चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग दो दिन के भारत के दौरे पर आए हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके स्वागत के लिए शुक्रवार को तमिलनाडु गए थे। लेकिन उनके चेन्नई पहुंचने से पहले ही ट्विटर पर #Gobackmodi ट्रेंड करने लगा। हालांकि उन्हें जवाब देने के लिए बीजेपी समर्थकों की ओर से #TNWelcomesModi ट्रेंड करवाया गया। लेकिन सवाल यह खड़ा होता है कि प्रधानमंत्री मोदी जब भी तमिलनाडु जाते हैं तो हर बार सोशल मीडिया पर उनका विरोध क्यों होता है।
निश्चित रूप से यह बात हैरान करने वाली है कि प्रधानमंत्री देश के किसी इलाक़े में जाने वाले हों और उससे पहले ही वहाँ के हजारों लोग सोशल मीडिया पर उनसे वापस जाने के लिए कह दें तो इससे शर्मिंदगी होना तय है। ऐसा ही कुछ शुक्रवार को हुआ, जब प्रधानमंत्री मोदी के तमिलनाडु दौरे पर जाने से पहले ही ट्विटर पर हैशटैग #Gobackmodi ट्रेंड कराने वालों ने क्या कहा।
आरुषी चैतन्य नाम की ट्विटर यूजर ने लिखा कि मोदी जी आप यहां न आएं।
सेल्वा गणेश नाम के ट्विटर यूजर ने नोटबंदी के दौरान की एक स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए कहा कि भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों का संरक्षण मत करो।
शाइक तौफ़ीक़ नाम के ट्विटर यूजर ने ट्वीट किया कि भारत की जीडीपी लगातार गिर रही है इसलिए मोदी वापस चले जाएं।
मनस्वी प्रसाद ने प्रधानमंत्री मोदी की एक फ़ोटो ट्वीट की है जिसमें लिखा है कि मोदी कहते हैं कि भारत में सब अच्छा है लेकिन हम लोग ठीक नहीं हैं।
एक ट्विटर यूजर ने लिखा कि जब हमारे डेल्टा किसान गाज़ा से प्रभावित थे, तब उन्होंने कुछ नहीं किया। जब मछुआरे ओखी तूफ़ान में मारे गए थे, तब आपने कोई कार्रवाई नहीं की।
प्रधानमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी को लेकर तमिलनाडु के लोगों के मन में नकारात्मक छवि होना निश्चित रूप से ख़ेदजनक है। क्योंकि प्रधानमंत्री किसी पार्टी, राज्य या दल के नहीं बल्कि पूरे देश के होते हैं। किसी भी प्रधानमंत्री को लेकर तमिलनाडु के लोगों में इतना ग़ुस्सा नहीं रहा, जितना कि मोदी को लेकर है। और बड़ी बात यह है कि मोदी के तमिलनाडु जाने पर ट्विटर पर #GoBackModi ट्रेंड कराने वाले लोगों में विपक्षी राजनीतिक दलों के लोग कम होते हैं और आम लोग ज़्यादा। लेकिन तमिलनाडु के लोग प्रधानमंत्री मोदी से इतनी ज़्यादा नफ़रत क्यों करते हैं।
तमिलनाडु के लोगों के गुस्से के तीन कारण बताये जाते हैं। पहला कारण यह कि नवंबर, 2018 में आए चक्रवाती तूफ़ान गाजा के कारण राज्य में हुए भारी नुक़सान का जायजा लेने के लिए मोदी नहीं आए। बता दें कि गाजा तूफ़ान के कारण तमिलनाडु में 3 लाख लोग बेघर हो गए थे जबकि 11 लाख पेड़ उखड़ गए थे। तूफ़ान के कारण बड़ी संख्या में लोग तबाह हो गए थे। ग़ुस्से की दूसरी वजह यह बताई जाती है कि मई, 2018 में तूतीकोरिन में स्टरलाइट विरोधी प्रदर्शन के दौरान गोली लगने से 13 लोगों की मौत हो गई थी लेकिन प्रधानमंत्री चुप रहे थे। इसके अलावा कावेरी जल विवाद में केंद्र सरकार के रवैये को लेकर भी तमिलनाडु की जनता में मोदी के ख़िलाफ़ ग़ुस्सा है।