मैं भी मनुष्य ही हूं, कोई देवता थोड़े ही न हूं। मैं भी गलती कर सकता हूं।'
- नरेन्द्र मोदी
वैसे तो भगवान को मैं नहीं मानता, फिर भी उसका शुक्रिया कि मोदी जी को आखिर यह पता चल गया कि वे देवता नहीं हैं, ईश्वर नहीं हैं। भगवान का इस बात के लिए भी धन्यवाद कि मोदी जी को यह ज्ञात हो गया कि वह भी 'ग़लती ' कर सकते हैं मगर एक बात समझ में नहीं आई कि उन्हें यह पता कैसे चला कि वे मनुष्य हैं क्योंकि यह जरूरी तो नहीं कि जो भगवान नहीं हो, वह मनुष्य ही हो!
पर खैर इसकी बात बाद में करेंगे। पहले तो मोदी जी आप इस पर प्रकाश डालें कि आपको इसका पता कब और कैसे चला कि आप देवता नहीं हो! लोकसभा चुनाव के समय तो आपने खुद बताया था कि आप नॉन बायोलॉजिकल हो! मां के पेट से पैदा नहीं हुए हो, ऊपर से टपके हो, भगवान का अवतार हो! फिर इन छह महीनों में ऐसा क्या हो गया कि जो आदमी कल तक नॉन बायोलॉजिकल था, वो अचानक बायोलॉजिकल हो गया! इस बीच लोकसभा चुनाव ही तो हुए हैं और तो कुछ खास हुआ नहीं है। इसमें आपकी यानी आपकी पार्टी की सीटें कुछ कम हुई हैं, अपने दम पर आप बहुमत जुटा नहीं सके हैं मगर फिर भी सरकार तो आपकी ही बनी है और अभी ठाठ से चल भी रही है।
इसके कुछ महीने पहले भाजपा ने मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ के चुनाव जीते थे। फिर अभी हरियाणा तथा महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में भी जीत हासिल की है। इस तर्क से तो अपने ईश्वर होने पर आपका भरोसा और भी पुख्ता होना चाहिए था मगर आप तो कह रहे हैं कि मैं देवता नहीं हूं! कल का भगवान, आज मनुष्य कैसे हो गया! कहीं कुछ भारी गड़बड़ है। कोई तो गहरा रहस्य है। और आप नॉन बायोलॉजिकल को कल तक तो पक्का भरोसा था कि आप कभी गलती कर नहीं सकते तो आपको यह अहसास कैसे हो गया कि आप भी ग़लती कर सकते हो? इसका जवाब भी आपको अब देना होगा!
मोदी जी ने जब आपने मान ही लिया है कि आपसे 'भी ग़लती' हो सकती है तो आपको यह भी बताना चाहिए था कि वह कौन-सी ग़लती है, जो आपसे हुई है? कहीं आप यह तो कहना नहीं चाहते कि आज तक तो आपसे कोई ग़लती नहीं हुई है मगर आगे हो सकती है?
मान लो आप यह कहना चाहते हैं कि आपसे 'ग़लती' हो चुकी है तो वह ग़लती कौनसी है? 2002 का गुजरात नरसंहार वह 'गलती' है? अगर इसे आपकी 'ग़लती ' मान लें तो यह आपकी ऐसी 'ग़लती' है, जो आप न करते तो गुजरात के मुख्यमंत्री कैसे बने रह पाते? फिर 'हिंदू हृदय सम्राट' आपको कौन मानता और फिर आप प्रधानमंत्री कैसे बन पाते! तो इसे तो आप अपनी 'ग़लती' मान ही नहीं सकते। वैसे भी यह 'गलती' नहीं थी, जो कि आप बेचारे से हो गई थी! नरसंहार कभी गलती से नहीं हुआ करते! तो फिर क्या आप इसे अपनी ग़लती मानेंगे कि 2014 के लोकसभा चुनावों के समय आपने 'अच्छे दिन' का वायदा किया था, सबको 15-15 लाख रुपए देने का वचन दिया था, दो करोड़ रोजगार हर साल देने का लालच दिया था और ऐसा आपको नहीं करना चाहिए था? यह 'ग़लती' आप न करते तो प्रधानमंत्री नहीं बन पाते! तो यह भी आपकी 'ग़लती' नहीं हुई! तो जनता जानना चाहती है कि आखिर आपसे 'ग़लती' क्या हुई? क्या अडानी से आपकी दोस्ती आपकी वह 'ग़लती' है? वह भी नहीं है। तब सच- सच बताना कि मोदी जी कौनसी ग़लती आपसे हुई है? बार बार झूठ बोलना आपकी गलती है? वह भी नहीं है क्योंकि जिस पोडकास्ट को लेकर आप चर्चा में हैं, उसमें भी आपने ढेर सारा झूठ परोसा है!
फिर माननीय यह बताइए कि आप किस आधार पर अपने आपको मनुष्य मानते हो? ठीक है आपके भी दो पैर, दो हाथ आदि हैं, जो मनुष्य रूपी हर जीव के होते हैं मगर मनुष्य होना बिलकुल अलग बात है। हर दो पाया मनुष्य नहीं होता। कहीं ऐसा तो नहीं कि आपकी मातृभाषा चूंकि गुजराती है, इसलिए आप सभी दो पायों को मनुष्य मान बैठे और आपने ग़लती से अपने को भी मनुष्य बता दिया! अगर बात यह है तो आपकी यह ग़लती माफ करने लायक है।
क्यों भाइयो- बहनो, इतना काफी है या थोड़ी और गहराई में जाया जाए? वैसे और भी मौके मोदी जी देते रहेंगे। इस बारे में वह अत्यंत उदार हृदय हैं, इसलिए जल्दी क्या है?