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शशि थरूर के दौरे को लेकर केरल कांग्रेस में हलचल क्यों?

शशि थरूर के दौरे को लेकर केरल कांग्रेस में हलचल क्यों?

कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार मल्लिकार्जुन खड़गे के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले शशि थरूर के अपने गृह राज्य का दौरा करने को लेकर किस तरह के सवाल उठ रहे हैं। क्या उनके दौरे से केरल कांग्रेस में गुटबाज़ी बढ़ रही है। 

तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस के सांसद शशि थरूर इन दिनों अपने गृह राज्य केरल के 4 दिन के दौरे पर हैं। लेकिन उनके इस दौरे को लेकर राज्य के कांग्रेस संगठन में ही नाराजगी के सुर सुनाई दिए। 

शशि थरूर ने कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार मल्लिकार्जुन खड़गे के खिलाफ चुनाव लड़ा था। तब भी उन्हें केरल कांग्रेस का समर्थन नहीं मिला था। शशि थरूर चुनाव मैदान से नहीं हटे थे और उन्होंने चुनाव में 1072 मत हासिल किए थे। इसे कांग्रेस नेतृत्व के लिए एक चुनौती माना गया था। 

अपने दौरे को लेकर सवाल उठने पर शशि थरूर ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि वह एक आम नागरिक हैं और उन्हें किसी कॉलेज या किसी कार्यक्रम में अपनी बात रखने की आजादी है। वह ऐसा करते रहे हैं और उन्हें ऐसा करने से कोई नहीं रोक सकता। 

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'गुटबाजी के खिलाफ हूं'

थरूर का कहना है कि वह कुछ भी ऐसा नहीं कह रहे हैं जो कांग्रेस या कांग्रेस के स्टैंड के खिलाफ हो और वह गुटबाजी के सख्त खिलाफ हैं। थरूर का कहना है कि जब से वह राजनीति में आए हैं, वह किसी भी गुट में शामिल नहीं हुए हैं और ना ही उनका ऐसे किसी गुट में शामिल होने या किसी गुट को शुरू करने का इरादा है। थरूर ने कहा है कि वह कांग्रेस पार्टी की एकजुटता चाहते हैं। 

केरल में कांग्रेस के कुछ नेताओं के यह कहने पर कि शशि थरूर 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले खुद को प्रोजेक्ट करने की कोशिश कर रहे हैं, शशि थरूर ने इसके जवाब में एनडीटीवी से कहा कि यह एक अजीब सी बात है। 

G-23 में शामिल थे थरूर

याद दिलाना होगा कि शशि थरूर कांग्रेस में एक वक्त में सक्रिय रहे असंतुष्ट नेताओं के गुट G-23 में शामिल रहे थे। इस गुट ने सोनिया गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष रहते हुए उन्हें पत्र लिखा था और पार्टी में बड़े बदलाव किए जाने की मांग की थी। हालांकि कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में शशि थरूर को G-23 गुट से कोई समर्थन नहीं मिला था और वह अकेले पड़ गए थे। 

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नेता प्रतिपक्ष वीडी सतीशन

हालांकि कांग्रेस ने आधिकारिक रूप से शशि थरूर के दौरे को लेकर कुछ नहीं कहा है लेकिन केरल की विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष वीडी सतीशन ने थरूर का नाम लिए बिना कहा था कि कांग्रेस केरल में किसी भी तरह की ‘समानांतर गतिविधि’ नहीं चाहती और लगातार दो विधानसभा चुनाव में हार के बाद पार्टी कमबैक मोड में है। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कांग्रेस ने केरल में सियासी ताकत दिखाई थी। 

तारिक अनवर ने चेताया 

कांग्रेस के महासचिव तारिक अनवर ने इसे लेकर चेतावनी जारी की है और कहा है कि कोई भी पार्टी लाइन से ऊपर नहीं है और शशि थरूर व सभी नेताओं को केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के द्वारा बनाए गए नियमों का पालन करना चाहिए। तारिक अनवर ने कहा कि केरल कांग्रेस के अध्यक्ष और विपक्ष के नेता इस मामले में अपना बयान दे चुके हैं और वह उनके बयान का समर्थन करते हैं। 

उन्होंने यहां तक कहा कि अगर केरल कांग्रेस इस मामले में थरूर के खिलाफ कोई शिकायत देगी, तभी एआईसीसी इसमें दखल देगी। 

शशि थरूर तीन बार तिरुवनंतपुरम से सांसद चुने जा चुके हैं और वह मोदी लहर में भी चुनाव जीत कर आए थे। थरूर का कहना है कि उन्हें केरल में जिन कार्यक्रमों में बुलाया गया है, वह उनमें शामिल हो रहे हैं और इसका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है।

