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'सिद्धू पर अंकुश लगाए कांग्रेस हाईकमान, वरना चुनाव में होगा नुक़सान'

'सिद्धू पर अंकुश लगाए कांग्रेस हाईकमान, वरना चुनाव में होगा नुक़सान'

कांग्रेस हाईकमान को इस बात का अंदेशा है कि सिद्धू उसके लिए बहुत बड़ी मुसीबत बन सकते हैं। इसलिए ही हाईकमान ने राज्य के नेताओं को बुलाकर उनसे बातचीत की है।

पंजाब कांग्रेस में प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के खिलाफ चल रही नाराजगी के बाद कांग्रेस हाईकमान सक्रिय हो गया है। हाईकमान ने पंजाब सरकार के चार मंत्रियों और एक विधायक को मंगलवार को दिल्ली बुलाया और उनसे बातचीत की। हाईकमान ने जिन मंत्रियों को दिल्ली बुलाया उनमें उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा भी शामिल थे। 

इन सभी नेताओं की कांग्रेस के महासचिव (संगठन) से बात हुई और उन्होंने कहा कि सिद्धू पर अंकुश लगाना जरूरी है वरना पार्टी को पंजाब के विधानसभा चुनाव में भारी नुकसान हो सकता है। 

बता दें कि कांग्रेस हाईकमान ने फैसला लिया है कि पंजाब के चुनाव में पार्टी किसी भी नेता को मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर आगे नहीं करेगी और सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी। 

लेकिन हाईकमान के फैसले के बाद सिद्धू ने इससे असहमति दिखाई है जबकि प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने कहा है कि पार्टी हाईकमान का यह फैसला बिल्कुल ठीक है।

पंजाब सरकार के मंत्रियों सुखजिंदर सिंह रंधावा और भारत भूषण आशु ने भी नवजोत सिंह सिद्धू के खिलाफ नाराजगी जताई थी और कहा था कि सिद्धू को कांग्रेस का कल्चर सीखना चाहिए। 

कांग्रेस हाईकमान से मिलने वाले नेताओं में सुखजिंदर सिंह रंधावा के अलावा सिद्धू के करीबी परगट सिंह, भारत भूषण आशु, अमरिंदर सिंह राजा वडिंग और विधायक डॉ. अमर सिंह शामिल थे।

‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक, इन नेताओं की हाईकमान से मुलाकात के बाद पार्टी सिद्धू के संबंध में विकल्पों को देख रही है। सूत्रों के मुताबिक़, हाईकमान यह जानना चाहता है कि पार्टी के लिए ज्यादा नुकसानदेह क्या होगा सिद्धू की बयानबाजी या उन्हें प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष के पद से हटाना। 

 - Satya Hindi

‘द इंडियन एक्सप्रेस’ ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि केसी वेणुगोपाल से मिलने वाले अधिकतर नेताओं ने सिद्धू का समर्थन नहीं किया। मुलाकात के दौरान उनसे पूछा गया कि अगर सिद्धू चुनाव प्रचार के नजदीक आते ही अपना मोबाइल फोन बंद कर देते हैं तो क्या कोई नेता उन्हें मना पाएगा। सबका उत्तर ना में था। 

इन मंत्रियों ने हाईकमान से कहा कि परगट सिंह, राजा वडिंग और डॉक्टर अमर सिंह हाल ही में नवजोत सिंह सिद्धू से मिले थे लेकिन सिद्धू पर कोई असर नहीं पड़ा। 

सिद्धू के बारे में यह बात साफ है कि वह चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाए जाने से नाराज हैं और पंजाब का मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं।

परगट से भी नाराज 

यह भी कहा जा रहा है कि नवजोत सिंह सिद्धू हाल ही में अपने करीबी परगट सिंह की ओर से आयोजित की गई एक रैली में भी शामिल नहीं हुए और उन्होंने परगट के फोन कॉल का भी कोई जवाब नहीं दिया। 

सूत्रों के मुताबिक़, सुखजिंदर सिंह रंधावा अब प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए अपना नाम आगे बढ़ा रहे हैं। रंधावा ने कुछ दिन पहले ही सिद्धू के खिलाफ नाराजगी जताते हुए कहा था कि वह गृह मंत्री के पद से इस्तीफा देने के लिए तैयार हैं। 

जोखिम नहीं लेगा हाईकमान 

कांग्रेस हाईकमान को इस बात का अंदेशा है कि सिद्धू उसके लिए बहुत बड़ी मुसीबत बन सकते हैं। इसलिए ही हाईकमान ने राज्य के नेताओं को बुलाकर उनसे बातचीत की है। चुनाव से ठीक पहले हाईकमान सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटाने का जोखिम नहीं लेगा लेकिन उसे सिद्धू की लगाम जरूर कसनी होगी क्योंकि सिद्धू जिस तरह रैलियों में कांग्रेस उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर रहे हैं या फिर सरकारी एलान कर रहे हैं, उससे भी कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच अच्छा संदेश नहीं जा रहा है। 

देखना होगा कि कांग्रेस हाईकमान अति महत्वाकांक्षी नवजोत सिंह सिद्धू को साध पाता है या नहीं।

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