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सीएम शिवसेना का बनेगा, फ़ैसला महाराष्ट्र में होगा: राउत

सीएम शिवसेना का बनेगा, फ़ैसला महाराष्ट्र में होगा: राउत

महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद को लेकर बीजेपी और शिवसेना के बीच चल रहा घमासान थमता नहीं दिख रहा है। 

शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत ने एक बार फिर मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर बीजेपी को ललकारा है और जोर देकर कहा है कि महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री उसकी पार्टी का ही बनेगा। महाराष्ट्र में चुनाव नतीजे आने के बाद से अभी तक शिवसेना इस बात को कई बार कह चुकी है कि मुख्यमंत्री उसका ही बनेगा। शिवसेना के तेवरों से साफ़ है कि इस बार वह मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर झुकने को तैयार नहीं है। जबकि इससे पहले वह कई बार बीजेपी के सामने झुक चुकी है। 

संजय राउत के बयान के बाद साफ़ है कि शिवसेना के साथ अब बीजेपी का समझौता होना बेहद मुश्किल हो गया है क्योंकि बीजेपी किसी भी सूरत में मुख्यमंत्री पद का बंटवारा नहीं चाहती और शिवसेना को ढाई साल के लिये मुख्यमंत्री का पद चाहिये ही चाहिये। 

राउत ने न्यूज एजेंसी एएनआई से कहा, ‘आप देखेंगे कि महाराष्ट्र की राजनीति और चेहरा बदल रहा है, जिसे आप हंगामा कहते हैं, वह हंगामा नहीं है बल्कि यह न्याय और अधिकार की लड़ाई है और जीत हमारी होगी।’ राउत ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र का फ़ैसला महाराष्ट्र में ही होगा। राउत का इशारा देवेंद्र फडणवीस की बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से हुई मुलाक़ात और एनसीपी प्रमुख शरद पवार की कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी से हुई मुलाक़ात की ओर था। 

बीजेपी को विधानसभा चुनाव में 105 सीटें मिली हैं और वह सबसे बड़ा दल है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा तो है कि राज्य में सरकार का गठन जल्द ही होगा लेकिन 8 नवंबर तक वह कैसे बहुमत के लिये ज़रूरी 145 विधायकों के आंकड़े तक पहुंच पायेंगे, यह एक बड़ा सवाल है।

महाराष्ट्र की विधानसभा का कार्यकाल 8 नवंबर को ख़त्म हो रहा है और उसके बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लग सकता है। ऐसे में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन की सरकार न बनने पर एक नयी तसवीर उभरकर सामने आ रही है। अंग्रेजी अख़बार ‘द टाइम्स ऑफ़ इंडिया’ (टीओआई) के मुताबिक़, एनसीपी के एक नेता ने नाम न जाहिर न करके की शर्त पर कहा है कि एनसीपी शिवसेना के साथ सरकार बनाने की इच्छुक है और कांग्रेस इस गठबंधन को बाहर से समर्थन दे सकती है। 

हाल ही में शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत ने जब कहा था कि उनके पास 170 विधायकों का समर्थन है, तभी से यह संकेत मिल रहे थे कि शिवसेना कांग्रेस और एनसीपी में सरकार गठन को लेकर कोई बातचीत ज़रूर चल रही है। क्योंकि 56 विधायकों वाली शिवसेना इतना बड़ा दावा यूँ ही नहीं कर सकती।

गडकरी निकालेंगे समाधान! 

बीजेपी-शिवसेना के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर चल रहे सियासी घमासान के बीच कहा जा रहा है कि केंद्रीय मंत्री और महाराष्ट्र की राजनीति के बड़े नेता नितिन गडकरी को बीजेपी आलाकमान विवाद को थामने के लिये आगे ला सकता है। सोमवार को शिवसेना नेता किशोर तिवारी ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से अपील की थी कि वह हिंदुत्व के हित में इस में इस विवाद का समाधान करे और उन्होंने गडकरी से आगे आने की अपील की थी। 

तिवारी ने एनडीटीवी से कहा कि उन्होंने शिवसेना से बातचीत के लिये बीजेपी से गडकरी को आगे लाने के लिये कहा है। तिवारी ने कहा कि उन्हें इस बात का विश्वास है कि गडकरी कुछ ही घंटों में इस विवाद का समाधान कर लेंगे। 

राउत ने यह भी कहा है कि बहुत जल्द ही शपथ ग्रहण समारोह होगा और यह लोगों का अधिकार है। राउत ने कहा कि शपथ ग्रहण पर किसी का एकाधिकार नहीं है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि राज्य में सबसे बड़ी पार्टी होने के बाद भी बीजेपी ने अभी तक सरकार बनाने का दावा पेश नहीं किया है। राउत यह भी कह चुके हैं कि अगर बीजेपी के पास बहुमत है तो वह सरकार बना ले और सरकार गठन में देरी के लिये शिवसेना कहीं से भी जिम्मेदार नहीं है। 

संजय राउत संकेत दे चुके हैं कि महाराष्ट्र में सरकार का गठन अब बस एक क़दम दूर है। राउत ने कहा था, ‘हम पहले बीजेपी को सरकार बनाने का मौक़ा देंगे और उसके बाद उन्हें विधानसभा में हराकर नई सरकार बनाने का काम शुरू कर देंगे।’

कहा जा रहा है कि शिवसेना को मनाने की बीजेपी की ओर से पूरी कोशिश की जा रही है लेकिन उसे इसमें सफलता नहीं मिली है। क्योंकि सारी लड़ाई मुख्यमंत्री पद के बँटवारे को लेकर है और दोनों ही दल इसमें एक-दूसरे के सामने झुकने के लिये तैयार नहीं हैं। 

'बदला' लेना चाहती है शिवसेना

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि शिवसेना पिछले पाँच साल तक महाराष्ट्र में सरकार में रहने के दौरान अपनी उपेक्षा का 'बदला' लेना चाहती है। सरकार में रहने के दौरान भी शिवसेना लगातार बीजेपी पर हमलावर रही थी और हालात इस कदर ख़राब हो गए थे कि यह माना जा रहा था कि लोकसभा चुनाव में गठबंधन नहीं होगा। लेकिन तब अमित शाह ख़ुद मातोश्री आये थे और उद्धव ठाकरे को मनाया था। मुख्यमंत्री की कुर्सी की लड़ाई में शिवसेना किसी भी क़ीमत पर चूकना नहीं चाहती क्योंकि उसे पता है कि उसके लिये यही सुनहरा ‘मौक़ा’ है, जब वह बीजेपी से राजनीतिक 'बदला' ले सकती है।

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