पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के पहले नेताजी सुभाष चंद्र बोस की विरासत को अपनाने में लगी भारतीय जनता पार्टी के लिये एक नया विवाद खड़ा हो गया है। दरअसल, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने नेताजी की जयंती पर 'पराक्रम दिवस' मनाते हुए सुभाष बाबू की जिस प्रतिमा का अनावरण किया, उसके बारें में यह दावा किया जा रहा है कि वह एक फिल्म में नेताजी की भूमिका निभाने वाले अभिनेता प्रसेनजित चटर्जी की है।
अयोध्या के मशहूर गुमनामी बाबा पर बनी फ़िल्म 'गुमनाम है' में प्रसेनजित चटर्जी ने नेताजी का अभिनय किया था। आरोप है कि राष्ट्रपति ने उसी तसवीर का अनावण कर दिया।
लेकिन नेताजी के भाई के पोते चंद्र कुमार बोस ने कहा है कि यह वही तसवीर है जो नेताजी के परिवार वालों ने दी थी। यह तसवीर नेताजी की मूल तसवीर पर ही आधारित है। उन्होंने तसवीर के अनावरण के लिए सरकार की तारीफ की। उन्होंने नेताजी की मूल तसवीर भी ट्वीट के साथ अटैच किया। बता दें कि चंद्र कुमार बोस बीजेपी में हैं।
ममता का हमला
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस पर बीजेपी पर ज़ोरदार हमला किया है। उन्होंने कहा,
“
"आपने (बीजेपी ने) नेताजी का अपमान किया है। आपने टैगोर का जन्म स्थान ग़लत बताया। आपने विद्यासागर की प्रतिमा तोड़ी। आपने बिरसा मुंडा की ग़लत प्रतिमा को माला पहनाई।"
ममता बनर्जी, मुख्यमंत्री, पश्चिम बंगाल
क्या कहा टीएमसी ने?
तृणमूल कांग्रेस की तेज़तर्रार सांसद महुआ मोइत्रा ने ट्वीट कर राष्ट्रपति पर तंज किया है। उन्होंने ट्वीट किया, "राम मंदिर के लिए पाँच लाख रुपए का दान देने के बाद राष्ट्रपति ने नेताजी का सम्मान करने के लिए उनकी भूमिका निभाने वाले प्रसेनजित की प्रतिमा का अनावरण कर दिया। ईश्वर इस देश को बचाए क्योंकि सरकार तो बचा नहीं सकती।"
बाद में महुआ मोइत्रा ने वह ट्वीट डिलीट कर दिया।
बीजेपी की सफाई
बीजेपी ने इसे बेवजह का विवाद बताते हुए कहा है कि यह तसवीर नेताजी की तसवीर से बिल्कुल ही मेल नहीं खाती है। पार्टी ने यह भी कहा है कि यह तसवीर सुभाष बाबू के परिवार के लोगों ने चित्रकार परेश माइती को दी थी।
परेश माइती पश्चिम बंगाल के मशहूर और प्रतिष्ठित चित्रकार हैं, उन्हें पदम् विभूषण पुरस्कार से नवाजा जा चुका है। वे फिलहाल दिल्ली में ही रहते हैं।
नेताजी की 125वीं जयंती पर कोलकाता के एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी
गुमनामी बाबा पर बनी फिल्म 'गुमनाम है' के अभिनेता प्रसेनजित चटर्जी ने नेताजी की तसवीर के लिए चित्रकार परेश माइती को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात पर खुशी है कि तसवीर देख कर लोगों को फ़िल्म में उनकी भूमिका की याद आई।
बंगाली आइकॉन पर बीजेपी की नज़र
बंगाल में महापुरुषों के संबंध में इस तरह का ये पहला विवाद नहीं है। इसके पहले गृह मंत्री अमित शाह ने रवींद्रनाथ ठाकुर का जन्म स्थान बोलपुर बताया था, जबकि रवि बाबू का जन्म कोलकाता में हुआ था। अमित शाह ने इसके पहले अंग्रेजों के ख़िलाफ़ बग़ावत का बिगुल फूंकने वाले बिरसा मुंडा की जगह किसी और की प्रतिमा पर माला चढ़ा दी थी।
इसी तरह पश्चिम बंगाल के आइकॉन समझे जाने वाले रवींद्रनाथ ठाकुर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रवादी क़रार दिया था और उन्हें अपने 'आत्मनिर्भर भारत' कार्यक्रम से जोड़ दिया था। इस पर पश्चिम बंगाल में न सिर्फ उनका मजाक उड़ाया गया, बल्कि लोगो ने गुस्से का इजहार भी किया।
लोगों ने यह कहा था कि रवि बाबू राष्ट्रवाद के ख़िलाफ़ थे और उन्होंने अपने एक लेख में इसकी काफी आलोचना भी की थी। लेकिन प्रधानमंत्री अपनी पार्टी के उग्र राष्ट्रवाद को उचित ठहराने के लिए कविगुरु को राष्ट्रवादी बता रहे हैं।
साल 2018 में कोलकाता में अमित शाह के एक रोड शो में भाग ले रहे बीजेपी कार्यकर्ताओं ने विद्यासागर की प्रतिमा तोड़ दी थी। इसकी भी बहुत आलोचना हुई थी।
बीजेपी भले ही सफाई दे, यह सच है कि वह बंगाली अस्मिता को भुनाने की कोशिश में उनके आइकॉन को चाहे-अनचाहे बार-बार अपमानित कर रही है। इसलिए उसका दाँव उल्टा भी पड़ सकता है।