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भारत जोड़ो यात्रा की कामयाबी को वोटों में बदलना होगा: शशि थरूर

भारत जोड़ो यात्रा की कामयाबी को वोटों में बदलना होगा: शशि थरूर

निश्चित रूप से यह बड़ा सवाल है कि भारत जोड़ो यात्रा में जिस तरह कांग्रेस नेताओं, समर्थकों और आम लोगों की भीड़ दिखाई दी है क्या वह वोटों में भी तब्दील होगी? कांग्रेस के सामने यह एक बड़ी चुनौती है। 

पूर्व केंद्रीय मंत्री और केरल से कांग्रेस के सांसद शशि थरूर ने कहा है कि भारत जोड़ो यात्रा कामयाब रही है और इसे देशभर में लोगों का अच्छा-खासा समर्थन भी मिला है। लेकिन उन्होंने साथ में यह भी कहा है कि इस समर्थन को वोटों में बदलना एक चुनौती है। 

बता दें कि भारत जोड़ो यात्रा तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा का सफर तय करते हुए बीते दिनों दिल्ली पहुंची थी। इन दिनों यात्रा रुकी हुई है। 

भारत जोड़ो यात्रा कुल 3570 किमी. की है। यात्रा 3000 किलोमीटर का सफर तय कर चुकी है। भारत जोड़ो यात्रा में 24 दिसंबर के बाद 9 दिनों का ब्रेक है और अब यह 3 जनवरी 2023 को फिर से शुरू होगी। 

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शशि थरूर अपीजे कोलकाता लिटरेरी फेस्टिवल में हिस्सा लेने आए थे और इस कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। थरूर ने कहा कि भारत जोड़ो यात्रा जहां से भी गुजरी है, इसने लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा है। लेकिन अब इसे वोटों में बदलना अगली चुनौती है और ऐसा अपने आप नहीं होगा। थरूर ने कहा कि जो लोग परंपरागत रूप से कांग्रेस से नहीं जुड़े हैं, वह आगे आए और उन्होंने भारत जोड़ो यात्रा को अपना समर्थन दिया और यह निश्चित रूप से बेहद उत्साहजनक है। 

बताना होगा कि शशि थरूर ने अक्टूबर में कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ा था हालांकि उन्हें मल्लिकार्जुन खड़गे के हाथों हार मिली थी लेकिन वह अंत तक चुनाव मैदान में डटे रहे थे। शशि थरूर एक वक्त में कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं के गुट G-23 में भी शामिल थे। हालांकि इस गुट की ओर से उन्हें चुनाव में किसी तरह का समर्थन नहीं मिला था और अब यह गुट पूरी तरह निष्प्रभावी हो गया है। 

यह पूछे जाने पर कि क्या कोरोना के कारण बने हालात इस यात्रा की कामयाबी के लिए खतरा बन सकते हैं, शशि थरूर ने कहा कि अब यह यात्रा समाप्त होने वाली है और इसे 26 जनवरी तक समाप्त करने की योजना है। उन्होंने कहा कि चीन में जो वायरस तबाही मचा रहा है वह भारत में जून और जुलाई में मिल चुका था लेकिन उससे कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ इसलिए डरने की कोई जरूरत नहीं है। 

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बता दें कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कुछ दिन पहले राहुल गांधी को चिट्ठी लिखकर कहा था कि चीन में कोरोना के खतरे को देखते हुए वह देश हित में भारत जोड़ो यात्रा को स्थगित कर दें। लेकिन कांग्रेस ने कहा था कि भारत जोड़ो यात्रा की कामयाबी से डरकर केंद्र सरकार बीजेपी के इशारे पर इस तरह के बहाने बना रही है। राहुल गांधी ने कहा था कि यह यात्रा कश्मीर तक जाएगी। 

आने वाले दिनों में इस यात्रा को उत्तर प्रदेश से होते हुए हरियाणा और पंजाब के बाद कश्मीर तक जाना है। थरूर ने कहा कि केंद्र की बीजेपी सरकार भारत जोड़ो यात्रा की कामयाबी से हिल गई है।

अब जब लोकसभा चुनाव 2024 के लिए ज्यादा वक्त नहीं बचा है, ऐसे में कांग्रेस इस यात्रा के जरिए खुद को मजबूत करने की कोशिश कर रही है। 

निश्चित रूप से यह बड़ा सवाल है कि भारत जोड़ो यात्रा में जिस तरह कांग्रेस नेताओं, समर्थकों और आम लोगों की भीड़ दिखाई दी है क्या वह वोटों में भी तब्दील होगी। कांग्रेस 2014 और 2019 का लोकसभा चुनाव बुरी तरह हार चुकी है और वर्तमान में उसकी सिर्फ तीन राज्यों में अपने दम पर सरकार है।

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साल 2023 में देश में 10 राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं और उसके बाद लोकसभा चुनाव भी सामने हैं। ऐसे में कांग्रेस ने भारत जोड़ो यात्रा के बाद हाथ से हाथ जोड़ो अभियान चलाने का भी ऐलान किया है लेकिन सवाल यह है कि क्या पार्टी को इसका चुनावी फायदा मिलेगा। 

क्या वह 2023 में कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, जम्मू-कश्मीर जैसे अहम राज्यों में चुनावी जीत हासिल कर पाएगी। क्या उसे भारत जोड़ो यात्रा के जरिये चुनावी फायदा होगा? अगर उसका इन राज्यों में प्रदर्शन बेहतर रहा तो वह 2024 के चुनाव में बीजेपी को चुनौती दे सकती है। 

लेकिन इसके साथ ही उसे एक मजबूत फ्रंट भी बनाना होगा और तमाम विपक्षी राजनीतिक दलों के साथ मिलकर ही चुनाव मैदान में उतरना होगा। देखना होगा कि पार्टी इन चुनौतियों से लड़ने के लिए खुद को किस तरह तैयार करती है। 

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