सहारनपुर हिंसा: 8 आरोपी कोर्ट से रिहा, पुलिस के पास न सबूत, न गवाह
पैगंबर मोहम्मद पर बीजेपी नेता नूपुर शर्मा की अशोभनीय टिप्पणी के बाद सहारनपुर में जुमे की नमाज के बाद काफी हिंसा हुई थी। पुलिस ने समुदाय विशेष के लोगों की गिरफ्तारियां की थीं। स्थानीय अदालत ने शनिवार को 8 आरोपियों को रिहा करने का आदेश दिया। पुलिस पर फर्जी धाराएं लगाने का आरोप कोर्ट में लगाया गया था।
सहारनपुर में 10 जून को जुमे की नमाज के बाद बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी। उस समय पुलिस ने इसे गहरी साजिश बताते हुए कई युवकों की धरपकड़ की थी। इसी दौरान एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें सहारनपुर के एक थाने में मुस्लिम युवकों को बंद कर पुलिस उन्हें बेतहाशा पीट रही है। इस वीडियो के सामने आने के बाद सरकार की बहुत किरकिरी हुई थी। इसी तरह अन्य स्थानों से भी पुलिस के बर्बरता की शिकायतें मिली थीं।
यह मामला सोमवार को सुनवाई के लिए जिला जज की कोर्ट में आया तो उन्होंने सीआरपीसी की धारा 169 के तहत सभी 8 आरोपियों को फौरन रिहा करने का आदेश दिया। पुलिस को इस बात के लिए फटकारा की उसने सबूत पेश ही नहीं किए। अदालत ने इस बात पर हैरानी जताई कि बिना किसी चोट के धारा 307 कैसे लगा दी गई। बता दें कि अभी दो दिन पहले ही राज्य सरकार ने यहां के एसएसपी को हटाया था।
दरअसल, इन आठ आरोपियों के परिवारों ने पुलिस को सीसीटीवी फुटेज सौंपे थे, जिससे पता चलता है कि आरोपी 10 जून को हिंसा स्थल पर मौजूद नहीं थे। लेकिन पुलिस उस सच को मानने में आनाकानी करती रही।
Muslims who were protesting for the derogatory remarks against Prophet ﷺ were beaten in Police custody in Saharanpur (UP), BJP MLA quotes the video as a return gift, where as 54 people were sent to jail after punishing in custody.#إلا_رسول_الله_يا_مود #ProphetMuhammad pic.twitter.com/b9ru91Rghd
— Nazaket Rather (@RatherNazaket) June 11, 2022
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि हमने मामले के जांच अधिकारी (आईओ) से आठ आरोपियों के परिवारों द्वारा किए गए दावों की असलियत बताने के लिए कहा। जांच अधिकारी ने हिंसा के वीडियो और तस्वीरों की जांच की और पाया कि वे 8 आरोपी किसी में भी मौजूद नहीं थे। इसके बाद हमने सीआरपीसी की धारा 169 के तहत अदालत में एक आवेदन दिया (सबूत की कमी होने पर आरोपी की रिहाई की मांग की)। अदालत ने तब उनकी रिहाई का आदेश दिया।
पुलिस ने सहारनपुर की हिंसा में कुल 85 लोगों को गिरफ्तार किया था। रिहा हुए लोगों में 19 साल के मोहम्मद अली भी हैं जो एक आरा मिल में मजदूरी करते थे। लेकिन पुलिस ने उनको उठा लिया। मोहम्मद अली को उस वायरल वीडियो में पुलिस वालों द्वारा पीटते देखा गया था। मोहम्मद अली को इतना पीटा गया कि उनके शरीर में कई जगह फ्रैक्चर हुआ है। कोर्ट के आदेश पर वो छूट गए हैं लेकिन पुलिस ने उन्हें सिर्फ समुदाय विशेष के नाम पर जो दर्द दिया है, वो उनकी जिन्दगी का हमेशा के लिए दर्द बन गया है। क्या सहारनपुर पुलिस उस युवक के फ्रैक्चर की भरपाई करेगी, जिसे उन्होंने सिर्फ धर्म के नाम पर पीटा।