थी लेकिन उसके बाद एक के बाद एक करके सनसनीखेज खुलासे हुए और फिर लीपा-पोती हुई। किसी भारतीय क्रिकेटर के किसी टूर्नामेंट में नहीं खेलने के उदाहरण बहुत कम ही होंगे जबकि विदेशी खिलाड़ियों के लिए ये आम बात है। 

कोरोना का ख़तरा!

अगर यूएई में कोरोना के ख़तरे के चलते रैना या हरभजन सिंह नहीं खेलना चाहते हैं तो ये बात खिलाड़ी, फ्रैंचाइजी और बीसीसीआई साफ-साफ बता सकते हैं। इसके लिए किसी खिलाड़ी को दोष नहीं दिया जा सकता है क्योंकि बात भारत के लिए कोई अहम सीरीज़ या वर्ल्ड कप की नहीं बल्कि एक पेशवेर टूर्नामेंट में शिरकत करने की है। अब आप खुद ही देखिये कि कैसे श्रीलंका के लासिथ मलिंगा, ऑस्ट्रेलिया के केन रिचर्ड्सन और इंग्लैंड के जैसन रॉय ने पिछले कुछ दिनों में अलग-अलग कारणों के चलते आईपीएल में नहीं खेलने का फ़ैसला किया है।

बहरहाल, अहम सवाल यही है कि कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के लिए भज्जी का ना होना कितना बड़ा झटका है? हरभजन आईपीएल के इतिहास में सबसे ज़्यादा विकेट लेने वालों में तीसरे नंबर पर हैं। लेकिन धोनी के लिए वो विकेट लेने के बजाए मुश्किल लम्हों में रन रोकने वाले गेंदबाज़ की भूमिका निभाते थे। धोनी मैच के हालात के मुताबिक़ हरभजन को कभी पावरप्ले में नई गेंद थमा देते तो कभी मिडिल ओवर्स में उनका इस्तेमाल करते और कभी-कभी डेथ ओवर्स में भी। 

7.50 रन प्रति ओवर का इकॉनमी रेट रखने का इकलौता कमाल एक सीजन में नहीं बल्कि भज्जी ने 8 बार दिखाया है। ऐसे में उनका नहीं खेलना निश्चित रूप से चेन्नई के लिए बड़ा झटका है।

ऑफ़ स्पिनर की कमी

वैसे कहने को तो धोनी के पास रविंद्र जडेजा, मिचेल सैंटनर, पीयूष चावला और इमरान ताहिर के रूप में एक शानदार स्पिन चौकड़ी है लेकिन विविधता के नाम पर कोई भी वर्ल्ड क्लास ऑफ़ स्पिनर नहीं है। ऐसे में धोनी को अपने पार्ट टाइम ऑफ़ स्पिनर और चहेते केदार जाधव से काम चलाना पड़ सकता है। 

धोनी का भरोसा ख़ुद पर 

लेकिन, धोनी को ऐसी चुनौतियां निजी तौर पर काफी पसंद हैं। आपको याद है ना कैसे जब राहुल द्रविड़, सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली और ज़हीर ख़ान जैसे अनुभवी खिलाड़ियों ने 2007 टी20 वर्ल्ड कप के दौरान आराम करने का फ़ैसला किया तो क्या हुआ था? धोनी की रणनीति की ख़ासियत ही यही है कि वो कामयाबी के लिए किसी खिलाड़ी विशेष पर निर्भर नहीं रहते हैं। 

चेन्नई के स्थानीय और बेहद कामयाब स्पिनर रविचंद्रन अश्विन को छोड़ने में उन्होंने हिचकिचाहट नहीं दिखाई और मुंबई इंडियंस से करार नहीं मिलने पर हरभजन को चेन्नई में सस्ते कांट्रैक्ट में शामिल करने से भी नहीं हिचकिचाये। सीमित संसाधनों के साथ शानदार नतीजे हासिल करना धोनी का ब्लू-प्रिंट रहा है और शायद वो भज्जी की इस कमी को भी एक नए अवसर में बदल डालें। 

यूसुफ़ पठान को मिलेगा मौक़ा?

वैसे, विकल्प के तौर पर मध्य प्रदेश के ऑलराउंडर जलज सक्सेना का नाम भी चर्चा में आ रहा है। लेकिन, क्या धोनी सबको चौंकाते हुए यूसुफ़ पठान को टीम में बुला सकते हैं? एक तीर से दो शिकार का फ़ॉर्मूला? 

इससे रैना की जगह एक अनुभवी मिडिल ऑर्डर का बल्लेबाज़ और ज़रूरत पड़ने पर एक उपयोगी ऑफ स्पिनर मिल जाएगा। लेकिन पठान पिछले कुछ सालों से अपनी साख के साथ ना तो घरेलू क्रिकेट में और ना ही आईपीएल में न्याय कर पाये हैं लेकिन धोनी तो ऐसे ही खिलाड़ियों पर जुआ खेलने के लिए जाने जाते हैं! या फिर धोनी को कोई विकल्प ही नहीं चाहिए होगा। इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है!