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बिहार में जेडीयू के 17 विधायक हमारे संपर्क में: श्याम रजक

बिहार में जेडीयू के 17 विधायक हमारे संपर्क में: श्याम रजक

बिहार के गर्म राजनीतिक माहौल के बीच बीजेपी और जेडीयू की सरकार के भविष्य को लेकर सवाल उठ रहे हैं। 

बिहार के गर्म राजनीतिक माहौल के बीच बीजेपी और जेडीयू की सरकार के भविष्य को लेकर सवाल उठ रहे हैं। आरजेडी नेता उदय नारायण चौधरी की ओर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को 2024 में प्रधानमंत्री पद के लिए समर्थन देने की बात कहने के बाद पार्टी के एक और नेता के बयान ने राजनीतिक हलचलों को तेज़ किया है। 

बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले जेडीयू का साथ छोड़कर आरजेडी में आने वाले पूर्व मंत्री श्याम रजक ने दावा किया है कि जेडीयू के 17 विधायक उनके संपर्क में हैं और वे जल्द ही आरजेडी में शामिल हो सकते हैं। 

रजक ने दावा किया कि जेडीयू के विधायक तुरंत आरजेडी के साथ आना चाहते हैं लेकिन उन्होंने उन्हें इसलिए रोका हुआ है कि दलबदल क़ानून के कारण उन्हें विधानसभा की सदस्यता खोनी पड़ेगी। 

इंडिया टुडे के मुताबिक़, रजक ने कहा कि ये विधायक बीजेपी द्वारा नीतीश कुमार पर दबाव बनाए जाने से नाराज़ हैं। उन्होंने कहा कि अगर जेडीयू के 25 से 26 विधायक हमारी पार्टी में शामिल होते हैं तो दलबदल क़ानून के कारण उनकी सदस्यता नहीं जाएगी। रजक ने दावा किया कि ऐसा जल्द होने जा रहा है। 

श्याम रजक के दावों में कितना दम है, ये आने वाले कुछ दिनों में साफ हो जाएगा। क्योंकि ऐसे गर्म राजनीतिक माहौल के बीच इस तरह के दावों का आना सामान्य बात है। 

जेडीयू का पलटवार 

रजक के दावों पर जेडीयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने पलटवार किया। राजीव रंजन ने कहा कि आरजेडी अपने उन विधायकों को संभाले जो तेजस्वी यादव की कार्यशैली से नाराज़ हैं। उन्होंने कहा कि जेडीयू के विधायक एकजुट हैं और एनडीए की सरकार अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा करेगी। राजीव रंजन ने कहा कि आरजेडी के नेता इस तरह के बयानों से बिहार की जनता को गुमराह करने का काम कर रहे हैं। 

बिहार के घमासान पर देखिए चर्चा- 

हावी रहना चाहती है बीजेपी 

नीतीश कुमार के ताज़ा कार्यकाल की शुरुआत जिस तरह हुई है, उससे साफ लगता है कि सुशासन बाबू कहे जाने वाले नीतीश जबरदस्त दबाव में हैं। बीजेपी ने नीतीश के सबसे प्रबल समर्थक माने जाने वाले सुशील मोदी को दिल्ली भेजने से लेकर, संघ की पृष्ठभूमि से आने वाले दो लोगों को डिप्टी सीएम बनाने और फिर जेडीयू के कोटे से मंत्री मेवालाल चौधरी का इस्तीफ़ा लेने को नीतीश को मजबूर करने से यह दिखाया है कि वह राज्य की राजनीति में नीतीश पर हावी रहना चाहती है। 

अरुणाचल में जेडीयू के छह विधायकों के बीजेपी में शामिल होने के बाद से ही जेडीयू बीजेपी से नाराज़ है और इसका उसके नेताओं ने खुलकर इजहार भी किया है। पार्टी ने अरुणाचल की घटना को गठबंधन धर्म के ख़िलाफ़ बताया है। इस घटना पर आरजेडी ने भी प्रतिक्रया दी है और उसके प्रवक्ता शिवानंद तिवारी का कहना है कि बीजेपी का चरित्र इस घटना से पता चल जाता है।

कथित लव जिहाद पर रार 

कथित लव जिहाद की घटनाओं को लेकर क़ानून बनाने का दबाव बना रहे बीजेपी नेताओं को भी जेडीयू ने जवाब दिया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने कहा कि लव जिहाद पर बीजेपी के रूख़ से जेडीयू सहमत नहीं है और इसे लेकर देश के कोने-कोने में घृणा और विभाजनकारी माहौल बनाने का काम किया जा रहा है। 

 - Satya Hindi

चौधरी का बयान 

दो दिन पहले ही पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने कहा कि नीतीश कुमार को महागठबंधन से बाहर आना चाहिए, तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाना चाहिए और केंद्र की राजनीति करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि नीतीश को 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए विपक्ष का नेता बनना चाहिए और सभी दल उन्हें समर्थन देंगे। 

हालांकि तेजस्वी यादव ने इसे चौधरी का निजी बयान बताया है और कहा है कि नीतीश को क्या करना है और क्या नहीं, यह वे खुद ही तय करें। 

नाराज़ हैं नीतीश! 

इस बीच, नीतीश कुमार का वह बयान भी चर्चा में है जिसमें उन्होंने कहा है कि वह मुख्यमंत्री नहीं बने रहना चाहते। पहले भी उन्होंने कहा था कि वह इस कुर्सी पर अब नहीं बैठना चाहते। नीतीश की इस बात का बीजेपी के बड़े नेता सुशील कुमार मोदी ने भी समर्थन किया है और कहा है कि नीतीश मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहते थे लेकिन एनडीए चाहता था कि वे इस पद पर फिर से बैठें क्योंकि हमने उन्हें एनडीए के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर प्रोजेक्ट किया था। 

कब तक चलेगी सरकार?

बिहार के राजनीतिक गलियारों में इस बात की जोरदार चर्चा है कि बंगाल चुनाव के बाद जेडीयू और कांग्रेस में भारी राजनीतिक उथल-पुथल होगी। बीजेपी जेडीयू और कांग्रेस के विधायकों को तोड़कर राज्य में अपना मुख्यमंत्री बनाएगी। अरुणाचल के ताज़ा घटनाक्रम के बाद बीजेपी-जेडीयू के रिश्ते ख़राब हुए हैं, इसमें कोई शक नहीं है। ऐसे हालात में बीजेपी और जेडीयू कब तक मिलकर सरकार चला पाएंगे, यह एक बड़ा सवाल है। 

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