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मैदान में उतरा महागठबंधन, पहली रैली में ही जुटाई भारी भीड़

मैदान में उतरा महागठबंधन, पहली रैली में ही जुटाई भारी भीड़

गठबंधन ने सहारनपुर के देवबंद में पहली साझा रैली कर अपनी ताक़त दिखाई। महागठबंधन की पहली ही रैली भीड़ के लिहाज से विरोधियों को परेशान करने के लिए काफ़ी थी। 

बीजेपी, कांग्रेस के प्रचार अभियान से क़रीब एक महीने की देरी के बाद ही सही उत्तर प्रदेश में एसपी-बीएसपी-आरएलडी गठबंधन ने पहली साझा रैली कर अपनी ताक़त दिखाई। सहारनपुर के देवबंद में महागठबंधन की पहली ही रैली भीड़ के लिहाज से विरोधियों को परेशान करने के लिए काफ़ी थी। दलित-मुसलमान और जाट बहुल सहारनपुर इलाके में हुई इस रैली में अनुमान से कहीं ज़्यादा दो लाख के लगभग लोग जुटे और जनता में ख़ासा उत्साह नजर आया। 

दलित वोटों के मामले में गठबंधन के लिए पश्चिम उत्तर प्रदेश में चिंता का सबब बने चंद्रशेखर रावण के संगठन भीम आर्मी के हजारों कार्यकर्ता आज रैली में शामिल रहे। उत्साहित भीम आर्मी के नौजवानों के हाथ में रावण के साथ माया, अखिलेश के कटआउट भी नज़र आए। हालाँकि मायावती ने बिना नाम लिए चंद्रशेखर और उनके संगठन भीम आर्मी को बीजेपी प्रायोजित भी कहा।

राष्ट्रवाद, न्याय योजना रही निशाने पर

रैली में गठबंधन के नेताओं ख़ास कर मायावती ने बीजेपी के साथ ही कांग्रेस पर भी जमकर हमला बोला। देवबंद की रैली में सबसे पहले बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी आज की रैली को देखकर ज़रूर पागल हो जाएँगे। 

मायावती ने मेरठ रैली में प्रधानमंत्री के एसपी-बीएसपी-आरएलडी गठबंधन को ‘सराब’ कहे जाने पर तंज कसते हुए कहा कि अब मोदी 'सराब' के साथ-साथ और भी बहुत बातें बोलेंगे। मायावती ने कहा कि ये चौकीदारी की नाटकबाज़ी भी उन्हें नहीं बचा पाएगी।

मायावती ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि  कांग्रेस के मुखिया ने देश के ग़रीबों को लुभाने के लिए उनके खाते में 6000 रुपये हर महीने देने की बात कही है लेकिन हम ग़रीबों को सरकारी व निजी क्षेत्र में रोज़गार देंगे। उन्होंने कहा कि हर महीने 6000 रुपये देना ग़रीबी हटाने का स्थाई हल नहीं है बल्कि उन्हें नौकरी देनी होगी। 

मायावती ने कहा कि न्याय योजना के प्रलोभन में मत आना, पहले हम सभी ‘ग़रीबी हटाओ’ की नाटकबाज़ी देख चुके हैं। इन दलों को चुनाव के समय ही ग़रीबों की याद क्यों आती है। मायावती ने रैली में आए लोगों से कहा कि वोट नहीं बाँटना, गठबंधन को ही वोट देना है और मोदी के साथ योगी को भी भगाना होगा।

बसपा सुप्रीमो ने रफ़ाल सौदे का भी ज़िक्र किया और कहा कि इस सौदे में घोटाला हुआ है और इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी ज़िम्मेदार हैं। आज देश का व्यापारी दुखी है और सड़कों पर फिर रहे आवारा जानवर किसानों के लिए मुसीबत बने हुए हैं।

अखिलेश बोले, चौकीदार से चौकी छीन लेंगे

एसपी मुखिया अखिलेश यादव ने रैली को संबोधित करते हुए कहा कि बीजेपी के नेता पहले चायवाले और अब चौकीदार बनकर आए हैं। दोनों ही बार इनका मक़सद जनता को धोखा देना था। उन्होंने कहा कि गठबंधन के लोग और जनता एक-एक चौकीदार की चौकी छीनने का काम करेंगे। मोदी के गठबंधन के बारे में महामिलावट के बयान पर अखिलेश ने कहा कि ये मिलावट का नहीं महापरिवर्तन का गठबंधन है। 

जीएसटी और नोटबंदी से आयी तबाही का ज़िक्र करते हुए अखिलेश ने कहा कि व्यापारी भाई अब बीजेपी के लिए बस लंच और मंच की व्यवस्था के लिए ही रह गए हैं। 

अखिलेश ने कहा कि मोदी सरकार में छोटे व्यापारी तबाह हुए हैं और केवल बड़े धन्नासेठों को फायदा मिला है। एसपी सुप्रीमो ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि उसकी व बीजेपी की नीतियाँ एक हैं।

अखिलेश ने कहा कि महागठबंधन देश की सत्ता में और प्रधानमंत्री में बदलाव लाना चाहता है जबकि कांग्रेस अपनी पार्टी लाना चाहती है। एसपी सुप्रीमो ने कहा कि बीएसपी, एसपी की सरकारों में बिजली में बहुत काम हुआ जबकि बीजेपी ने अपनी सरकार में एक मेगावाट भी बिजली नहीं बनाई। बीजेपी की सरकार ने बिजली तो नहीं बनाई पर घर-घर कनेक्शन बाँटने की नौटंकी ज़रूर की। 

गन्ना बक़ाये की दिलाई याद 

महागठबंधन की रैली में तीनों नेताओं ने गन्ना बक़ाया भुगतान की समस्या का ज़िक्र किया। आरएलडी अध्यक्ष अजित सिंह ने कहा कि अकेले उत्तर प्रदेश के इस पश्चिमी हिस्से में 5000 करोड़ रुपये का गन्ना का भुगतान बक़ाया है और योगी सरकार मिल मालिकों पर कोई शिकंजा नहीं कस पा रही है। उन्होंने कहा कि एसपी और बीएसपी सरकारों में गन्ने का दाम बढ़ा लेकिन योगी सरकार ने इस दिशा में कुछ नहीं किया। 

आरएलडी अध्यक्ष ने कहा कि पिछले चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी ने बागपत में कहा था कि गन्ने का दाम 400 रुपये प्रति कुंतल करेंगे पर योगी सरकार ने एक रुपये भी क़ीमत नहीं बढ़ाई।

अजित सिंह ने कहा कि यह चुनाव प्रजातंत्र के भविष्य का चुनाव है। मोदी सरकार ने संवैधानिक संस्थाओं को पंगु कर दिया है। अंबेडकर ने संविधान में जो ताक़त हमें दी थी उसे ख़त्म नहीं होने देना है।

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