संतों की बैठक, बोले- राम मंदिर निर्माण के लिए ज़मीन ख़रीद मामले की हो जांच
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए ख़रीदी गई ज़मीन में कथित घपले को लेकर संत समाज मुखर हो गया है। अखाड़ा परिषद के पूर्व अध्यक्ष महंत ज्ञान दास की अध्यक्षता में हुई संतों की बैठक में इस कथित घपले की जांच कराए जाने की मांग उठाई गई है।
बैठक में रघुवंश संकल्प सेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष स्वामी दिलीप दास ने कहा, “भगवान राम अबोध बालक हैं और उनकी जन्म भूमि के साथ ऐसा काम हो रहा है। 2 रुपये का सामान 25 रुपये में ख़रीद कर दलाली खाई जा रही है, इसकी जाँच होनी चाहिये।”
बैठक में संतों ने कहा कि राम मंदिर निर्माण में ज़मीन ख़रीद का विवाद बढ़ता जा रहा है। स्वामी दिलीप दास ने कहा कि इस मामले में सभी को अपनी आवाज़ उठानी होगी। उन्होंने कहा कि श्री राम के अस्तित्व से शुरू हुई व्यवस्था का जो राजनीतिक पार्टियां श्रेय ले रही हैं, उनके भ्रष्टाचार का खुलासा करना होगा।
इस दौरान दिगंबर अनी अखाड़ के सुरेश दास महाराज, अखाड़ा परिषद के पूर्व अध्यक्ष महंत ज्ञान दास महाराज, रसिक पीठाधीश्वर महंत जनमेजय शरण महाराज, अवधेश दास महाराज सहित 150 संत इस बैठक में पहुंचे।
ट्रस्ट की सफाई और आरोप
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए ख़रीदी गई ज़मीन में कथित घपले को लेकर आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने मोर्चा खोला हुआ है।
अयोध्या में राम जन्मभूमि पर मंदिर का निर्माण करा रहे ट्रस्ट का नाम श्री रामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र है। ट्रस्ट की ओर से मामले में दो बार सफाई दी जा चुकी है। ट्रस्ट ने अपनी सफाई में कहा है कि विवादित ज़मीन का अंतिम एग्रीमेंट 18 मार्च, 2021 को रवि मोहन तिवारी और सुल्तान अंसारी के साथ किया गया और ट्रस्ट ने इस ज़मीन को 18.50 करोड़ रुपये में ख़रीदा।
जबकि संजय सिंह ने कहा है कि जिस एग्रीमेंट का जिक्र किया जा रहा है, वो 18 मार्च, 2021 को रद्द हो चुका था। संजय सिंह ने कुछ दिन पहले एक दस्तावेज़ दिखाया और दावा किया कि उनके पास इस एग्रीमेंट के रद्द होने का निरस्ती पत्र है।
उन्होंने कहा था कि 18 मार्च, 2021 को सुल्तान अंसारी और रवि मोहन तिवारी के नाम शाम को 7.10 मिनट पर 5.80 करोड़ की मालियत वाली ज़मीन 2 करोड़ में ख़रीदी गई और शाम को 7.15 मिनट पर यही ज़मीन 18.50 करोड़ रुपये में राम जन्मभूमि के ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय को बेच दी गई।
उन्होंने कहा था कि रवि मोहन तिवारी का नाम इस एग्रीमेंट में बाद में शामिल किया गया और ऐसा पैसे के भ्रष्टाचार को अंजाम देने के लिए किया गया।