बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को बड़ा एलान करते हुए कहा कि अगर 2024 में केंद्र की हुकूमत में गैर बीजेपी दलों की सरकार बनी तो सभी पिछड़े राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा दिया जाएगा।
कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्षी एकता की कोशिशों के मद्देनजर दिल्ली आए थे। नीतीश कुमार ने यहां कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव, उनके बेटे अखिलेश यादव, सीपीएम नेता सीताराम येचुरी सहित तमाम नेताओं से मुलाकात की थी। इससे पहले तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव पटना आकर नीतीश कुमार से मिले थे।
बताना होगा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग जनता दल यूनाइटेड और आरजेडी की तरफ से लंबे वक्त से उठाई जाती रही है। पिछले महीने एनडीए से नाता तोड़ने के बाद भी जेडीयू की ओर से बयान आया था कि केंद्र सरकार ने लगातार कहने के बाद भी बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिया।
एनडीए के साथ गठबंधन में रहने के दौरान नीतीश कुमार ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग लगातार उठाई।
क्यों है जरूरी?
अगर किसी राज्य को विशेष राज्य का दर्जा मिल जाता है तो केंद्र सरकार की योजनाओं के लिए 90% पैसा केंद्र सरकार देती है जबकि 10% पैसा राज्य सरकार को देना होता है। जबकि अभी केंद्र सरकार की योजनाओं में केंद्र सरकार 60 फ़ीसदी पैसा देती है और राज्य सरकार 40 फ़ीसदी। कुछ योजनाओं में यह आंकड़ा 50-50 फ़ीसदी का है।
वर्तमान में देश में 11 राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा मिला हुआ है। इन राज्यों में- अरुणाचल प्रदेश, असम, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर (अब केंद्र शासित प्रदेश), मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा और उत्तराखंड शामिल हैं।
नीतीश कुमार कहते रहे हैं कि अगर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिल जाता तो राज्य सरकार के पास कुछ पैसा बचता और इससे राज्य का काफी विकास होता।
जेडीयू नेताओं की ओर से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने को लेकर तमाम तर्क दिए जाते रहे हैं। इसमें एक तर्क यह भी है कि बिहार की प्रति व्यक्ति आय बेहद कम है। जेडीयू के नेताओं का कहना है कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलने से केंद्रीय सहायता में वृद्धि होगी और अलग-अलग तरह के करों में छूट मिलेगी और इस वजह से बिहार विकसित राज्यों की श्रेणी में खड़ा हो सकेगा।
हुआ था विवाद
नीतीश कुमार पत्रकारों के सामने इस बात को कह चुके हैं कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलना ही चाहिए। बीते साल इसको लेकर एक विवाद भी सामने आया था जब तत्कालीन उपमुख्यमंत्री रेणु देवी ने कहा था कि बिहार को विशेष राज्य के दर्जे की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा था कि केंद्र सरकार से बिहार को विशेष राज्य के दर्जे से ज्यादा पैसा मिला है।
चुनावी तैयारी
2024 के लोकसभा चुनाव में अभी डेढ़ साल का वक्त है और विपक्षी दलों ने एक मंच पर आने की तैयारियों के साथ ही बैठकों और मुलाकातों का दौर भी शुरू कर दिया है। बिहार में नीतीश कुमार के पाला बदलने के बाद से ही जेडीयू के नेता 2024 के चुनाव में नीतीश कुमार के प्रधानमंत्री बनने की बातें कहने लगे हैं। हालांकि नीतीश कुमार का कहना है कि वह किसी पद की दौड़ में नहीं हैं और सिर्फ विपक्षी दलों को एकजुट करना चाहते हैं।
बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं और 2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन को 39 सीटों पर जीत मिली थी। लेकिन अब जब आरजेडी, वाम दल, कांग्रेस और जेडीयू साथ आ चुके हैं तो निश्चित रूप से अगले लोकसभा चुनाव में बिहार में एनडीए की राह आसान नहीं होगी।
बिहार के लिए विशेष राज्य का दर्जा बड़ा अहम मुद्दा है और नीतीश कुमार ने इस वादे को करके एक बड़ा चुनावी दांव खेला है।