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ब्रिटेन के पीएम बनने के और क़रीब पहुँचे भारतीय मूल के ऋषि सुनाक

ब्रिटेन के पीएम बनने के और क़रीब पहुँचे भारतीय मूल के ऋषि सुनाक

भारतीय मूल के ऋषि सुनाक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री पद के और क़रीब पहुँच गए हैं। दूसरे राउंड की वोटिंग में वह शिखर पर रहे। जानिए, आख़िर वह पीएम पद के इतने क़रीब कैसे पहुँचे और वह कौन हैं।

बोरिस जॉनसन के इस्तीफ़े के बाद ब्रिटेन में प्रधानमंत्री पद की दौड़ में ऋषि सुनाक बेहद आगे हैं और कहा जा रहा है कि वह पीएम बनने के बेहद नजदीक पहुंच गए हैं। दूसरे राउंड की वोटिंग में 101 वोट पाकर शीर्ष पर रहे। पूर्व ब्रिटिश वित्त मंत्री ऋषि सुनाक ने कंजरवेटिव पार्टी के नेता चुने जाने के लिए पहले राउंड के मतदान में सबसे अधिक वोट हासिल किए थे। इसके साथ ही कहा जा रहा है कि जॉनसन के बाद अब किसी भारतीय मूल के व्यक्ति के प्रधानमंत्री बनने की संभावनाएँ ज़्यादा हो गई हैं।

सुनाक के राजकोष के चांसलर या सामान्य अर्थों में कहें तो वित्तमंत्री के रूप में इस्तीफा देने के साथ ही बोरिस जॉनसन की सरकार संकट में आ गई थी। सुनाक के इस्तीफ़े के बाद एक एक कर कई मंत्रियों और शीर्ष अधिकारियों ने इस्तीफ़ा दे दिया। और फिर आख़िर में बोरिस जॉनसन को पीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा।

ऋषि सुनाक ने कोरोना महामारी के दौरान यूके की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाया और व्यापक रूप से उन्हें संभावित प्रधानमंत्री के रूप में देखा जा रहा है। सुनाक फरवरी 2020 में चांसलर बने और कुछ ही हफ्तों में उनको कोरोना महामारी में देश में आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से किसी भी चांसलर को ऐसे गंभीर संकट का सामना नहीं करना पड़ा था। यूके की अर्थव्यवस्था को महामारी और लॉकडाउन के बीच चलाना बड़ी चुनौती माना गया। कहा जाता है कि सुनाक ने वित्त मंत्री के तौर पर इस स्थिति से बेहतर तरीक़े से निपटा और इससे उनकी छवि मज़बूत हुई।

ऋषि इंग्लैंड में ही जन्मे

वैसे तो ऋषि सुनाक भारतीय मूल के हैं लेकिन उनके माता-पिता पूर्वी अफ्रीका से यूके आए थे। उनके माता पिता दोनों भारतीय मूल के हैं। उनके दादा-दादी पंजाब से थे। ऋषि का जन्म 1980 में साउथम्प्टन में हुआ था, जहाँ उनके पिता एक जीपी थे, और उनकी माँ फार्मेसी चलाती थीं।

सुनाक यूके में पैदा हुई पीढ़ी से हैं, लेकिन वह मूल रूप से कहीं और से हैं, और उनका कहना है कि यह पहचान उनके लिए मायने रखती है। उन्होंने 2019 में बीबीसी को दिए एक साक्षात्कार में कहा था, 'मेरे माता-पिता यहाँ आकर बस गए हैं, इसलिए आपके पास इस पीढ़ी के लोग हैं जो यहां पैदा हुए हैं, उनके माता-पिता यहां पैदा नहीं हुए हैं और वे इस देश में जीवन-यापन करने आए हैं।'

सुनाक ने कहा है कि वह समुदाय की सेवा के लिए अपने पिता के समर्पण की प्रशंसा करते हैं और अपनी मां को फार्मेसी में मदद करने से उन्हें व्यवसाय में अपना पहला सबक मिला।

वेटर के रूप में काम किया था

वह एक निजी स्कूल विनचेस्टर कॉलेज में पढ़े और अपनी गर्मी की छुट्टियों के दौरान साउथम्प्टन में एक करी हाउस में वेटर के रूप में काम किया। इसके बाद वे ऑक्सफोर्ड पढ़ने चले गए थे। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में एमबीए की पढ़ाई के दौरान उनकी मुलाकात भारतीय अरबपति और आईटी सेवाओं की दिग्गज कंपनी इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति की बेटी अक्षता मूर्ति से हुई। दोनों ने शादी कर ली और दंपति की दो बेटियाँ हैं।

2001 से 2004 तक सुनाक निवेश बैंक, गोल्डमैन सैक्स के विश्लेषक थे। उन्हें सबसे अमीर सांसदों में से एक माना जाता है। 2015 के बाद से वह यॉर्कशायर में रिचमंड के लिए कंजर्वेटिव सांसद रहे हैं।

वह पूर्व प्रधानमंत्री थेरेसा मे की सरकार में जूनियर मंत्री बने। फरवरी 2020 में चांसलर के रूप में पदोन्नत होने से पहले, उन्हें उनके उत्तराधिकारी बोरिस जॉनसन द्वारा ट्रेजरी का मुख्य सचिव बनाया गया था।

सुनाक पहले मिस्टर जॉनसन के मुखर समर्थक थे, लेकिन हाल ही यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया कि उन्हें लगा कि अर्थव्यवस्था के लिए उनका दृष्टिकोण जॉनसन से 'मौलिक रूप से बहुत अलग' है।

सुनाक ने यूरोपीय संघ के जनमत संग्रह में हटने के लिए उत्साहपूर्वक प्रचार किया, उन्होंने यॉर्कशायर पोस्ट को बताया कि उनका मानना ​​​​है कि यह ब्रिटेन को 'स्वतंत्र, निष्पक्ष और अधिक समृद्ध' बना देगा।

उन्होंने तर्क दिया कि ब्रसेल्स से लालफीताशाही से ब्रिटेन के व्यापार को दबाया गया था, लेकिन वह आशावादी थे कि ब्रेक्सिट के बाद यूरोपीय संघ के साथ एक मुक्त व्यापार समझौते पर सहमति हो सकती है।

उन्होंने थेरेसा मे के ब्रेक्सिट सौदे के लिए सभी तीन मौकों पर मतदान किया जब इसे संसद में रखा गया था। लेकिन वह बोरिस जॉनसन के शुरुआती समर्थक भी थे, जिसके लिए उन्हें जुलाई 2019 में स्थानीय सरकार के मंत्री से पदोन्नत कर ट्रेजरी के मुख्य सचिव के रूप में पुरस्कृत किया गया था। बहरहाल, इन हालातों और पदों से गुजरते हुए वह अब ब्रिटेन के प्रधानमंत्री की रेस में सबसे आगे हैं।

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