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कोरोना की तीसरी लहर अगस्त में आ सकती है: एसबीआई रिपोर्ट

कोरोना की तीसरी लहर अगस्त में आ सकती है: एसबीआई रिपोर्ट

एसबीआई ने एक रिपोर्ट जारी कर कहा है कि तीसरी लहर अगस्त में आ सकती है और इसके क़रीब एक महीने बाद सितंबर में यह अपने चरम पर होगी। 

कोरोना की दूसरी लहर के ढलान पर होने और डेल्टा प्लस वैरिएंट के मामले आने के दौरान जिस तीसरी लहर की आशंका जताई जा रही थी उसको लेकर अब एसबीआई ने एक रिपोर्ट जारी की है। इसने कहा है कि तीसरी लहर अगस्त में आ सकती है और इसके क़रीब एक महीने बाद सितंबर में यह अपने चरम पर होगी। 

मौजूदा समय में कोरोना की दूसरी लहर चल रही है और हर रोज़ क़रीब 30-40 हज़ार मामले सामने आ रहे हैं। लेकिन एसबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि जुलाई के दूसरे हफ़्ते तक ये घटकर हर रोज़ क़रीब 10 हज़ार संक्रमण के मामले तक आ सकते हैं। 

भारतीय स्टेट बैंक यानी एसबीआई की यह रिपोर्ट तब आई है जब पिछले हफ़्ते ही देश के छह राज्यों में कोरोना के केस बढ़ने पर केंद्र सरकार ने विशेषज्ञों की टीमें भेजी हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि उन टीमों में अलग-अलग मामलों से जुड़े अलग-अलग विशेषज्ञ शामिल हैं। ये टीमें केरल, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और मणिपुर के लिए भेजी गईं। 

एसबीआई ने कोविड-19: रेस टू फिनिशिंग लाइन' नाम से रिपोर्ट प्रकाशित की है। न्यूज़18 की रिपोर्ट के अनुसार एसबीआई समूह के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने रिपोर्ट में कहा, 'मौजूदा आँकड़ों के अनुसार, भारत में जुलाई के दूसरे सप्ताह में हर रोज़ दस हज़ार के आसपास कोरोना मामले आ सकते सकते हैं। हालाँकि, अगस्त के दूसरे पखवाड़े तक मामले बढ़ने शुरू हो सकते हैं।'

रिपोर्ट में कहा गया है कि अनुमान इस वायरस के संक्रमण के 'पिछले रुझानों' पर आधारित हैं। एसबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक आंकड़ों से पता चलता है कि औसतन तीसरी लहर के दौरान चरम पर कोरोना के मामले महामारी की दूसरी लहर से लगभग दो या 1.7 गुना अधिक होंगे। 

वैसे, एसबीआई की रिपोर्ट से पहले जब देश के कई राज्यों में डेल्टा प्लस वैरिएंट के मामले सामने आने लगे तभी से कोरोना संक्रमण फिर से फैलने की आशंका जताई गई है।

ऐसा इसलिए कि यह डेल्टा प्लस उस डेल्टा वैरिएंट का ही एक म्यूटेंट है जिसे दुनिया भर में अब सबसे बड़ा ख़तरा माना जा रहा है। यह वही डेल्टा वैरिएंट है जिसे भारत में कोरोना की दूसरी लहर में तबाही लाने के लिए ज़िम्मेदार माना गया। 

 - Satya Hindi

भारत में जब दूसरी लहर अपने शिखर पर थी तो हर रोज़ 4 लाख से भी ज़्यादा संक्रमण के मामले रिकॉर्ड किए जा रहे थे। देश में 6 मई को सबसे ज़्यादा 4 लाख 14 हज़ार केस आए थे। यह वह समय था जब देश में अस्तपाल बेड, दवाइयाँ और ऑक्सीजन जैसी सुविधाएँ भी कम पड़ गई थीं। ऑक्सीजन समय पर नहीं मिलने से बड़ी संख्या में लोगों की मौतें हुईं। अस्पतालों में तो लाइनें लगी ही थीं, श्मशानों में भी ऐसे ही हालात थे। इस बीच गंगा नदी में तैरते सैकड़ों शव मिलने की ख़बरें आईं और रेत में दफनाए गए शवों की तसवीरें भी आईं।

चिंता की वजह डेल्टा प्लस इसलिए है कि शुरुआती शोध के आधार पर इसे डेल्टा वैरिएंट से भी ज़्यादा घातक माना जा रहा है। कहा जा रहा है कि डेल्टा प्लस मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज कॉकटेल दवा के निष्क्रिय होने के सबूत मिल रहे हैं। ऐसे में यह ज़्यादा घातक हो सकता है। 

एसबीआई की रिपोर्ट में इससे बचने के लिए कोरोना वैक्सीन पर जोर दिया गया है। लेकिन फ़िलहाल देश में क़रीब 45 लाख ही हर रोज़ टीके लगाए जा रहे हैं। अब तक 35 करोड़ टीके लगाए जा चुके हैं। 

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