राम मंदिर राजनीतिः शरद पवार ने भी 22 को अयोध्या जाने से मना किया
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार ने 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल नहीं होने का फैसला किया है। राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय को लिखे पत्र में शरद पवार ने कहा कि वह इसके बाद समय निकालेंगे। प्राण प्रतिष्ठा समारोह और "दर्शन" के लिए वो अयोध्या जाएँगे लेकिन बाद में।
NCP chief Sharad Pawar receives an invitation to attend the pran pratishtha ceremony of Ram Temple in Ayodhya. Sharad Pawar wrote a letter to General Secretary of Ram Janmabhoomi Teerth Kshetra Champat Rai.
— ANI (@ANI) January 17, 2024
The letter reads, "After the pran pratistha ceremony is completed on… pic.twitter.com/XeYmrctqq4
शरद पवार ने पत्र में कहा, ''22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा समारोह पूरा होने के बाद, मैं स्वतंत्र रूप से समय निकालकर दर्शन के लिए आऊंगा और तब तक राम मंदिर का निर्माण कार्य भी पूरा हो जाएगा।''
शरद पवार पहले राजनीतिक शख्स नहीं हैं, जिन्होंने 22 जनवरी के कार्यक्रम में जाने से मना नहीं किया है। दरअसल, भाजपा ने बहुत चतुराई से 22 जनवरी के लिए तमाम विपक्षी नेताओं, फिल्म स्टारों, क्रिकेटरों, रंगकर्मियों और अन्य प्रमुख लोगों को अयोध्या आने का निमंत्रण भेज दिया। इसे लेकर कांग्रेस लंबे समय तक पसोपेश में रही। हालांकि कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने जहां जाने से मना किया, वहीं यूपी कांग्रेस के कुछ नेता तीन दिनों पहले अयोध्या में बन रहे राम मंदिर में जा पहुंचे। गुजरात कांग्रेस के नेता भी अयोध्या जाने की तैयारी कर रहे हैं।
दरअसल, सबसे पहले पुरी और ज्योतिष पीठ उत्तराखंड के शंकराचार्यों ने खुलकर प्राण प्रतिष्ठा को लेकर राजनीति करने का आरोप राम मंदिर ट्रस्ट पर लगाया। दोनों शंकराचार्यों ने कहा कि समारोह को लेकर की जा रही राजनीति धर्माचार्यों का अपमान है। इसलिए उन्होंने 22 जनवरी को अयोध्या न जाने का फैसला किया है। इनके दो अन्य शंकराचार्यों ने आलोचना तो नहीं की लेकिन 22 जनवरी को अयोध्या जाने पर उन्होंने भी चुप्पी साध ली। विपक्ष का आरोप है कि पीएम मोदी के मुकाबले शंकराचार्यों के वहां जाने पर उन्हें ज्यादा महत्व मिलता इसलिए शंकराचार्यों को तमाम बहाने कर नहीं बुलाया गया।
कांग्रेस ने भी भाजपा पर इसे "राजनीतिक प्रोजेक्ट" बनाने का आरोप लगाते हुए, अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में न जाने का फैसला किया है। कांग्रेस के बयान में कहा गया, ''भगवान राम हमारे देश में लाखों लोगों द्वारा पूजे जाते हैं। धर्म एक निजी मामला है. लेकिन आरएसएस/बीजेपी ने लंबे समय से अयोध्या में मंदिर का राजनीतिक प्रोजेक्ट बनाया है. भाजपा और आरएसएस के नेताओं द्वारा अधूरे मंदिर का उद्घाटन स्पष्ट रूप से चुनावी लाभ के लिए किया जा रहा है।”
कांग्रेस ने कहा था कि “2019 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन करते हुए और भगवान राम का सम्मान करने वाले लाखों लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुए, मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी और अधीर रंजन चौधरी ने स्पष्ट रूप से आरएसएस/भाजपा कार्यक्रम के निमंत्रण को सम्मानपूर्वक अस्वीकार कर दिया है।”
वहीं, राहुल गांधी ने राम मंदिर आमंत्रण को अस्वीकार करने के अपनी पार्टी के फैसले का बचाव करते हुए आरोप लगाया कि राम मंदिर प्रतिष्ठा समारोह को "चुनावीकरण" के साथ "नरेंद्र मोदी और आरएसएस-भाजपा समारोह" में बदल दिया गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22 जनवरी को भव्य मंदिर में राम लला की मूर्ति की स्थापना में शामिल होने के लिए तैयारी कर रहे हैं। उनका 11 दिनों का विशेष अनुष्ठान जारी है। जिसके तहत वो मंदिरों में पूजा कर रहे हैं। राम मंदिर ट्रस्ट के अनुसार, अयोध्या में समारोह 16 जनवरी से शुरू होकर सात दिनों की अवधि में जारी रहेगा।