आरबीआई ने ब्याज दरें नहीं बढ़ाईं, लोन लेने वालों को राहत
आरबीआई ने कहा कि उसने अपनी प्रमुख रेपो दर को गुरुवार को स्थिर रखा क्योंकि हाल की वैश्विक वित्तीय उथल-पुथल के बाद जोखिम बढ़ गया है। हालांकि अपनी पिछली छह बैठकों में आरबीआई रेपो दर को लगातार बढ़ा रहा था। रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास की इस घोषणा के बाद शेयर मार्केट उछल गया। तमाम शेयरों में तेजी देखी गई। यानी बाजार ने आरबीआई की मौद्रिक नीति पर पॉजिटव जवाब दिया है।
अधिकांश आर्थिक विशेषज्ञों को उम्मीद की थी कि रिजर्व बैंक मौजूदा कठिन दौर में रेपो दर में 25 अंकों की एक अंतिम बढ़ोतरी करेगा। पिछले साल मई से रेपो दर में कुल 250 बीपीएस की वृद्धि अब तक हुई थी।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास के मुताबिक आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने नीतिगत रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने का फैसला किया और अन्य नीतिगत दरों को भी अपरिवर्तित रखा गया। दास ने कहा, मौद्रिक नीति समिति ने आमराय से 6.50 प्रतिशत पर निर्णय लिया, क्योंकि यह समय और हालात की मांग है। यहां यह बताना जरूरी है कि ब्याज दर नहीं बढ़ाने का फैसला इस बैठक में हुआ है। लेकिन आरबीआई को जरूरत महसूस होगी तो वो बाद में लेंडिंग रेट यानी जिस रेट पर वो बैंकों को कर्ज देता है, उसे बढ़ा सकता है। हालांकि कई राज्यों में चुनाव के मद्देनजर ऐसी बढ़ोतरी शायद ही हो।
गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि मौद्रिक नीति समिति ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए अपने मुद्रास्फीति (महंगाई) के अनुमान को 5.3 प्रतिशत से घटाकर 5.2 प्रतिशत कर दिया है। आरबीआई एमपीसी ने भी FY 2023-24 के लिए वास्तविक जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के पूर्वानुमान को पिछले 6.4 प्रतिशत से मामूली रूप से बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया है।
दास ने कहा कि एमपीसी ने बेशक नीतिगत दर में कोई बदलाव नहीं किया है, लेकिन हमारा काम अभी खत्म नहीं हुआ है। महंगाई के खिलाफ युद्ध तब तक जारी रहना चाहिए जब तक कि स्थायी गिरावट न हो। दास ने कहा कि महंगाई में नरमी अस्थायी है। रिकॉर्ड रबी फसल की उम्मीद अच्छी है और हाल की बेमौसम बारिश के प्रभाव पर नजर रखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि वैश्विक कमोडिटी की कीमतों में उल्लेखनीय कमी आई है।
काम की बात
आरबीआई गवर्नर ने बताया कि जिस जमा पर दावा नहीं किया गया है (Unclaimed Deposits) पर दावा करने के लिए कई बैंकों में सर्च को एक ही जगह लाने के लिए एक वेब पोर्टल बनाने का फैसला किया गया है। वर्तमान में, बैंक ग्राहकों को इन जमाओं का दावा करने के लिए कई बैंकों की वेबसाइटों पर जाना पड़ता है। नया वेब पोर्टल बैंक ग्राहकों को एक ही स्थान पर अपने भूले बिसरे जमा का पता लगाने में मदद करेगा।
यूपीआई से लोन
अब, यूपीआई (United Payments Interface) के माध्यम से बैंक लोन मिलेगा। आरबीआई ने बैंकों में पूर्व-स्वीकृत क्रेडिट लाइनों को अनुमति देने का प्रस्ताव दिया है। आसान शब्दों में भीम, रुपये जैसे तमाम यूपीआई नेटवर्क बैंकों से क्रेडिट द्वारा वित्तपोषित भुगतान की सुविधा प्रदान करेंगे। अभी UPI लेनदेन बैंकों में जमा खातों के बीच ही सक्षम हैं। कभी-कभी वॉलेट सहित प्री-पेड चीजों द्वारा भी मध्यस्थता की जाती है। कुल मिलाकर आपका लोन मंजूर होते ही उसे यूपीआई के जरिए मिल जाएगा। बता दें कि देश में यूपीआई के जरिए 75 प्रतिशत डिजिटल पेमेंट हो रहा है।