अकाली का पीएम पर हमला: 'आज वो (मुस्लिम) निशाने पर तो कल हम होंगे'
शिरोमणि अकाली दल (बादल) ने प्रधानमंत्री मोदी के बयान पर तीखा हमला किया है। पार्टी ने प्रधानमंत्री मोदी के उस बयान की आलोचना की है जिसमें उन्होंने कांग्रेस पार्टी के लोकसभा चुनाव घोषणापत्र पर विवादास्पद बयान दिया है।
शिरोमणि अकाली दल के महासचिव और प्रवक्ता परमबंस सिंह रोमाना ने पीएम मोदी के बयान वाले वीडियो क्लिप को साझा करते हुए कहा है कि जहर और नफरत एक अलग ही ऊँचाई पर पहुँच गई है। उन्होंने कहा कि हम सभी के साथ दिक्कत यह है कि हम अन्याय के बारे में तभी सोचते हैं जब वह हमारे खिलाफ होता है। उन्होंने कहा कि अगर आज उन्हें (मुसलमानों को) निशाना बनाया जा रहा है तो कल को हम भी निशाने पर होंगे।
Venom and hate at another level ‼️
— Parambans Singh Romana (@ParambansRomana) April 22, 2024
Btw India is supposed to be a “Sovereign, Socialist, Secular, Democratic Republic.”
The fault with all of us is that we think of injustice only when it happens against us.
If it is them today it will be us tmw.
Shameful and very disturbing ! pic.twitter.com/OxVkYCctjH
उनकी यह टिप्पणी प्रधानमंत्री मोदी के उस भाषण पर आई है जिसमें राजस्थान के बांसवाड़ा में एक रैली को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस लोगों की मेहनत की कमाई घुसपैठियों को देने की योजना बना रही है।
पीएम मोदी ने रविवार को चुनावी रैली में कहा था, 'उन्होंने (कांग्रेस ने) कहा था कि देश की संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है। इसका मतलब, ये संपत्ति इकट्ठी कर किसको बाँटेंगे? जिनके ज़्यादा बच्चे हैं उनको बाँटेंगे। घुसपैठिए को बाँटेंगे। ...ये कांग्रेस का मैनिफेस्टो कह रहा है... कि माताओं-बहनों के सोने का हिसाब करेंगे। ...जानकारी लेंगे और फिर संपत्ति को बाँट देंगे। और उनको बाँटेंगे जिनको मनमोहन सिंह जी की सरकार ने कहा था कि संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है। ये अर्बन नक्सल की सोच, मेरी माताओ, बहनो, ये आपका मंगलसूत्र भी बचने नहीं देंगे।'
पीएम मोदी के इस बयान पर शिरोमणि अकाली दल (बादल) की ओर से पहली ऐसी कड़ी प्रतिक्रिया आई है। इससे पहले इसने अपने पूर्व गठबंधन सहयोगी भारतीय जनता पार्टी पर सिख कैदियों की रिहाई और किसानों के लिए सभी फसलों पर एमएसपी जैसी मांगों को पूरा नहीं करने का आरोप लगाया था।
पिछले हफ्ते पूर्व मंत्री और अकाली दल के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया ने खुलेआम मतदाताओं से कहा था कि वे भाजपा उम्मीदवारों को पंजाब के गांवों में प्रवेश न करने दें।
उन्होंने कहा था, 'भाजपा ने किसानों को उनके विरोध के लिए दिल्ली की ओर जाने से रोक दिया। जैसे उन्होंने किसानों को दिल्ली जाने से रोका है, वैसे ही भाजपा उम्मीदवारों को भी पंजाब के गांवों में प्रवेश करने से रोका जाना चाहिए।'
उन्होंने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान पर भी हमला बोला। अकाली नेता ने कहा, 'भगवंत मान भाजपा के दलाल हैं और उन्होंने पंजाब में किसान विरोध प्रदर्शन के दौरान युवा किसान शुभकरण सिंह की हत्या के मामले में एफआईआर दर्ज नहीं की। अब जब किसान अमृतसर से बीजेपी प्रत्याशी तरनजीत सिंह संधू के खिलाफ प्रदर्शन करना चाहते हैं तो एसएसपी अमृतसर खुद किसानों को गांवों में रोकने पहुंचे। क्या यही लोकतंत्र है? क्या किसान अपनी चिंताएँ सामने नहीं रख सकते? जिस तरह से भाजपा उम्मीदवारों को पुलिस सुरक्षा प्रदान की गई है, उससे मैं आश्चर्यचकित हूं। यह लोकतंत्र के लिए शर्म की बात है और यह भी दिखाता है कि भगवंत मान भाजपा के लिए कैसे काम कर रहे हैं।'
वैसे, लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी और शिरोमणि अकाली दल के बीच गठबंधन के लिए बातचीत मार्च महीने तक चली थी। लेकिन आख़िरकार बीजेपी को पंजाब में झटका लगा था और अकाली दल ने समझौते से इनकार कर दिया था।
हालाँकि, तब सूत्रों के हवाले से मीडिया रिपोर्टों में कहा गया था कि दोनों दलों के बीच गठबंधन लगभग तय था। अकाली दल के हिस्से में 8 सीटें दी गई थीं। बीजेपी ने भी 5 सीटों पर चुनाव लड़ने की सहमति दे दी थी। नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़, मनप्रीत और पूर्व सीएम अमरिंदर सिंह भी सीट बंटवारे पर सहमत थे, मगर अचानक अकाली दल ने अंतिम समय में पैर पीछे खींच लिए।