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अमरमणि त्रिपाठी की रिहाई पर रोक से सुप्रीम कोर्ट का इंकार

अमरमणि त्रिपाठी की रिहाई पर रोक से सुप्रीम कोर्ट का इंकार

कवयित्री मधुमिता शुक्ला की हत्या के मामले में दोषी उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री और गैंगस्टर से नेता बने अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी को किस आधार पर रिहा किया जा रहा है?

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को यूपी के पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि की जेल से रिहाई पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है। दोनों मधुमिता शुक्ला की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे थे। इसका मतलब है कि यूपी के पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी जल्द ही जेल से रिहा हो जाएंगे। 

न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने मधुमिता की बहन निधि शुक्ला की याचिका पर राज्य सरकार, त्रिपाठी और उनकी पत्नी को नोटिस जारी कर आठ सप्ताह के भीतर जवाब मांगा।

सुप्रीम कोर्ट में यह मामला तब पहुँचा जब राज्य जेल प्रशासन विभाग द्वारा मंत्री और उनकी पत्नी की रिहाई के संबंध में एक आदेश जारी किया गया। उसमें कहा गया कि जेल में 'अच्छे आचरण' के आधार पर उन्हें रिहा करने का फ़ैसला लिया गया है। आदेश में कहा गया है कि यदि किसी अन्य मामले के लिए ज़रूरी नहीं है तो मंत्री और उनकी पत्नी को हिरासत से रिहा किया जाना चाहिए।

दोनों 2003 में कवयित्री मधुमिता शुक्ला की सनसनीखेज हत्या के दोषी पाए गए थे। त्रिपाठी के साथ उनकी पत्नी भी 2007 से आजीवन कारावास की सजा काट रही हैं।

कवयित्री मधुमिता शुक्ला की 9 मई 2003 को हत्या कर दी गई थी। उनका शव लखनऊ के निशातगंज इलाके में उनके घर पर पाया गया था। शुक्ला 24 साल की थीं और कथित तौर पर त्रिपाठी की प्रेमिका थीं।

अमरमणि त्रिपाठी उस समय चार बार विधायक रहे थे, उनके विभिन्न राजनीतिक दलों से संबंध थे और उनका काफी प्रभाव था। मायावती सरकार में मंत्री रहे त्रिपाठी को बहुजन समाज पार्टी प्रमुख के दाहिने हाथ के रूप में देखा जाता था।

यही वजह थी कि शुक्ला के परिवार को डर था कि त्रिपाठी न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप कर सकते हैं, इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने मामले को लखनऊ से देहरादून स्थानांतरित कर दिया था।

अमरमणि त्रिपाठी ने शुरू में दावा किया था कि इस नृशंस हत्या से उनका कोई लेना-देना नहीं है। हालाँकि, केंद्रीय जाँच ब्यूरो द्वारा किए गए डीएनए परीक्षण के बाद उनके इनकार को खारिज कर दिया गया, जिससे पता चला कि जब शुक्ला की गोली मारकर हत्या की गई थी तब उनके पास जो बच्चा था वह त्रिपाठी का था।

सीबीआई ने अपनी जाँच में अमरमणि और उनकी पत्नी मधुमणि को दोषी करार देते हुए अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया था। उन पर गवाहों को डराने-धमकाने का आरोप लगा और केस देहरादून ट्रांसफर कर दिया गया।

बहरहाल, दोनों की रिहाई का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुँच गया है। पीड़िता मधुमिता की बहन निधि शुक्ला द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि दंपति ने असंबंधित मामलों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी आदेशों का हवाला देकर गलत तरीके से रिहाई के लिए अपने आधार में हेरफेर किया है। हालाँकि, याचिका पर आदेश आने से पहले दोनों को रिहा किया जा सकता है।

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