मध्य प्रदेश के रतलाम ज़िले के एक गांव से हिन्दू समुदाय के लोगों द्वारा पलायन की चेतावनी दिए जाने से खलबली मच गई है। राजस्थान की सीमा से लगे रतलाम जिले के सुराना गांव के कुछ हिन्दुओं ने पलायन की चेतावनी दी है। उन्होंने अपने घर और अन्य संपत्ति बेचने की सूचनाएं घरों एवं संपत्ति पर चस्पा कर दी है। इसके बाद शिवराज सरकार ने बुधवार शाम आनन-फानन में गांव में पुलिस चौकी की स्थापना कर दी है और पूरे मामले की जांच और कार्रवाई के आदेश दिये हैं।
लगभग 2200 की आबादी वाले इस गांव में कई युवाओं ने न्यूज चैनलों से कहा है, ‘गांव के मुसलिम समुदाय के लोग हिन्दुओं को प्रताड़ित कर रहे हैं। झूठे मामले पुलिस में दर्ज कराये जा रहे हैं। पूरा गांव अतिक्रमण की गिरफ्त में है। शिकायत के बावजूद अतिक्रमणकारियों के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।’
गांव की कुल आबादी में हिन्दू और मुसलिमों का अनुपात क्रमशः 40:60 का है। काफी समय से छिटपुट घटनाएँ हो रही हैं। मगर बीते दो दिनों से गांव में दोनों समुदाय के लोग आमने-सामने हैं। टकराव के हालात भी बताये जा रहे हैं। बुधवार सुबह ग्रामीणों का दल जिला मुख्यालय रतलाम पहुंचकर कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम से मिला है। दल ने कह दिया है, ‘अगले तीन दिनों में सभी हिन्दू गांव को छोड़कर चले जायेंगे।’
ग्रामीणों की चेतावनी ने प्रशासन को चिंतित कर दिया है। खबर भोपाल भी पहुंची है। सरकार हरकत में है। गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने पूरे मामले की जांच का आदेश देते हुए बुधवार की शाम को सुराना गांव में चौकी की स्थापना करवा दी है। सब इंस्पेक्टर की अगुवाई में 10 पुलिस वालों का अमला यहां तैनात किया गया है।
मिश्रा ने भोपाल में मीडिया से कहा है, ‘मध्य प्रदेश की सरकार सुराना गांव को कैराना (राजस्थान का एक गांव जहां मुसलिमों के भय से पलायन की घटना हुई थी) नहीं बनने दिया जायेगा। जो भी भय फैलायेगा, उस पर सख़्त एक्शन होगा।
‘नेतागिरी है विवाद की असली जड़’
सुराना गांव के पुराने रहवासी अयाज शाह मीडिया से कह रह हैं, ‘विवाद की जड़ हिन्दू-मुसलिम नहीं है। नई पौध नेता बनने के लिए आपसी लड़ाई को सांप्रदायिक विवाद का रंग दे रही है।’
अयाज शाह का यह भी कहना है, ‘सुराना गांव आपसी सौहार्द और भाई-चारे के लिए पहचाना जाता रहा है। पिछले कुछ वक़्त से युवाओं को सांप्रदायिकता की आड़ में अपनी नेतागिरी चमकाने की लत लगी हुई है। दोनों समुदाय के युवा इस तरह का प्रयास करके गांव के माहौल को खराब करने पर आमादा हैं।’
सुराना में घरों पर इस तरह लिखा हुआ है।
‘हम हर सजा भुगतने को तैयार हैं’
ज़िला प्रशासन ने पूरे मामले की निष्पक्ष जाँच के लिए एसडीएम/एसडीओपी की अगुवाई में समिति बनाई है। दोनों समुदायों के दो-दो प्रतिष्ठित ग्रामीणों को समिति में रखा गया है।
समिति में सदस्य बनाये गये अय्यूब ख़ान का कहना है, ‘अपनी राजनीति चमकाने के अलावा गांव के लिए चलने वाले निजी परिवहन पर एकाधिकार भी विवाद की जड़ है। चार दिन पहले गांव एक हिन्दू युवक की मैजिक और रतलाम के एक मुसलिम ऑनर की बस में सवारी को लेकर विवाद हुआ था। उसी विवाद को सांप्रदायिक रंग देते हुए मामले को तूल दिया गया है।’
कलेक्टर बोले- पलायन नहीं होने दिया जायेगा
जिले के कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम का कहना है, ‘गांव से पलायन जैसे हालात पैदा नहीं होने दिये जायेंगे। कमेटी बना दी गई है। जांच हो रही है। अतिक्रमण और अन्य समस्याओं का निराकरण जल्दी कर दिया जायेगा।’
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों की पहचान करते हुए सख्त कार्रवाई की जायेगी। सुराना गांव के तीन से ज़्यादा गंभीर केस वाले आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों के ख़िलाफ़ एनएसए जैसा एक्शन भी लिया जायेगा।’