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कृषि क़ानून: बजट सत्र से पहले विपक्ष संग रणनीति बनाएँगी सोनिया

कृषि क़ानून: बजट सत्र से पहले विपक्ष संग रणनीति बनाएँगी सोनिया

नये कृषि क़ानून पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने इस मुद्दे पर विपक्षी दलों के नेताओं से बात की है और संसद के बजट सत्र से पहले साझा रणनीति तैयार करने की योजना पर चर्चा की है।

नये कृषि क़ानूनों पर किसानों से ज़बर्दस्त विरोध का सामना कर रही बीजेपी सरकार को विपक्षी दलों से भी कड़ी चुनौती मिलने के आसार हैं। रिपोर्ट है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने इस मुद्दे पर विपक्षी दलों के नेताओं से बात की है और संसद के बजट सत्र से पहले साझा रणनीति तैयार करने की योजना पर चर्चा की है। कृषि क़ानूनों पर विपक्षी दलों के साथ सोनिया की इस रणनीति के बारे में मीडिया रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से ख़बर दी गई है। 

यह ख़बर तब आई है जब कांग्रेस नेता राहुल गाँधी किसान आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं और इस मुद्दे पर सरकार की आलोचना कर रहे हैं। उन्होंने आज भी ट्वीट कर कहा है कि सरकार किसानों को इधर-उधर उलझाने की कोशिश में है। 

कृषि क़ानून के इस मुद्दे पर सरकार को घेरने के लिए अब सोनिया द्वारा रणनीति बनाए जाने की बात सामने आ रही है। सूत्रों के अनुसार इस महीने के अंत में संसद सत्र शुरू होने से पहले नए कृषि क़ानूनों को लेकर एक बैठक आयोजित की जाएगी। कांग्रेस अपनी तरह की सोच रखने वाले दलों को एक जगह लाना चाहती है ताकि संसद के सत्र शुरू होने से पहले इस मुद्दे पर विपक्ष की आवाज़ को मज़बूत किया जा सके। 

कांग्रेस किसानों के आंदोलन का समर्थन कर रही है। पार्टी ने कहा है कि वह 15 जनवरी को देशभर के गवर्नर हाउसों के बाहर विरोध प्रदर्शन करेगी ताकि किसानों के आंदोलन को समर्थन दिया जा सके। 

कांग्रेस इस दिन को 'किसान दिवस' के रूप में मना रही है। कांग्रेस शासित पंजाब और राजस्थान ने केंद्र सरकार के इन क़ानूनों के ख़िलाफ़ बिल पहले ही पास कर दिया है।

बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन नये कृषि क़ानूनों को कृषि उपज मंडी और न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी की व्यवस्था को ख़त्म करने के तौर पर देखा जा रहा है। इसी आशंका को लेकर पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान सहित कई राज्यों के किसान सरकार के इन नये कृषि क़ानूनों का विरोध कर रहे हैं। बड़ी संख्या में किसान दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं। 

इन्हीं को मनाने के प्रयास में सरकार किसान नेताओं के साथ वार्ता कर रही है। अब तक हुई 8 दौर की बातचीत बेनतीजा रही है। अब नौवें दौर की वार्ता होनी तय है। इस बीच किसान इन क़ानूनों को रद्द किए जाने की अपनी माँग पर अड़े हैं। 

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