+
इस बार जैसी रामनवमी कभी नहीं हुई; आख़िर अब ऐसा क्या बदला?

इस बार जैसी रामनवमी कभी नहीं हुई; आख़िर अब ऐसा क्या बदला?

देश में रामनवमी पर शोभा यात्रा के दौरान कई राज्यों में हिंसा की ख़बरें आईं? आख़िर ऐसा क्यों हुआ? जहाँ पहले ऐसी शोभा यात्राओं का स्वागत होता था वहाँ अब ऐसी हिंसा के पीछे की वजह क्या है?

देश में सदियों से भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव के पर्व राम नवमी का उत्सव मनाया जाता है। मैं भी बचपन से हर साल रामनवमी के दिन घर में पूजा होते देखता रहा हूँ। संयोग से चैत्र के नवरात्रि की नवमी तिथि के दिन ही रामनवमी का पर्व होता है इसलिए पहले देवी पूजा और कन्या भोज के साथ हवन होता है फिर दोपहर 12 बजे राम जन्मोत्सव मनाने की परंपरा है। लेकिन जैसी रामनवमी इस साल हुई है वैसी मेरी स्मृति में कभी भी नहीं हुई। जिस तरह दिल्ली में जेएनयू से लेकर देश के चार राज्यों में रामनवमी के दिन सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएँ हुईं वह सिर्फ़ चौंकाती ही नहीं हैं बल्कि यह संकेत भी देती हैं कि देश का वातावरण किस कदर उन्मादी और विषाक्त होता जा रहा है।

मुझे याद नहीं पड़ता कि कभी राम नवमी के जुलूस या उत्सव को लेकर दंगे के हालात बने हों। अव्वल तो रामनवमी की शोभा यात्रा का मार्ग हर शहर में पहले से ही जिला प्रशासन तय कर देता है और पूरी सुरक्षा के बीच यात्रा संपन्न होती रही है। अगर किसी मुसलिम इलाक़े से भी शोभा यात्रा निकलती थी तो एक तरफ़ शोभा यात्री अपनी ओर से ही शांति बनाकर जुलूस को निकाल लेते थे तो दूसरी तरफ़ खुद मुसलिम समाज के लोग शांति से जुलूस को रास्ता देकर निकल जाने देते थे। इस दौरान तनाव की जगह आपस में दुआ सलाम ज़्यादा होती थी। पूरे रास्ते जुलूस के साथ पुलिस तैनात रहती थी जो यातायात का नियमन और किसी भी तरह की अनहोनी को रोकने के लिए मुस्तैद रहती थी।

दशकों से यही होता रहा है। यहाँ तक कि जिन राज्यों और शहरों में इस बार हिंसा हुई वहां भी दशकों से राम नवमी की शोभायात्रा निकलती रही है। आखिर अचानक इस साल ऐसा क्या हो गया कि मध्य प्रदेश के खरगोन, राजस्थान के करौली समेत कई जगह हिंसा की घटनाएं हुईं? 

अब परस्पर दोषारोपण का दौर तो चल ही पड़ा है लेकिन दोषारोपण की बजाए ईमानदारी के साथ समस्या की जड़ में जाए बिना बात नहीं बनेगी और आने वाले दिनों में यह समस्या और विकराल रूप ले सकती है।

सभी राज्य सरकारों की ज़िम्मेदारी है कि एक तरफ़ तो हिंसा के दोषी लोगों को बिना किसी भेदभाव के गिरफ्तार करके उनके ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई की जाए तो दूसरी तरफ़ उन कारणों को भी दूर करना होगा जो इस तरह की हिंसा और उन्माद के मूल में हैं।

पिछले कुछ वर्षों से देश में जिस तरह सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति लगातार हो रही है और कई कथित भगवाधारी खुलेआम जिस तरह की अमर्यादित भाषा मुस्लिम समुदाय के ख़िलाफ़ बोल रहे हैं उस पर फौरन रोक लगनी चाहिए और ऐसे तत्वों के ख़िलाफ़ तत्काल क़ानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।

खरगोन में हिंसा से पहले दिल्ली के एक नेता के भड़काऊ भाषण का कथित वीडियो भी वायरल हो रहा है, उसकी भी जांच होनी चाहिए। इसके साथ ही जुलूस में भड़काऊ नारेबाजी करने वालों और जवाब में जुलूस पर पत्थर व गोलियां चलाने वालों की भी पहचान करके उन्हें पकड़ा जाए। भगवान श्री राम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं इसलिए उनके जन्मोत्सव पर हुई हिंसा की जांच और कार्रवाई में न्याय और क़ानून की मर्यादा का पूरा पालन होना चाहिए। किसी भी तरह का पक्षपात इधर या उधर बात को और बिगाड़ेगा। क़ानून पुलिस प्रशासन और न्याय पर ज़्यादा से ज़्यादा भरोसा पैदा हो, हर संभव यह कोशिश केंद्र और राज्य सरकारों को करनी होगी।

भारत बहु-धर्मी, बहु-जातीय, बहु-नस्लीय बहु-भाषीय और बहु-क्षेत्रीय विविधता वाला ऐसा देश है जिसे दुनिया आश्चर्य से देखती है और यही भारत की पहचान है। भारत की पहचान भारतीयता से ही है किसी धर्म या जाति या वर्ग या नस्ल या रंग विशेष से नहीं है। यह बात हर भारतीय को समझनी होगी और भारतीयता की हिफाजत के लिए हर भारतीय को खड़ा होना होगा। जय हिंद।

(विनोद अग्निहोत्री की फ़ेसबुक वाल से साभार)

सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें