पूर्वी लद्दाख के देमचोक में चारडिंग नाला के भारतीय हिस्से में चीनियों ने तंबू लगा लिए हैं। वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के हवाले से एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। यह वही देमचोक गाँव का क्षेत्र है जहाँ चीन ने क़रीब 20 दिन पहले अपने सैनिक भेजे थे। एक रिपोर्ट के अनुसार तब चीनी सैनिक कई वाहनों पर सवार होकर बड़े चीनी झंडे लेकर भारतीय इलाक़े में घुसे थे और वहाँ क़रीब आधे घंटे तक रहे थे। सितम्बर 2014 में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के भारत दौरे के वक़्त ही चीनी सेना वहाँ घुस गई थी और प्रधानमंत्री मोदी द्वारा जिनपिंग से इस बारे में शिकायत करने के एक सप्ताह बाद ही चीनी सेना वहाँ से पीछे हटी थी।
हालाँकि, अब जो ताज़ा रिपोर्ट है उसमें तंबू लगाने वाले लोगों को साफ़ तौर पर चीनी सैनिक नहीं कहा गया है। 'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार अधिकारियों ने उन लोगों को 'तथाकथित ग़ैर-सैनिक' के रूप में बताया है और कहा कि भारत उन्हें वापस जाने के लिए कह रहा है तो भी उनकी उपस्थिति बनी हुई है।
वैसे, इस देमचोक इलाक़े को लेकर दोनों देशों के बीच विवाद है और इसलिए दोनों देश के सैनिक कई बार आमने-सामने आ चुके हैं। देमचोक इलाक़े में भारतीय सेना द्वारा की जा रही गश्ती पर चीनी सेना एतराज़ कर उन्हें गश्ती करने से रोकती रही है। इस मसले को भी भारत-चीन की सेनाओं के बीच चल रही बातचीत में शामिल किया गया है। चीन का दावा है कि देमचोक के इलाक़े में तिब्बती बौद्ध लोग ही रहते हैं इसलिये स्वाभाविक तौर पर यह तिब्बत यानी चीन का इलाक़ा है।
1990 के दशक में भारत-चीन संयुक्त कार्य समूहों की बैठकों के दौरान दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए थे कि डेमचोक और ट्रिग हाइट्स वास्तविक नियंत्रण रेखा पर विवादित बिंदु हैं।
लद्दाख क्षेत्र में ही 17 ऐसे बिंदु हैं जहाँ भारत और चीन की सेनाएँ आमने-सामने आ जाती हैं। इसमें चुमार सहित 12 बिंदु तो पहले से ही थे और इसी चुमार क्षेत्र में देमचोक गाँव आता है। ये वे क्षेत्र हैं जहाँ या तो दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हैं कि वे विवादित क्षेत्र हैं या फिर उन दोनों के दावे अलग-अलग हैं। अधिकारियों के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके अलावा पाँच बिंदु पिछले साल लद्दाख में संघर्ष के बाद इसमें जुड़े हैं। ये पाँच बिंदु हैं- गलवान घाटी में केएम120, श्योक सुला क्षेत्र में पीपी15 और पीपी17ए, रेचिन ला और रेजांग ला।
भारतीय क्षेत्र देमचोक में तंबू लगाने का यह मामला तब सामने आया है जब भारत और चीन के सैन्य कमांडरों की 12वें दौर की वार्ता होनी है।
पूर्वी लद्दाख के सीमांत इलाक़ों से चीनी सेना के वापस जाने को लेकर भारत और चीन के बीच पिछली बार सैन्य कमांडरों की 11वें दौर की वार्ता अप्रैल में ही हुई थी। इसके बाद से दोनों देशों के विदेश मंत्रालयों के आला अधिकारियों का आपस में संवाद होता रहा है। लेकिन इस मसले पर पिछली बार औपचारिक वार्ता 26 जून को हुई थी और उसमें सहमति बनी थी कि सैन्य कमांडरों की 12वें दौर की वार्ता जल्द आयोजित होगी। पर आज तक भारतीय विदेश मंत्रालय यह कहने की स्थिति में नहीं है कि सैन्य कमांडरों की 12वीं बैठक कब होगी।
इन वार्ता की ख़बरों के बीच यह रिपोर्टें आती रही हैं कि पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में चीन बड़ी तेज़ी से सैन्य संरचना खड़ा कर रहा है। भारत ने भी इस समय का उपयोग अपने रक्षा कार्यों और बुनियादी ढांचे को उन्नत करने और क्षेत्र में नई पीढ़ी के उपकरणों को शामिल करने के लिए किया है।
दोनों देशों के बीच सैन्य तनातनी लम्बी खिंचने के बीच देमचोक में चीनियों द्वारा टेंट लगाने का मामला तब आया है जब इसी महीने तिब्बती नेता और दलाई लामा का जन्मदिन था। देमचोक में बौद्ध धर्मावलंबी ज़्यादा संख्या में रहते हैं और वे भी उनका जन्मदिन मनाते रहे हैं। दलाईलामा का जन्मदिन भी चीनियों की यह उकसावे वाली कार्रवाई की वजह हो सकती है।
ऐसा इसलिए कि गत फ़रवरी माह में पैंगोंग झील के इलाक़ों से सेना के पीछे हटाने की सहमति के बाद चीनी सैन्य घुसपैठ वाले पूर्वी लद्दाख के सीमांत इलाक़ों गोगरा-हॉट स्प्रिंग से चीनी सेना की वापसी को लेकर चीन जिस तरह आनाकानी कर रहा है उसी के जवाब में भारत ने आपसी विवाद में तिब्बत और दलाई लामा के मसलों को बीच में डालकर चीन के पुराने घाव को फिर हरा करने की कोशिश की है।
भारत के इस क़दम से तिब्बत फिर एक ज्वलंत अंतरराष्ट्रीय मसला बन सकता है। जाहिर है चीन यह बर्दाश्त नहीं करेगा। तो क्या देमचोक गाँव में चीन की हरकत इसी का नतीजा है?