शिंदे को बधाई वाले विज्ञापन में बाला साहेब के साथ उद्धव की भी तसवीर क्यों?
शिवसेना के बागी शिंदे खेमे की सरकार को बधाई देने वाले का एक विज्ञापन काफ़ी रोचक है। उसमें मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की बड़ी तसवीरें हैं। उसी विज्ञापन में ऊपर में बाईं तरफ़ बाला साहेब ठाकरे के साथ ही उद्धव ठाकरे और आदित्य ठाकरे की तसवीर है तो दूसरी तरफ़ प्रधानमंत्री मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा की है। यह विज्ञापन पूरे पेज का है। तो इसके संकेत क्या हैं? क्या यह सिर्फ़ शिवसेना और बीजेपी के बीच गठबंधन को ही दिखाता है? या फिर इस विज्ञापन का मक़सद यह स्थापित करना है कि एकनाथ शिंदे शिवसेना का प्रतिनिधित्व करते हैं, शिवसेना नेताओं का सम्मान करते हैं और बाला साहेब ठाकरे की शिवसेना कीविरासत पर शिंदे का ही हक है?
इस विज्ञापन के मायने को समझने के लिए यह जानना ज़रूरी है कि दोनों खेमों के बीच ऐसा क्या चल रहा है कि राज्य के एक बड़े मराठी अख़बार में पहले पन्ने पर पूरे पेज का विज्ञापन दिया गया। सोशल मीडिया पर इसे साझा किया गया है।
Eknath Shinde & Devendra Fadnavis forming the New Government. Look at this Advertisement-
— The Analyzer (@Indian_Analyzer) July 1, 2022
(Images of both Aditya & Uddhav are present) pic.twitter.com/QljZ1qDUQi
हालाँकि, यह विज्ञापन आधिकारिक तौर पर किसी पार्टी की नहीं लगती है, लेकिन दिव्य मराठी के नाशिक एडिशन में छपे इस विज्ञापन में देखा जा सकता है कि नांदगाव विधानसभा मतदार संघ से आमदार सुहास आण्णा कांदे ने यह विज्ञापन दिया है।
यह विज्ञापन ऐसे समय में आया है जब एक दिन पहले ही एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री और देवेंद्र फडणवीस ने उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है।
शिंदे को अब सोमवार को विधानसभा में बहुमत साबित करना है। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से मुख्यमंत्री का पद छीनने के बाद महज चार दिनों के भीतर उन्हें परीक्षण से गुजरना होगा।
आज ही सुप्रीम कोर्ट ठाकरे टीम की उस याचिका पर सुनवाई करने के लिए तैयार हुआ है जिसमें शिवसेना की ओर से लगाई गई ताज़ा याचिका में अनुरोध किया गया है कि बाग़ी नेता एकनाथ शिंदे और उनके समर्थक विधायकों को विधानसभा की कार्यवाही में हिस्सा लेने से रोका जाए। कोर्ट ने कहा है कि इस याचिका पर सुनवाई 11 जुलाई को होगी। हालाँकि तब तक सरकार सदन में बहुमत साबित कर चुकी होगी।
उद्धव ठाकरे की टीम ने शिवसेना के शिंदे सहित 16 बागियों को अयोग्य घोषित करने की मांग भी की है। इस याचिका पर भी 11 जुलाई को ही सुनवाई होनी है।
बहरहाल, उद्धव ठाकरे की सत्ता तो चली ही गई, कहा जा रहा है कि उद्धव ठाकरे टीम को अब शिवसेना को खोने का ख़तरा लग रहा है। एकनाथ शिंदे ने कहा है कि 55 में से 39 विधायकों के साथ उनका गुट वैध शिवसेना है और इसके आदेश व नियुक्तियाँ ठाकरे की टीम के लिए बाध्यकारी हैं। ठाकरे के सामने यही चुनौती है कि उनके पिता बाल ठाकरे द्वारा स्थापित पार्टी अब उनकी रहेगी या नहीं।
ऐसा इसलिए कि एकनाथ शिंदे न तो शिवसेना से अलग हुए हैं और न ही उन्होंने अपने खेमे को किसी पार्टी में विलय कराया है। वह दो-तिहाई से ज़्यादा विधायकों के समर्थन का दावा कर रहे हैं और यह भी कि अब शिवसेना उनके हाथ में है। उद्धव ठाकरे खेमे का दावा है कि शिवसेना की कमान उनके ही हाथ में है और इसके लिए उन्होंने अदालत की शरण ली है। अब सबकुछ अदालत के फ़ैसले पर निर्भर करेगा, लेकिन मौजूदा स्थिति में तो शिंदे समर्थकों के हौसले बुलंद है ही।