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क्या धामी के मुख्यमंत्री बनने से कई बीजेपी विधायक नाराज़ हैं?

क्या धामी के मुख्यमंत्री बनने से कई बीजेपी विधायक नाराज़ हैं?

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के रूप में चुने गए पुष्कर सिंह धामी ने शपथ भी नहीं ली थी कि पार्टी में ही विरोध के स्वर की ख़बरें आने लगी थीं। कई विधायकों के नाराज़ होने की ख़बरें हैं। 

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के रूप में चुने गए पुष्कर सिंह धामी ने शपथ भी नहीं ली थी कि पार्टी में ही विरोध के स्वर की ख़बरें आने लगी थीं। कई विधायकों के नाराज़ होने की चर्चा है। कहा जा रहा है कि इसमें वे नेता नाराज़ हैं जो पार्टी में वरिष्ठ हैं। एक रिपोर्ट में तो कहा गया है कि पिछली तीरथ सिंह रावत और त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार में मंत्री इस फ़ैसले से असहमत बताए जा रहे हैं। तो सवाल है कि राज्य में जल्द ही कोई नया मुख्यमंत्री तो नहीं आएगा? हालाँकि, बीजेपी के प्रवक्ता ने इन ख़बरों को खारिज किया है और कहा है कि बीजेपी के सभी विधायक एकजुट हैं। 

ऐसी ख़बरें तब से आ रही हैं जब से पुष्कर सिंह धामी को राज्य में सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री बनाए जाने की ख़बर आई। कहा जा रहा है कि ऐसी नाराज़गी की एक वजह यह भी है कि धामी जिस कैबिनेट के मुखिया बने हैं, उसमें बहुत अनुभवी नेता शामिल हैं। इनमें बंशीधर भगत से लेकर सतपाल महाराज और बिशन सिंह चुफाल तक का नाम शामिल है। 

एक और कारण यह भी बताया जा रहा है कि नए मुख्यमंत्री के लिए त्रिवेंद्र और तीरथ सरकारों में कैबिनेट मंत्री रहे सतपाल महाराज व डॉ. हरक सिंह रावत के नाम भी चर्चा में थे। यानी इन दोनों नेताओं की भी कुछ न कुछ उम्मीदें तो होंगी ही। सतपाल महाराज और हरक सिंह रावत राज्य में कद्दावर नेता माने जाते हैं। सतपाल महाराज केंद्र में राज्य मंत्री रह चुके हैं, जबकि हरक सिंह रावत अविभाजित उत्तर प्रदेश में भी कैबिनेट मंत्री रहे थे। 

नये मुख्यमंत्री चुनने के लिए शनिवार को जो विधायक दल की बैठक हुई थी उसमें भी कुछ ऐसी ही ख़बरें आई थीं। 'दैनिक जागरण' की एक रिपोर्ट के अनुसार, 'विधायक दल की बैठक ख़त्म होने के तुरंत बाद ये (सतपाल महाराज और हरक सिंह रावत) प्रदेश बीजेपी कार्यालय से चले गए। इसे नेता चयन के मामले में नाराज़गी से जोड़कर देखा गया।' 

अख़बार ने ख़बर दी है कि इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने डॉ. हरक सिंह रावत व सतपाल महाराज को फोन भी किए। रिपोर्ट के अनुसार, हरक सिंह रावत ने उन्हें शाह का फोन आने की पुष्टि की, जबकि सतपाल महाराज से इसकी पुष्टि के लिए संपर्क नहीं हो पाया।

चर्चा है कि कुछ वरिष्ठ नेताओं और अन्य विधायकों को भी धामी के नेता चुने जाने का फ़ैसला रास नहीं आया है। 

ट्विटर पर तो एक वरिष्ठ पत्रकार ने ख़बर दी है कि सतपाल महाराज दिल्ली पहुँचे हैं। हालाँकि इस ख़बर की न तो आधिकारिक तौर पर और न ही दूसरे सूत्रों से पुष्टि की जा सकी है। 

बीजेपी ने ऐसी किसी भी नाराज़गी की रिपोर्टों को खारिज किया है। 'दैनिक जागरण' की रिपोर्ट के अनुसार, भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता मदन कौशिक ने बताया कि बीजेपी एक अनुशासित पार्टी है और कहीं भी किसी प्रकार की नाराज़गी का भाव नहीं है। उन्होंने कहा है कि सभी विधायक एकजुट हैं, युवा मुख्यमंत्री मिला है। 

उल्लेखनीय है कि देहरादून में शनिवार को बीजेपी विधायक दल की बैठक बुलाई गई थी और इसमें नए मुख्यमंत्री के रूप में धामी का चुनाव किया गया।

विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद  पुष्कर सिंह धामी पार्टी के नेताओं के साथ राज्यपाल से मिलने पहुँचे और उन्हें इस संबंध में पत्र सौंपा था। केंद्रीय पर्यवेक्षक के तौर पर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और डी. पुरंदेश्वरी बीजेपी विधायक दल की बैठक में मौजूद रहे। बैठक में बीजेपी के प्रदेश प्रभारी दुष्यंत गौतम व सह प्रभारी रेखा वर्मा भी मौजूद रहीं। 

इससे पहले तीरथ सिंह रावत ने शुक्रवार रात को राज्यपाल बेबी रानी मौर्य से मिलकर उन्हें अपना इस्तीफ़ा सौंप दिया था। तीरथ सिंह को तीन दिन पहले ही अचानक दिल्ली बुलाया गया था और इसके बाद से ही राज्य के अंदर उनके इस्तीफ़े की चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया था। 

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