दुनिया भर में ओमिक्रॉन वैरिएंट के खौफ के बीच आज भारतीय शेयर बाजारों में बड़ी गिरावट आई। दोपहर 12:30 बजे तक तो सेंसेक्स में 1583 अंक की गिरावट आ गई और यह 55427 पर पहुँच गया। यह 2.78 फ़ीसदी की गिरावट रही। निफ़्टी में भी क़रीब 2 फ़ीसदी की गिरावट आई और यह क़रीब 16600 पर पहुँच गया। एक रिपोर्ट के अनुसार, दो दिनों में निवेशकों के ₹11 लाख करोड़ से अधिक का नुक़सान हुआ है।
रुपया भी अमेरिकी डॉलर के मुक़ाबले गिरा है। सोमवार को शुरुआती सौदों में अमेरिकी डॉलर के मुक़ाबले रुपया 9 पैसे गिरकर 76.15 पर पहुँच गया था।
समझा जाता है कि इस गिरावट की सबसे बड़ी वजह ओमिक्रॉन वैरिएंट का संक्रमण है। दुनिया भर में ओमिक्रॉन मामलों में वृद्धि के कारण आर्थिक सुधार के पटरी से उतरने का ख़तरा है। इसी ने बाज़ार की धारणा को प्रभावित किया।
यूरोप के कुछ हिस्सों में ओमिक्रॉन के तेजी से फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन जैसे उपाए किए जा रहे हैं। इससे निवेशकों पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। यूरोपीय देश नीदरलैंड में रविवार को लॉकडाउन लगाया गया और क्रिसमस से पहले कई और देशों में कोरोना प्रतिबंध लगाए जाने की आशंका है।
अमेरिका के शीर्ष स्वास्थ्य अधिकारी एंथनी फाउची ने कुछ घंटे पहले ही कहा है कि दुनिया भर में अभी तो ओमिक्रॉन वैरिएंट बढ़ना शुरू ही हुआ है।
ब्रिटेन में ओमिक्रॉन वैरिएंट के 25 हज़ार से ज़्यादा मामले सामने आ चुके हैं। वहाँ दूसरे वैरिएंट के पॉजिटिव केस भी आ रहे हैं। अब तो इंग्लैंड में संक्रमण इतना ज़्यादा फैला है कि वहाँ हर रोज़ संक्रमण के मामले रिकॉर्ड स्तर पर आ रहे हैं।
ब्रिटेन में हर रोज़ कोरोना के 90 हज़ार से ज़्यादा पॉजिटिव केस आने लगे हैं। दूसरे यूरोपीय देश और अमेरिका में भी संक्रमण के मामले काफ़ी ज़्यादा आने लगे हैं।
ओमिक्रॉन की चिंताओं के बीच ही वैश्विक बाज़ार में गिरावट देखी गई। दुनिया भर के बाज़ारों के साथ ही एशियाई बाज़ार भी नीचे की ओर रहे। इस सबका भारत के सेंसेंक्स और निफ्टी पर भी असर पड़ा। आर्थिक मामलों के जानकार गिरावट की एक और वजह बताते हैं। उनका मानना है कि दुनिया भर के केंद्रीय बैंक आक्रामक रुख अपनाए हुए हैं और अपनी नीतियों को कड़ा कर दिया है। कई देशों के केंद्रीय बैंकों ने इंटरेस्ट रेट बढ़ा दिया है।
'लाइव मिंट' से बातचीत में स्वास्तिका इन्वेस्टमार्ट लिमिटेड के शोध प्रमुख संतोष मीणा ने कहा कि भारतीय बाज़ारों में बिकवाली फेडरल रिज़र्व का आक्रामक रुख, रुपये की कमजोरी और एफआईआई द्वारा लगातार बिकवाली की वजह से भी है। उन्होंने कहा कि 'वैश्विक बाजार भी अस्थिर हो रहे हैं और कमजोरी दिखा रहे हैं जिससे भारतीय इक्विटी बाजार में अस्थिरता भी हो सकती है। ओमिक्रॉन वैरिएंट के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं और कई देशों ने कुछ तरह के प्रतिबंध के क़दम उठाने शुरू कर दिए हैं जिससे बाजार की धारणा भी आहत हो रही है।'