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पत्रा चॉल घोटाला क्या है और संजय राउत कितना जुड़े हैं उससे? 

पत्रा चॉल घोटाला क्या है और संजय राउत कितना जुड़े हैं उससे? 

शिवसेना सांसद संजय राउत को जिस पत्रा चॉल घोटाले में गिरफ्तार किया गया, आखिरी वो पूरा विवाद क्या है और राउत का उससे कितना संबंध है। जानिए इस रिपोर्ट में।

पत्रा चॉल घोटाला कोई छोटा घोटाला नहीं है। इसके तार मनी लॉन्ड्रिंग तक से जुड़े पाए गए हैं। इस मामले में शिवसेना सांसद संजय राउत की गिरफ्तारी से ऐसा लग रहा है कि जैसे उन्होंने ही सारा घोटाला किया हो लेकिन इस केस में कई और लोग भी आरोपी हैं।

उद्धव ठाकरे गुट से जुड़े राज्यसभा सांसद राउत ने शुरू से ही इस मामले में किसी भी गलत काम से इनकार किया था और आरोप लगाया था कि राजनीतिक प्रतिशोध के कारण उन्हें निशाना बनाया जा रहा है। ईडी ने जब रविवार को उनके घर की तलाशी ली तो उसके बाद राउत ने ट्वीट किया, मेरा किसी घोटाले से कोई लेना-देना नहीं है। यह मैं शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे की शपथ लेकर कह रहा हूं। बालासाहेब ने हमें लड़ना सिखाया और मैं शिवसेना के लिए लड़ना जारी रखूंगा।

क्या है कथित घोटाला?

2007 में, गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने मुंबई के उपनगरीय गोरेगांव में स्थित पत्रा चॉल के 672 किरायेदारों को नए घर देने के लिए महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (MHADA या म्हाडा) के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। प्राइवेट डेवलपर्स ने फिर म्हाडा के लिए फ्लैट बनाए और शेष जमीन को बेच दिया।

ईडी के मुताबिक, हालांकि संजय राउत के करीबी प्रवीण राउत और गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन के अन्य डायरेक्टरों ने 672 विस्थापित किराएदारों के लिए एक भी घर नहीं बनाया। उन्होंने कथित तौर पर फ्लोर स्पेस इंडेक्स को नौ निजी डेवलपर्स को बेचकर 901.79 करोड़ रुपये जुटाए। 

गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन ने "द मीडोज" नामक एक प्रोजेक्ट शुरू किया और फ्लैट खरीदारों से लगभग 138 करोड़ रुपये की बुकिंग राशि ली। ईडी ने आरोप लगाया है कि इन अवैध गतिविधियों के जरिए गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन ने 1,039.79 करोड़ रुपये बनाए।

राउत और उनकी पत्नी पर क्या हैं आरोप?

ईडी का दावा है कि प्रवीण राउत ने हाउसिंग डेवलपमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एचडीआईएल) से 100 करोड़ रुपये प्राप्त किए, जिसमें गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड एक सहायक कंपनी है और इसे अपने करीबी सहयोगियों, परिवार के सदस्य" के विभिन्न खातों में "डायवर्ट" किया गया। इन व्यावसायिक संस्थाओं में संजय राउत का परिवार भी शामिल है।

ईडी के अनुसार, 2010 के दौरान, आय का एक हिस्सा, 83 लाख रुपये की राशि, प्रवीण राउत की पत्नी माधुरी राउत से प्रत्यक्ष / अप्रत्यक्ष रूप से वर्षा राउत को प्राप्त हुई थी। इस राशि का इस्तेमाल वर्षा राउत ने दादर में एक फ्लैट की खरीद के लिए किया था। यह भी पता चला है कि ईडी की जांच शुरू होने के बाद 55 लाख रुपये की राशि वर्षा राउत ने माधुरी राउत को ट्रांसफर की थी। कई अन्य लेनदेन भी हैं।

ईडी के आरोप के मुताबिक उस अवधि के दौरान, अलीबाग में आठ प्लॉट भी वर्षा राउत और संजय राउत के करीबी सहयोगी सुजीत पाटकर की पत्नी स्वप्ना पाटकर के नाम पर खरीदे गए थे। इस जमीन के सौदे में विक्रेताओं को पंजीकृत मूल्य के अलावा नकद भुगतान भी किया गया। प्रवीण राउत की इन संपत्तियों और अन्य संपत्तियों की पहचान करने पर, प्रवीण राउत और उनके सहयोगियों की इन सभी संपत्तियों को कुर्क करने का अस्थायी आदेश जारी किया गया है।

जांच कितनी आगे बढ़ी?

 संजय राउत से इस मामले में 1 जुलाई को पूछताछ की जा चुकी है और उन्होंने जांच अधिकारी के साथ करीब 10 घंटे बिताए। इस दौरान धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) या हवाला की आपराधिक धाराओं के तहत उनका बयान दर्ज किया गया।

अप्रैल में, ईडी ने इस जांच के तहत वर्षा राउत और उनके दो सहयोगियों की 11.15 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति को अस्थायी रूप से कुर्क किया था। अलीबाग में आठ प्लॉट और मुंबई के दादर उपनगर में एक फ्लैट उनके और उनके परिवार से जुड़ा हुआ है।

अप्रैल में प्रेस को दिए एक बयान में, शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा था, मैं डरने वाला नहीं हूं। मेरी संपत्ति जब्त करो, मुझे गोली मार दो, या मुझे जेल भेज दो, संजय राउत बालासाहेब ठाकरे के अनुयायी और एक शिव सैनिक हैं, वह लड़ेंगे और सभी को बेनकाब करेंगे। मैं चुप रहने वालों में से नहीं हूं, उन्हें डांस करने दो। सच्चाई की जीत होगी। 

ईडी ने इस मामले में फरवरी में प्रवीण राउत को गिरफ्तार किया था। वह फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं।

एजेंसियों का बेजा इस्तेमाल?

ईडी, सीबीआई, इनकम टैक्स के किसी विपक्षी नेता को समन करने या छापेमारी के बाद वही पुराना सवाल फिर से खड़ा हो जाता है कि क्या इन एजेंसियों का बेजा इस्तेमाल हो रहा है। पिछले आठ सालों में जांच एजेंसियों की छापेमारी पर ढेरों सवाल उठे हैं कि क्यों ये एजेंसियां विपक्षी नेताओं, उनके रिश्तेदारों, करीबियों को धड़ाधड़ समन भेज रही हैं या उनके घरों-दफ़्तरों में छापेमारी कर रही हैं। 

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