विश्वविद्यालयों में 13 प्वाइंट रोस्टर सिस्टम और सवर्ण ग़रीबों को 10 फ़ीसदी आरक्षण दिए जाने के ख़िलाफ़ राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) की ओर से आज भारत बंद का आह्वान किया गया है। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा है कि आरएसएस एससी-एसटी और ओबीसी वर्ग का आरक्षण ख़त्म करने पर आमादा है।
13 प्वाइंट रोस्टर को लेकर तेजस्वी यादव बिहार की नीतीश सरकार पर ख़ासे हमलावर रहे हैं। इसके विरोध में हाल ही में उन्होंने बिहार में यात्रा भी निकाली थी। तेजस्वी ने कहा कि नीतीश पिछड़ों और पासवान दलितों के नाम पर राजनीति को कलंकित कर रहे हैं।
आरजेडी नेता ने कहा कि सरकार ने निजी क्षेत्र में आरक्षण लागू नहीं किया और नीतीश और पासवान जातिवादी संगठन आरएसएस का कीर्तन करने में जुटे हैं। संसद के शीतकालीन सत्र में एसपी, आरजेडी और बीएसपी ने 13 प्वाइंट रोस्टर के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया था।
तेजस्वी ने कहा है कि बीजेपी ने विश्वविद्यालयों में वंचितों का आरक्षण समाप्त कर दिया और जातिगत जनगणना के आँकड़े छिपा लिए।
उधर, जदयू के मुख्य प्रवक्ता संजय सिंह ने भारत बंद को नाटक बताया है। उन्होंने कहा कि भारत बंद करने के बहाने तेजस्वी अपनी राजनीति चमकाने में लगे हैं। मुख्य प्रवक्ता ने कहा कि जदयू 13 प्वाइंट आरक्षण रोस्टर को पुनः बहाल करने की माँग कर चुका है।
13 प्वाइंट रोस्टर का विरोध क्यों
ऐसी आशंका है कि विश्वविद्यालयों में दलितों, पिछड़ों और आदिवासी तबक़ों के लिए कोटा प्रणाली के तहत आरक्षित शिक्षण पदों को लगभग समाप्त किए जाने की तैयारी है। यह आशंका दो कारणों से है। पहला कारण यह कि, 200 प्वाइंट वाली रोस्टर व्यवस्था की जगह 13 प्वाइंट वाली रोस्टर व्यवस्था करना। और दूसरा, विश्वविद्यालय के स्तर के बजाय विभाग या विषय के स्तर पर आरक्षण करना। कहा जा रहा है कि नई व्यवस्था में दलितों, पिछड़ों और आदिवासी तबक़ों की बारी ही नहीं आएगी।
इसलिए है आशंका
रोस्टर आरक्षण व्यवस्था में यह तय होता है कि कौन से पद किस श्रेणी में रखे जाएँगे। 200 प्वाइंट रोस्टर का अर्थ है कि 200 पद तक रोस्टर क्रमवार चलेगा, उसके बाद फिर 1 से शुरू होकर 200 पद तक जाएगा। इस हिसाब से 200 प्वाइंट रोस्टर फ़ॉर्मूले में क्रम वार सभी तबक़ों के लिए पद 200 नम्बर तक तय हो जाते हैं। लेकिन 13 प्वाइंट रोस्टर में ऐसा नहीं है।