मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का अगला ठिकाना ‘साउथ’ होगा। इस बात के संकेत स्वयं पूर्व मुख्यमंत्री चौहान ने दिये हैं। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे आने और मोहन यादव को भाजपा विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद से शिवराज सिंह चौहान के राजनीतिक भविष्य को लेकर सवालों की गूंज राजनीतिक हलकों में हो रही है।
पार्टी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा के बुलावे पर शिवराज सिंह चौहान आज दिल्ली पहुंचे थे। दिल्ली में नड्डा के बाद मीडिया से संक्षिप्त बातचीत में पूर्व मुख्यमंत्री चौहान ने अपने राजनीतिक भविष्य से जुड़े कुछ संकेत मीडिया को स्वयं ही दे दिये हैं।
ऐसा माना जा रहा है कि नड्डा (वास्तव में मोदी-शाह) के ही निर्देश होंगे कि फिलहाल पार्टी उन्हें जो काम सौंप रही है, इसकी घोषणा या संकेत शिवराज सिंह स्वयं ही मीडिया को दे दें।
नड्डा से मुलाकात के बाद शिवराज सिंह चौहान की बॉडी लैंग्वेज ‘कुछ न मिलने’ के साफ संकेत दे रही थी। बुझे हुए मन से शिवराज सिंह ने मीडिया को संकेतों में बताया, ‘विकसित भारत संकल्प यात्रा के तहत दक्षित प्रांत में कुछ क्षेत्रों में पार्टी के प्रचार की जिम्मेदारी उन्हें दी जा रही है। पार्टी जो भी काम दे रही है, उसे वे पूरी शिद्दत से अंजाम देंगे।’
मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाये जाने के पहले से ही शिवराज मध्य प्रदेश में निरंतर कहते फिर रहे थे, ‘पार्टी उन्हें जो भी जिम्मा देगी, उसका निर्वहन करेंगे। मुख्यमंत्री की रेस में वे नहीं हैं।’
शिवराज सिंह को चुनाव के नतीजों और मोहन यादव को सीएम चुने जाने के बाद कई जगहों पर वोटरों ने शिवराज के प्रति अपने ‘प्रेम’ को जाहिर किया। खासकर महिला वोटर कई बार उनके गले लग-लगकर रोईं। कई बार मामा भी भावुक हुए।
बहरहाल, मामा के ‘नये राजनीतिक भविष्य’ का फैसला फिलहाल केन्द्रीय नेतृत्व ने कर दिया है। उन्हें साउथ भेजा जा रहा है, यह साफ हो गया है।
शिवराज के ‘मिशन 29’ मंसूबे पर पानी फिरा!
जिस तरह का रूख केन्द्र का है, उसे देखते हुए साफ है कि मोदी-शाह की जोड़ी, शिवराज सिंह को मध्य प्रदेश में जमे रहने देने के मूड में कतई नहीं है। नड्डा के ‘निर्णय’ से यह भी स्पष्ट हो गया है कि मोदी-शाह ने मध्य प्रदेश में ‘मिशन 29’ (लोकसभा की सभी 29 सीटों को जीतकर मोदी को तोहफा देने) का शिवराज का दांव विफल कर दिया है।
इस बात की संभावनाएं भी फिलहाल धूमिल हो गई हैं कि केन्द्र सरकार में शिवराज को कोई जगह देने के मूड में मोदी-शाह हैं। संगठन में भी महती जिम्मेदारी मिलने की संभावनाएं, मामा को दक्षिण भेजने के फैसले से कम होती नजर आ रही हैं।