लगता है कि राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के लिए मुसीबत बन चुका है। क्योंकि संघ की 7 से 9 दिसंबर तक राजस्थान के पुष्कर में चली तीन दिवसीय बैठक में इस मुद्दे पर चिंता जताई गई है कि एनआरसी की फ़ाइनल सूची से छूटे हुए लोगों में अधिकांश हिंदू हैं। संघ ने कहा है कि एनआरसी की फ़ाइनल सूची में कुछ त्रुटियाँ हैं और सरकार को इन्हें दूर करना चाहिए। हालाँकि संघ ने एनआरसी की प्रक्रिया का स्वागत किया है। मीडिया को संघ के इस कार्यक्रम से दूर रखा गया था।
याद दिला दें कि हाल ही में संघ ने मोदी सरकार से कहा था कि वह एक बार फिर संसद में नागरिकता संशोधन विधेयक को पेश करे। माना जा रहा है कि संघ ने ऐसा इसलिए कहा था क्योंकि एनआरसी की फ़ाइनल सूची से जो 19 लाख लोग बाहर रह गए हैं, उनमें बड़ी संख्या में हिंदू शामिल हैं और उन्हें नागरिकता विधेयक के जरिये राहत दिये जाने की कोशिश की जा रही है। बीजेपी और संघ ही असम और देश भर में घुसपैठियों का मुद्दा उठाते रहे हैं।
बैठक को अखिल भारतीय स्वयंसेवक संघ नाम दिया गया था। बैठक में संघ परिवार के 35 संगठनों के 200 प्रतिनिधि शामिल हुए। बीजेपी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा, राष्ट्रीय महासचिव बीएल संतोष और राम माधव ने भी बैठक में हिस्सा लिया। बैठक में अनुच्छेद 370 और राम मंदिर निर्माण को लेकर भी चर्चा हुई।
बैठक में संघ प्रमुख मोहन भागवत से लेकर संघ के सभी बड़े पदाधिकारी मौजूद रहे। सूत्रों ने अंग्रेजी टीवी चैनल इंडिया टुडे को बताया कि जेपी नड्डा ने बैठक में पार्टी का दृष्टिकोण रखा। इसके अलावा बैठक में सीमा सुरक्षा से जुड़े मसलों पर भी चर्चा हुई। बैठक की ख़ास बात यह रही कि बैठक स्थल पर आरएसएस के संस्थापक हेडगेवार, पूर्व प्रमुख गोलवलकर के साथ डॉ. अंबेडकर और गुरु नानक देव के भी होर्डिंग लगाये गये थे।
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़, संघ से जुड़े संगठन सीमा जागरण मंच ने बैठक में एनआरसी के मुद्दे को रखा। मंच की ओर से इस बात पर चिंता जताई गई कि मूल रूप से कई भारतीय लोग एनआरसी में आने से छूट गये हैं, इनमें वे लोग भी हैं जो पड़ोसी राज्यों से आकर असम में बसे थे। मंच के नेताओं ने इस पर भी चिंता व्यक्त की कि छूटे हुए 19 लाख लोगों में से ज़्यादातर लोग हिंदू हैं।
बता दें कि असम बीजेपी एनआरसी की आलोचना कर चुकी है और उसने मांग की है कि अगर फ़ॉरनर्स ट्रिब्यूनल में अपील के बाद भी लोग छूट जाते हैं तो सरकार को उनकी सुरक्षा के लिए विधेयक लाना चाहिए।
एनआरसी की फ़ाइनल सूची का प्रकाशन 31 अगस्त को हुआ था और इसमें आने से रह गए लोगों के पास अपील करने के लिए 120 दिन का समय है।
पीटीआई के मुताबिक़, बैठक में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाये जाने और इसके बाद कश्मीर में बने हालात को लेकर भी चर्चा की गई। यहां बताना ज़रूरी होगा कि संघ अपने गठन के बाद से ही जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और धारा 35ए को हटाने की मांग करता रहा है। केंद्र के इस संबंध में फ़ैसले के बाद संघ परिवार ने इसका पुरजोर समर्थन किया था।
पीटीआई के मुताबिक़, संघ समर्थित संगठन पूर्व सैनिक सेवा परिषद ने भी कश्मीर को लेकर हालात पर और देश की सुरक्षा को लेकर अपनी बात बैठक में रखी। इसके अलावा बैठक में देश के आर्थिक हालात को लेकर भी चर्चा हुई है और स्वदेशी जागरण मंच और भारतीय मजदूर संघ ने भी अपनी बात रखी।
संघ के सह सरकार्यवाह दतात्रेय होसबले ने मीडिया से कहा कि आरक्षण तब तक जारी रहना चाहिए जब तक लोगों को इसकी ज़रूरत है। हसबोले ने कहा, ‘हमारे समाज में अभी भी सामाजिक और आर्थिक असमानता है और इसलिए आरक्षण की ज़रूरत है। हम पूरी तरह संविधान द्वारा दिये गये आरक्षण का समर्थन करते हैं।’
बता दें कि अगस्त में संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान के बाद ख़ासा बवाल हुआ था जिसमें उन्होंने कहा था कि आरक्षण के पक्ष और विपक्ष में जो लोग हैं, उनके बीच इसे लेकर बहस होनी चाहिए।