जिस वाराणासी से पीएम उम्मीदवार, वहाँ से श्याम रंगीला का नामांकन रद्द क्यों?

10:17 pm May 15, 2024 | सत्य ब्यूरो

कॉमेडियन श्याम रंगीला का नामांकन रद्द हो गया। वह अब वाराणसी सीट से पीएम मोदी के ख़िलाफ़ चुनाव नहीं लड़ सकते हैं। नामांकन फॉर्म लेने से लेकर फॉर्म जमा करने और पूरी नामांकन प्रक्रिया पर सवाल उठाते रहे श्याम रंगीला ने नामांकन खारिज होने के बाद कहा कि '2014 में मैं भी सपोर्टर था, लेकिन मैंने चीजें बदलती देखी हैं।' उन्होंने कहा कि उनका नामांकन खारिज कर दिया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने वाराणसी के अंदर चुनाव को खेल बना दिया है। 

नामांकन खारिज होने के बाद श्याम रंगीला ने दावा किया कि काफी दबाव बनाने के बाद उनका और कई लोगों का मंगलवार को नामांकन लिया गया था। उन्होंने कहा कि 'कल 27 नामांकन जमा हुए और आज 32 रिजेक्ट हो गये, हंसी आ रही है चुनाव आयोग पर, हंस लूँ? या रो लूँ?' उन्होंने एक वीडियो बयान जारी कर कहा, 'दिल ज़रूर टूट गया है, हौसला नहीं टूटा है।'

अपना नामांकन खारिज होने पर उन्होंने निराशा जताई और कहा कि 'मोदी जी एक्टिंग करते होंगे रोने की, लेकिन मुझे सच में रोना आ रहा है। रोना आ रहा है लेकिन मैं रोना चाहता नहीं।' उन्होंने कहा कि 'मैंने लोकतंत्र की हत्या आज देख ली', लेकिन बाद में उन्होंने उम्मीद जताई कि लोकतंत्र बचेगा। 

उन्होंने वह वजह भी बताई कि क्या कारण बताते हुए उनका नामांकन रद्द किया गया है। उन्होंने कहा, 'हमने सभी कागजात और ज़रूरी विषयों का ध्यान रखते हुए नामांकन किया था। लेकिन आज हमें बताया गया कि नामांकन के दौरान ली जाने वाली शपथ पूरी नहीं की और इस वजह से नामांकन रद्द कर दिया गया।' रंगीला ने अन्य उम्मीदवारों का भी ज़िक्र करते हुए कहा कि उनको शपथ देने के लिए कहा नहीं गया। उन्होंने कहा कि उनके वकील को अंदर नहीं जाने दिया गया। उन्होंने कागजात दिखाते हुए कहा कि उनको तीन बजे के बाद प्रवेश दिया गया और कागजात पर रात के 11 बजकर 59 मिनट तक नामांकन दाखिल करने का समय दिया गया। रंगीला ने कहा कि जब वे रात क़रीब दस बजे कार्यालय पहुँचे तो उनको वहाँ से भगा दिया गया और आज नामांकन रद्द कर दिया गया।

इससे पहले उन्होंने बुधवार सुबह ही नामांकन होने पर खुशी जताई थी और कहा था, '14 मई सुबह तक कुल 14 नामांकन जमा हुए थे और कुछ लोग मुझे उनका उदाहरण देकर कह रहे थे कि प्रक्रिया सही चल रही है, लेकिन शायद मेरे आवाज़ उठाने के बाद और आप सबके सहयोग को देखते हुए, कल प्रशासन ने एक दिन में ही 27 नामांकन लिए।'

श्याम रंगीला ने 13 मई को आरोप लगाया था कि उनको नामांकन नहीं करने दिया जा रहा था। उन्होंने तो दावा यहाँ तक किया कि उनके जैसे कई और इच्छुक लोगों को नामांकन करने के लिए कार्यालय के अंदर घुसने तक नहीं दिया जा रहा था।

