मोहन भागवत सोशल मीडिया पर ट्रेंड करते रहे। सोशल मीडिया यूज़र उन्हें 'ब्राह्मण विरोधी' बताकर उनसे माफी मांगने की मांग कर रहे हैं। अभी तक भागवत की ओर से माफी तो नहीं मांगी गई, लेकिन सफ़ाई ज़रूर जारी की गई है। यह सफ़ाई भी आरएसएस के प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने बयान जारी कर दी है। तो सवाल है कि संघ प्रमुख ने ऐसा कह दिया कि यह बयान जारी करना पड़ गया।
दरअसल, यह विवाद शुरू हुआ रविवार को एक कार्यक्रम में मोहन भागवत के बयान के बाद से। उन्होंने उस कार्यक्रम में मराठी भाषा में जाति व्यवस्था को लेकर उद्बोधन दिया था। उसको लेकर एएनआई और अन्य मीडिया रिपोर्टों में भागवत के हवाले से कहा गया था, 'जब हर काम समाज के लिए है तो कोई ऊंचा, कोई नीचा या कोई अलग कैसे हो गया? भगवान ने हमेशा बोला है कि मेरे लिए सभी एक हैं, उनमें कोई जाति, वर्ण नहीं है, लेकिन पंडितों ने श्रेणी बनाई, वो ग़लत था।' लेकिन इस बयान का आज खंडन आ गया। सफाई में क्या कहा गया, उससे पहले सुनिये भागवत ने क्या कहा। आरएसएस प्रचार प्रमुख ने ही वह वीडियो साझा किया है।
आरएसएस की ओर से आज जारी सफ़ाई के बीच ही समाचार एजेंसी एएनआई ने मोहन भागवत के बयान पर अपने कल के ट्वीट को वापस ले लिया है। इसने नया ट्वीट जारी करते हुए कहा है कि अनुवाद में ग़लती हुई थी।
एएनआई के नए ट्वीट के मुताबिक़ भागवत ने कहा, 'सत्य ही ईश्वर है, सत्य कहता है मैं सर्वभूति हूं, रूप कुछ भी रहे योग्यता एक है, ऊँच-नीच नहीं है, शास्त्रों के आधार पर कुछ पंडित जो बताते हैं वह झूठ है। जाति की श्रेष्ठता की कल्पना में ऊँच-नीच में अटक कर हम गुमराह हो गए, भ्रम दूर करना है।'
कुछ इसी तरह के बयान आरएसएस प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने भी जारी किया। उन्होंने ट्वीट में इस बात पर जोर देने की कोशिश की है कि भागवत का पंडित से मतलब विद्वान कहने से था। आंबेकर भागवत के कहे वाक्यों में ब्रैकेट में उसका अर्थ बताते हुए सफ़ाई देते हैं।
लेकिन ऐसी सफ़ाई के बीच ही ट्विटर पर मोहन भागवत को पंडितों को लेकर दिए बयान पर जबरदस्त प्रतिक्रिया हुई। दुर्गेश पांडे नाम के यूज़र ने लिखा है, 'भागवत अपनी गंदी राजनीति के लिये ब्राह्मणों को बलि का बकरा बना रहे हैं।'
इस यूज़र ने एक अन्य ट्वीट में माफी नहीं मांगने तक मंदिरों में प्रवेश को रोकने की मांग कर डाली है।
शुभम शर्मा नाम के यूज़र ने लिखा है, 'आरएसएस को पता होना चाहिए कि शब्दों को बुद्धिमानी से कैसे चुनना है। किसी को खुश करने के लिए ब्राह्मणों को अकारण गाली देना ठीक नहीं है। भारत में, यदि आप कुछ हासिल करना चाहते हैं, लेकिन बिना कुछ काम के तो ब्राह्मणों को गाली दें।'
मोहन भागवत के बयान पर तीखी प्रतिक्रियाएँ आने के बाद सोमवार को आरएसएस प्रचार प्रमुख की ओर से सफाई आई है। लेकिन सफाई आने के बाद भी ट्विटर पर भागवत को माफी मांगने की मांग करने वाले ट्वीट आते रहे।
वैसे, 2024 के चुनाव से पहले भागवत के इस बयान वाला मुद्दा बीजेपी के लिए नुक़सानदेह साबित हो सकता है। 2015 में आरक्षण पर भागवत के एक बयान पर विवाद हो गया था। तब बिहार में चुनाव होने वाला था। कहा जाता है कि बीजेपी को भागवत के उस बयान का बहुत बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ा था और चुनाव नतीजे इसके खिलाफ़ गए थे।