नहीं बनाया स्टार प्रचारक

थरूर को कांग्रेस ने गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में स्टार प्रचारकों की सूची से बाहर रखा था। थरूर ने कहा था कि अगर उनका नाम स्टार प्रचारकों की सूची में होता तो वह चुनाव प्रचार के लिए जरूर जाते। तब भी इसे लेकर सवाल उठा था कि आखिर थरूर को स्टार प्रचारकों की सूची से बाहर क्यों रखा गया। 

युवक कांग्रेस ने रद्द किया कार्यक्रम

केरल युवक कांग्रेस ने शशि थरूर के लिए एक सेमिनार आयोजित किया था लेकिन बाद में उसने इस से हाथ खींच लिए थे। थरूर के समर्थक के. मुरलीधरन ने कहा कि थरूर को केरल की राजनीति में सक्रिय होने से रोकने की कोशिश की जा रही है और इससे केरल कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद के बाकी दावेदार परेशान हैं। युवक कांग्रेस ने इस कार्यक्रम से हाथ क्यों खींच लिए इसे लेकर भी काफी चर्चा हो रही है। 

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कोझिकोड के सांसद एमके राघवन ने कहा है कि इससे शशि थरूर का अपमान हुआ है और वह इस बारे में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ ही पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी और  केरल कांग्रेस के नेताओं को भी पत्र लिखेंगे। उन्होंने कहा कि इसे माफ नहीं किया जा सकता है। 

क्या है परेशानी?

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी केरल की वायनाड सीट से सांसद हैं, इसलिए कांग्रेस के लिए यह राज्य अहम है। लेकिन सवाल यह है कि शशि थरूर कांग्रेस के सांसद हैं और उनके राज्य का दौरा करने से कांग्रेस के कुछ नेताओं को क्या परेशानी हो सकती है। 

बताया जा रहा है कि ऐसा पहली बार हुआ है जब शशि थरूर अपने लोकसभा क्षेत्र तिरुवनंतपुरम से बाहर निकल कर इतने बड़े स्तर पर कार्यक्रमों में भाग ले रहे हैं और इससे कांग्रेस में उनके समर्थक नेताओं का एक गुट बन रहा है।

इस तरह की चर्चा है कि शशि थरूर राज्य में अपना सियासी आधार बढ़ाना चाहते हैं। तो क्या शशि थरूर की नजर केरल कांग्रेस के अध्यक्ष के पद पर है। शशि थरूर ने कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में उतरकर अपनी सियासी महत्वाकांक्षा को जाहिर किया है हालांकि उन्हें हार मिली लेकिन इस चुनाव की वजह से उन्हें देश भर के कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच में एक पहचान जरूर मिली है। 

थरूर को बनाएं चेहरा 

सांसद एमके राघवन ने मांग की है कि शशि थरूर को केरल में कांग्रेस का चेहरा बनाया जाना चाहिए। उन्होंने पार्टी नेतृत्व से अपील की है कि वह शशि थरूर के खिलाफ अघोषित रूप से लगाए गए प्रतिबंध की भी जांच करे।

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रमेश चेन्निथला

गुटबाजी की शिकार रही है कांग्रेस

केरल में कांग्रेस गुटबाजी की शिकार रही है और माना जाता है कि गुटबाजी की वजह से ही बीते साल मई में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) को हार मिली थी। केरल में कांग्रेस नेताओं के बीच जबरदस्त गुटबाज़ी के कारण ही पार्टी आलाकमान ने विधानसभा चुनाव में किसी भी नेता को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं किया था।

चुनाव नतीजों के बाद जब कांग्रेस आलाकमान ने वीडी सतीशन को विपक्ष का नेता बनाया था तो पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चांडी और पिछली विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे रमेश चेन्निथला इस क़दम से नाराज दिखे थे। बताया जाता है कि सतीशन की नियुक्ति राहुल गांधी और महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल के मजबूती से उनके पक्ष में खड़े रहने के कारण हुई थी। 

केरल कांग्रेस में एक वक़्त दो बड़े कांग्रेसी नेताओं के. करुणाकरन और एके एंटनी के बीच सियासी लड़ाई थी, समय गुजरने के साथ ही वैसी लड़ाई ओमन चांडी और रमेश चेन्निथला के बीच होती थी। 

तो क्या अब शशि थरूर को लेकर केरल कांग्रेस में किसी तरह की गुटबाजी शुरू हो सकती है। इसका पता आने वाले दिनों में चलेगा। लेकिन अगर गुटबाजी होती है तो बेहद खराब दौर से गुजर रही कांग्रेस के लिए यह अच्छा नहीं होगा। 

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