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धरने पर बैठे अखिलेश यादव को पुलिस ने हिरासत में लिया

धरने पर बैठे अखिलेश यादव को पुलिस ने हिरासत में लिया

उत्तर प्रदेश पुलिस ने लखीमपुर खीरी जा रहे अखिलेश यादव को लखनऊ में ही रोक दिया, धरने पर बैठे तो हिरासत में ले लिया है। अब वे क्या करेंगे?

लखनऊ में अपने घर के पास धरने पर बैठे सपा प्रमुख अखिलेश यादव को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। उन्हें हजरतगंज पुलिस गाड़ी में ले गई। समाजवादी पार्टी ने दावा किया है कि अखिलेश यादव लखीमपुर खीरी जा रहे थे, तब उन्हें पुलिस ने 'यूपी सरकार के आदेश' पर रोक दिया।

हालाँकि, समाजवादी पार्टी ने दावा किया है कि लखीमपुर खीरी जा रहे अखिलेश यादव को सरकार के आदेश पर पुलिस ने गिरफ्तार किया है। 

इससे पहले लखीमपुर जाने से रोके जाने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव राजधानी लखनऊ में ही धरने पर बैठ गए थे। अखिलेश यादव के लखनऊ स्थित विक्रमादित्य मार्ग के बाहर बड़ी तादाद में पुलिस कर्मियों को तैनात कर दिया गया था। 

बता दें कि रविवार को लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा में चार किसान समेत आठ लोग मारे गए हैं। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष पर आरोप है कि उन्होंने प्रदर्शनकारी किसानों पर अपनी गाड़ी चढ़ा दी और कई लोगों को रौंद दिया। 

इस मामले में आशीष मिश्रा और दूसरे कई लोगों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कर लिया गया है। अजय मिश्रा ने अपने बेटे पर लगे आरोपों को खारिज कर दिया है। 

लखनऊ में धरने पर बैठे अखिलेश यादव ने पत्रकारों से कहा,

बीजेपी सरकार किसानों पर जो जुल्म कर रही है, वैसा तो अंग्रेजों ने भी नहीं किया था। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री और राज्य के उप मुख्यमंत्री को इस्तीफ़ा दे देना चाहिए।


अखिलेश यादव, पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश

अखिलेश यादव ने यह भी कहा कि "जिन किसानों की जान गई है, उनके परिजनों को दो करोड़ रुपए दिए जाने चाहिए। उनके परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी मिलनी चाहिए।" 

समाजवादी पार्टी के नेता ने कहा कि सरकार किसी राजनीतिक दल को वारदात की जगह नहीं पहुँचने देना चाहती है। उन्होंने सवाल किया कि सरकार आखिर क्या छुपाना चाहती है। 

लेकिन गृह राज्य मंत्री ने मौके पर अपने बेटे की मौजूदगी से इनकार किया है। उन्होंने कहा है कि वारदात के समय उस जगह न तो वे खुद थे न ही उनका बेटा था।

उन्होंने आरोप लगाया है कि उनके ड्राइवर को पीट-पीट कर मार डाला गया है। 

अजय मिश्रा ने कहा, "वो, मैं या मेरे परिवार का कोई भी सदस्य उस वक़्त वहाँ मौजूद ही नहीं था।"

अजय मिश्रा ने यह भी कहा है कि यदि उनका बेटा उस समय वहां रहा होता तो जिंदा नहीं बचता। उपद्रवियों ने लाठी-डंडों और तलवारों से हमला कर दिया था। 

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