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अरुणाचल में एलएसी पर भारतीय व चीनी सैनिकों में झड़प: रिपोर्ट

अरुणाचल में एलएसी पर भारतीय व चीनी सैनिकों में झड़प: रिपोर्ट

क्या भारत और चीन के बीच सबकुछ सामान्य है? यदि ऐसा है तो फिर चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच लगातार झड़पों की ख़बरें क्यों आती रही हैं?

लद्दाख में सीमा पर डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया अभी कुछ समय पहले ही पूरी हुई थी कि अब अरुणाचल प्रदेश में वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी पर झड़प की ख़बर आई है। मीडिया रिपोर्टों में सरकारी सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि पिछले हफ्ते 9 दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश में एलएसी पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प हुई थी। सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि झड़प में दोनों पक्षों के कुछ कर्मियों को मामूली चोटें आई हैं और दोनों पक्ष 'तुरंत क्षेत्र से डिसइंगेज हो गए'।

पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार यह झड़प अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में हुई। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि चीनी सैनिकों ने एलएसी पार की, जिसका भारतीय सैनिकों ने पुरजोर तरीक़े से मुक़ाबला किया।

रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है, 'घटना के बाद क्षेत्र में हमारे कमांडर ने शांति बहाल करने के लिए ढांचागत तंत्र के अनुसार इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए अपने चीनी समकक्ष के साथ फ्लैग मीटिंग की।'

सूत्रों के हवाले से कहा गया है, 'अरुणाचल प्रदेश में तवांग सेक्टर में एलएसी के साथ कुछ क्षेत्रों को लेकर अलग-अलग धारणाएँ हैं, जिसमें दोनों पक्ष अपने दावे की सीमा तक क्षेत्र में गश्त करते हैं। 2006 से यही ट्रेंड चल रहा है।'

पूर्वी लद्दाख में झड़पों के बाद भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच पहली बार इस तरह की झड़प की रिपोर्ट सामने आई है।

जून 2020 में गलवान घाटी में सबसे भयानक झड़प हुई थी, जब 20 भारतीय सैनिक देश के लिए शहीद हो गए थे और 40 से अधिक चीनी सैनिक मारे जाने या घायल होने के दावे कई मीडिया रिपोर्टों में किए गए थे।

पूर्वी लद्दाख में उस झड़प के बाद डिसइंगेजमेंट के लिए दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के बीच कई दौर की वार्ता हुई।

पूर्वी लद्दाख में पेट्रोलिंग प्वाइंट-15, गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र पर भारत और चीन के बीच डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया सितंबर महीने में पूरी होने की रिपोर्ट आई थी। रिपोर्टों के मुताबिक़ उस डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया के तहत दोनों देशों के सैनिक अपने पूर्व तैनाती बिंदुओं पर वापस लौट गए। भारत और चीन के बीच कोर कमांडर स्तर की 16वीं बैठक के बाद गत 8 सितंबर को दोनों देशों ने डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया की घोषणा की थी।

सैन्य कमांडरों के बीच कई बैठकों के बाद भारतीय और चीनी सैनिक लद्दाख में गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स सहित प्रमुख बिंदुओं से पीछे हट गए और चीनी सेना 2020 से पहले की स्थिति में लौट आई।

अरुणाचल से लगी सीमा पर क्या है विवाद

चीन के साथ भारत की सीमा तीन सेक्टर्स- ईस्टर्न, मिडिल और वेस्टर्न में बाँटी जाती है। ईस्टर्न सेक्टर में सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश की सीमा चीन से लगती है। मिडिल सेक्टर में हिमाचल और उत्तराखंड की सीमा है और वेस्टर्न सेक्टर में लद्दाख है। 

चीन अरुणाचल प्रदेश के 90 हजार वर्ग किमी के हिस्से पर अपना दावा जताता रहा है। दरअसल, चीन की नज़र अरुणाचल प्रदेश में पड़ने वाले तवांग पर है। तवांग बौद्धों का प्रमुख धर्मस्थल है। इसे एशिया का सबसे बड़ा बौद्ध मठ भी कहा जाता है। चीन तवांग को तिब्बत का हिस्सा बताता रहा है। लेकिन वास्तविक स्थिति यह है कि 1914 में हुए एक समझौते के अनुसार तवांग को अरुणाचल का हिस्सा बताया गया था।

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