भारतीय अर्थव्यवस्था से जुड़ी एक और बुरी खबर आई है। अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेन्सी मूडीज़ ने साल 2020 के लिए विकास की दर के अनुमान में कटौती कर दी है। मूडीज़ ने पहले कहा था कि इस साल भारत में विकास दर 6.6 प्रतिशत रह सकती है, पर अब वह उसने कहा है कि यह 5.4 प्रतिशत तक सिमट सकती है।
कोरोना संक्रमण
मूडीज़ ने कहा है कि चीन में कोरोना वाइरस संक्रमण की वजह से भारत की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ सकता है। इस रेटिंग एजेन्सी ने कहा है, 'अर्थव्यवस्था के कुछ इन्डीकेटर में सुधार होने की वजह से यह उम्मीद की जा रही थी कि स्थिरता आ जाएगी। हालांकि अर्थव्यवस्था में सुधार इस शुरू हो जाएगी, पर हमें लगता है कि इसकी रफ़्तार हमारे अनुमान से कम होगी।'
मूडीज़ का कहना है कि कोरोना संक्रमण का असर अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। इसने कहा, 'हमने अपने अंतरराष्ट्रीय अनुमान में कटौती की है। हमारा अनुमान है कि जी-20 के देशों में सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर 2.4 प्रतिशत होगी।'
इसके पहले मूडीज़ ने साल 2019-2020 के लिए भारत के सकल घरेल उत्पाद की अनुमानित वृद्धि दर घटा कर 5.8 प्रतिशत कर दी, पहले यह 6.2 प्रतिशत थी। इसकी वजहें निवेश और माँग में कमी, ग्रामीण इलाक़ों में मंदी और रोज़गार के मौके बनाने में नाकामी हैं।
मूडीज़ ने यह भी कहा है कि वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान इसमें सुधार हो सकता है और वृद्धि दर 6.6 प्रतिशत तक पहुँच सकती है।
मूडीज ने साफ़ शब्दों में कह दिया कि 8 प्रतिशत वृद्धि दर की संभावना बहुत ही कम है। मूडीज़ का कहना है कि जीडीपी गिरने की कई वजहें हैं, लेकिन ज़्यादातर वजहें घरेलू हैं। ये कारण लंबे समय तक बने रहेंगे।
मूडीज़ ने रेटिंग भी कम की थी
इसके पहले नवंबर में मूडीज़ इनवेस्टर सेवा ने भारत की रेटिंग में कटौती कर दी है। इसने भारत की रेटिंग को 'स्टेबल' से गिरा कर 'निगेटिव' कर दिया है।लेकिन इसके साथ ही मूडीज़ ने भारत की रेटिंग 'बीएए2' को बरक़रार रखा है।मूडीज़ ने इस पर चिंता जताई थी कि कुछ दिन पहले किए गए सुधारों की वजह से कर आधार बढ़ाने की संभावना कम हो गई है, इससे भी सरकार की राजस्व उगाही कम होने के आसार हैं। इस वजह से सरकार और नए सुधार नहीं कर सकती।
सरकार ने उस समय मूडीज़ की आशंकाओं को सिरे से खारिज कर दिया था। वित्त मंत्रालय का कहना था कि भारत सबसे ज़्यादा तेज़ी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में एक है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी स्थिति में कोई गिरावट नहीं आई है।
सरकार का तर्क था कि इसने पहले से ही कई तरह के सुधार किए हैं, जिससे अर्थव्यवस्था से जुड़ी आशंकाओं को दूर किया जा सके। इसके अलावा इसने अंतरराष्ट्रीय मंदी को देखते हुए कई तरह के नीतिगत फ़ैसले भी किए हैं।