आरजेडी में वर्चस्व की लड़ाई तेज़, तेजस्वी-तेज प्रताप आमने-सामने
लालू के लाल तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव के बीच की जंग अब खुल कर सामने आ गई है। यह राजनीतिक लड़ाई तो है ही, निजी खुन्नस और व्यक्तिगत महात्वाकांक्षा का टकराव भी है।
बड़े भाई तेज प्रताप ने आरोप लगाया है कि लालू प्रसाद यादव को दिल्ली में 'बंधक' बना कर रखा गया है तो छोटे भाई तेजस्वी ने इसका जवाब देते हुए कहा कि यह दावा बिहार के 'पूर्व मुख्यमंत्री की प्रतिष्ठा के अनुकल नहीं है'।
तेज प्रताप यादव ने शनिवार को कहा था कि हालांकि लालू जी को जेल से रिहा हुए काफी समय हो गया है, उन्हें उन लोगों ने दिल्ली में बंधक बना रखा है जो खुद को राष्ट्रीय जनता दल का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाना चाहते हैं।
उन्होंने कहा,
“
मेरे पिता बीमार हैं। पार्टी में चार-पाँच लोग हैं जो राष्ट्रीय जनता दल का अध्यक्ष बनने का ख्वाब देख रहे हैं। उन्हें जेल से रिहा हुए एक साल हो गया, पर वे दिल्ली में बंधक हैं।
तेज प्रताप यादव, विधायक, राष्ट्रीय जनता दल
तेजस्वी का पलटवार
बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी ने अपने बड़े भाई पर पलटवार किया और तंज करते हुए कहा, "लालू जी बिहार के मुख्यमत्री रह चुके हैं, उन्होंने लाल कृष्ण आडवाणी तक को जेल में डाल दिया। इस तरह की बातें उनकी गरिमा के अनुकूल नहीं हैं।"
दोनों भाइयों के बीच मनमुटाव और सियासी दाँव पेच तो पहले से है, पर पिछले महीने यह खुल कर सामने आ गया जब तेज प्रताप ने छात्र जनशक्ति परिषद की स्थापना कर दी।
इसे इस रूप में देखा गया कि वे पार्टी के अंदर रहते हुए एक स्वतंत्र संगठन खड़ा कर अपनी स्थिति मजबूत कर रहे हैं और पार्टी के समानांतर काम कर रहे हैं।
इस पर नाराज़ तेजस्वी यादव ने कहा था कि पार्टी के हर सदस्य को 'अनुशासन का पालन' करना चाहिए।
“
तेजस्वी एक तरह से अपने बड़े भाई के काम को अनुशासनहीनता बता रहे थे और एक तरह से उन्हें अल्टीमेटम भी दे रहे थे।
तेजस्वी की स्थिति मजबूत
तेजस्वी के बारे में कहा जाता है कि पूरी पार्टी पर उनकी पकड़ मजबूत है और लालू प्रसाद यादव की ग़ैर मौजूदगी में उन्होंने पार्टी को न सिर्फ बखूबी चलाया बल्कि पहले से अधिक मजबूत व संगठित बनाया।
खुद लालू यादव ने जेल से रिहा होने के बाद इस मुद्दे पर तेजस्वी की तारीफ की थी।
तेजस्वी का कद इससे भी समझा जा सकता है कि विधानसभा चुनाव में दूसरे दलों के साथ बातचीत कर एक बीजेपी-विरोधी मोर्चा बनाने से लेकर टिकट बंटवारे और हर चुनाव क्षेत्र में जाकर चुनाव प्रचार करने का काम उन्होंने ही किया था।
जिस तरह तेजस्वी ने दस लाख युवाओं को रोज़गार देने का एलान कर सत्तारूढ़ जनता दल युनाइटेड के सामने चुनौती खड़ी कर दी और बीजेपी को उसके विभाजनकारी एजेंडे से बाहर निकल रोज़गार जैसे मुद्दों पर बोलने के लिए मजबूर कर दिया था, उससे उनका कद यकायक बढ़ गया।
उन्हें इस रूप में पेश किया जाने लगा था कि उन्होंने पार्टी को आज के युवाओं की आकांक्षाओं से जोड़ दिया है और अपने पिता के समय के 'यादवों की पार्टी' के ठप्पे को पोंछ कर साफ कर दिया है।
तेज प्रताप इसके मुकाबले बहुत ही पीछे छूट गए एक सामान्य विधायक की तरह नज़र आने लगे। उन्होंने अपने भाई को चुनौती तो दे दी है, पर वे यह चुनौती लंबे समय तक बरकरार नही रख पाएंगे और तेजस्वी के हाथ से नेतृत्व नहीं छीन पाएंगे, यह साफ है।