श्याम रंगीला ने सोमवार को आरोप लगाया था कि वह सुबह से लेकर शाम तक वाराणसी से नामांकन के लिए चुनाव कार्यालय के बाहर खड़े रहे, लेकिन उनको अंदर नहीं जाने दिया गया। कुछ ऐसा ही आरोप उन्होंने मंगलवार सुबह भी लगाया था। उन्होंने चुनाव आयोग को टैग करते हुए एक वीडिया ट्वीट किया जिसमें उन्हें पुलिस अधिकारी 12 बजे के बाद अंदर जाने देने की बात कहते हैं। उन्होंने ट्वीट में कहा, 'वाराणसी चुनाव आयोग कार्यालय। 14 मई, सुबह क़रीब 9:15 बजे पहुँच गये हैं। कहीं से कोई जवाब नहीं आ रहा, लेकिन नामांकन की उम्मीद अभी भी नहीं छोड़ी है हमने।'

7 मई को नामांकन प्रक्रिया की शुरुआत से ही बड़ी संख्या में नामांकन के संकेत मिलने लगे थे। कई लोगों ने आरोप लगाया कि उन्हें नामांकन पत्र लेने के लिए भी मशक्कत करनी पड़ी। श्याम रंगीला ने तो आरोप लगाया था कि नामांकन पत्र देने के लिए नियमों को बेहद कड़ा कर दिया गया। 

उन्होंने 10 मई को कहा था, 'वाराणसी में नामांकन फॉर्म प्राप्त करने की प्रक्रिया इतनी जटिल कर दी गई है कि फॉर्म लेना बहुत ज़्यादा मुश्किल हो गया है, घंटों लाइन में लगने के बाद चुनाव कार्यालय से कहा गया कि आप दस प्रस्तावकों के आधार कार्ड की कॉपी (हस्ताक्षर समेत) और उनके फ़ोन नंबर पहले दीजिए तभी फॉर्म के लिये ट्रेज़री चालान फ़ॉर्म मिलेगा। जबकि ऐसा कोई प्रावधान चुनाव आयोग के नियमों में नहीं है। मैं माननीय चुनाव आयोग से प्रार्थना करता हूँ कि वो वाराणसी ज़िला प्रशासन को उचित दिशानिर्देश देकर, इस देश के लोकतंत्र में हमारे विश्वास को मज़बूती दें।'

2019 में हुआ था जवान तेज बहादुर का नामांकन रद्द  

2019 के लोकसभा चुनाव में वाराणसी में नामांकन प्रक्रिया को लेकर विवाद हुआ था। तब चुनाव आयोग ने बीएसएफ के बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव को लोकसभा की दौड़ से बाहर कर दिया था। तेज बहादुर ने वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अपनी उम्मीदवारी की घोषणा की थी। बाद में समाजवादी पार्टी ने उन्हें अपना आधिकारिक उम्मीदवार बनाकर अपना समर्थन दिया था।

लेकिन तत्कालीन रिटर्निंग ऑफिसर ने तेज बहादुर का नामांकन खारिज कर दिया था, क्योंकि उन्होंने चुनाव आयोग से यह कहते हुए प्रमाण पत्र जमा नहीं किया था कि उन्हें "भ्रष्टाचार या गड़बड़ी" के कारण सेवा से बर्खास्त नहीं किया गया।

बता दें कि तेज बहादुर यादव चुनाव लड़ने के योग्य थे क्योंकि उन्हें अनुशासनात्मक आधार पर बीएसएफ से बर्खास्त किया गया था। लेकिन अंतिम समय में उन्हें बताया गया कि उन्हें चुनाव आयोग से 'मंजूरी' प्रमाणपत्र लेने की ज़रूरत है। जिस दिन स्पष्टीकरण मांगा गया था उसी दिन उस प्रमाणपत्र को जमा करने को कहा गया था। आख़िरकार उनको चुनाव की दौड़ से बाहर कर दिया गया था। 

2019 के लोकसभा चुनाव में सौ से अधिक उम्मीदवारों ने वाराणसी से निर्दलीय उम्मीदवारों के रूप में अपना नामांकन पत्र दाखिल किया था, लेकिन इनकी संख्या घटकर लगभग 26 हो गई थी। जैसे ही कई नामांकन रद्द किए गए, कई उम्मीदवारों ने चुनाव आयोग पर मोदी के प्रति पूर्वाग्रह रखने का आरोप लगाया था। अब इस साल भी नामांकन को लेकर ही कुछ इसी तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं।