लखीमपुर में आरोपी पर एफ़आईआर दर्ज हो गई, किसानों को कार से रौंदने का वीडियो आ गया, कई चश्मदीदों ने बयान दिया और भी कई दूसरे सबूत आ गए, लेकिन अब तक न तो मंत्री को बर्खास्त किया गया है और न ही उनके बेटे की गिरफ़्तारी हुई है। किसान नेता राकेश टिकैत ने इन दोनों मांगों को लेकर सरकार को चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि एक हफ़्ते में यदि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी को बर्खास्त नहीं किया जाता है और उनके बेटे आशीष मिश्रा उर्फ मोनू को गिरफ़्तार नहीं किया जाता है तो वे फिर से वहाँ इकट्ठे होंगे और आगे की रणनीति बनाएँगे।
लखीमपुर में मारे गए किसानों को मुआवजा, नौकरी जैसी मांगों के लिए सरकार के साथ बातचीत करने वाले राकेश टिकैत ने कहा है कि लखीमपुर खीरी में फ़ैसला आंदोलन की समाप्ति नहीं है। उन्होंने इसको लेकर ट्वीट कर स्थिति साफ़ की है।
जिन किसान नेताओं के साथ सरकार की बातचीत के बाद सहमति बनी थी और रिपोर्ट आई थी कि किसान धरना ख़त्म करने को राज़ी हो गए हैं उनमें राकेश टिकैत प्रमुख थे। वार्ता के बाद सरकार की तरफ़ से एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) प्रशांत कुमार ने सोमवार को कहा था, 'कल लखीमपुर खीरी में मारे गए 4 किसानों के परिवारों को सरकार 45-45 लाख रुपये देगी और एक सरकारी नौकरी देगी। घायलों को 10 लाख रुपये दिए जाएंगे। किसानों की शिकायत के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की जाएगी। हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज मामले की जांच करेंगे।'
इसके बाद तीन किसानों के शवों का मंगलवार को अंतिम संस्कार कर दिया गया। हालाँकि एक किसान के शव को परिजनों ने अंतिम संस्कार नहीं किया है। उनका आरोप है कि मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा ने गोली मारी थी और पोस्टमार्टम रिपोर्ट 'ग़लत' है।
इससे पहले कार से कुचलकर मारे गए चारों किसानों के शव का अंतिम संस्कार करने से किसानों ने इनकार कर दिया था। उन्होंने सरकार के सामने मांग रखी थी कि गृह राज्य मंत्री के बेटे के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज कर गिरफ़्तार किया जाए, गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा को बर्खास्त किया जाए और मृतकों के परिजन को नौकरी के साथ मुआवजा दिया जाए।
राकेश टिकैत ने मंगलवार शाम को संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने सरकार को मिश्रा के बेटे को गिरफ्तार करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया है। टिकैत ने कहा कि भविष्य की रणनीति तय करने के लिए 'हम भोग के दिन फिर से यहां इकट्ठा होंगे' यानी किसानों की मौत के 13 दिन बाद वे फिर से जुटेंगे।
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ की रिपोर्ट के अनुसार, यूपी के डीजीपी मुकुल गोयल ने कहा कि इस घटना में अब तक किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है। हालाँकि, यूपी सरकार ने घटना के संबंध में दर्ज दो मामलों की जांच में मदद करने के लिए एक अतिरिक्त एसपी-रैंक के अधिकारी और दो डीवाईएसपी व तीन इंस्पेक्टर-रैंक के अधिकारियों की छह सदस्यीय समिति का गठन किया है।
यूपी पुलिस ने सोमवार को आशीष के ख़िलाफ़ हत्या के आरोप की प्राथमिकी दर्ज की है। उस पर किसानों ने आरोप लगाया है कि जिस एसयूवी में आशीष था उसी ने किसानों को रौंदा है। आरोप यह भी है कि आशीष ने गोलियाँ चलाईं जबकि पुलिस ने इस बात से इनकार किया है।
क्या है एफ़आईआर में?
रिपोर्ट के अनुसार, प्राथमिकी एक किसान प्रदर्शनकारी जगजीत सिंह द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत पर आधारित है। इसमें उन्होंने कहा है कि यह घटना केंद्रीय राज्य मंत्री मिश्रा और उनके बेटे द्वारा 'पूर्व नियोजित साजिश' का हिस्सा थी।
अपनी शिकायत में जगजीत सिंह ने कहा, 'हम महाराजा अग्रसेन इंटर कॉलेज मैदान में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। घटना दोपहर करीब तीन बजे की है जब केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा का बेटा आशीष तीन चार पहिया वाहनों में हथियार लेकर तेज गति से आया। महिंद्रा थार कार के बाईं ओर बैठे हुए आशीष मिश्रा ने गोलियां चलाईं और लोगों को कुचलते हुए वह आगे निकल गया।'
शिकायत में कहा गया है, 'गोलीबारी के कारण गुरविंदर सिंह की मौत हो गई, और सड़क पर मौजूद अन्य किसान कार के नीचे दब गए। तभी तेज गति से जा रही उनकी कारों ने नियंत्रण खो दिया और एक खाई में जा गिरी, जिससे राहगीर घायल हो गए। फिर वह भाग गया और गन्ने (खेत) में छिप गया।'
अब तो सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें साफ़ तौर पर देखा जा सकता है कि एक गाड़ी किसानों को रौंदती हुई निकलती है। वीडियो में देखा जा सकता है कि प्रदर्शनकारियों का एक समूह खेतों के बीच एक सड़क पर आगे बढ़ रहा है। फिर पीछे से तेज गति से आ रही एक ग्रे एसयूवी से उनको कुचल दिया जाता है। गाड़ी की तेज गति होने से एक व्यक्ति तो उछलकर बोनट के ऊपर गिरता है। सड़क के किनारे कई लोग बिखरे पड़े नज़र आते हैं। उस ग्रे एसयूवी के पीछे-पीछे दो और गाड़ियाँ निकलती हैं।