दिल्ली पहुंचे सचिन पायलट, राहुल-प्रियंका से नहीं मिलेंगे

09:55 am Jun 12, 2021 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

राजस्थान कांग्रेस में चल रही सियासी सुगबुगाहट के बीच पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट दिल्ली पहुंच गए हैं। हालांकि उन्होंने कहा है कि उनकी कांग्रेस नेताओं राहुल या प्रियंका गांधी से मिलने की कोई योजना नहीं है। 

बीते कुछ दिनों से पायलट समर्थकों ने एक बार फिर मीडिया के सामने आकर बयान देना शुरू किया है और गहलोत सरकार को निशाने पर लिया है। उन्होंने कहा है कि वे पूरी ताक़त के साथ पायलट के साथ खड़े हैं। 

राजस्थान कांग्रेस के विधायक पीआर मीणा ने कहा है कि आलाकमान को पायलट की ओर से उठाए गए मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए। मीणा ने कहा कि वह पायलट के साथ थे, हैं और रहेंगे। हाल ही में पायलट के क़रीबी विधायक हेमाराम चौधरी ने विधानसभा से इस्तीफ़ा दे दिया था। 

पायलट समर्थकों का कहना है कि वे पार्टी की मज़बूती के लिए आवाज़ उठा रहे हैं क्योंकि जिन कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस को राजस्थान की सत्ता में लाने का काम किया है, उनका सम्मान नहीं हो रहा है। दो दिन पहले ही कांग्रेस के 8 विधायकों ने पायलट के जयपुर स्थित आवास पर उनसे मुलाक़ात की थी। 

ख़ुद पायलट ने कहा है कि आलाकमान की ओर से बनाई गई कांग्रेस नेताओं की कमेटी 10 महीने बाद भी कुछ नहीं कर पाई है और उनकी ओर से जो बातें उठाई गई थीं, उनका हल नहीं हुआ है। 

प्रियंका ने की बात

कांग्रेस के नेता रहे जितिन प्रसाद के बीजेपी में शामिल होने के बाद इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या पायलट भी ऐसा ही क़दम उठा सकते हैं। लेकिन जितिन के जाने के बाद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने पायलट से बात की है। 

इस तरह की ख़बरें आ रही हैं कि जुलाई तक अगर कैबिनेट का विस्तार नहीं होता है तो पायलट कोई बड़ा क़दम उठा सकते हैं। लेकिन जितिन प्रसाद के जाने के बाद शायद कांग्रेस आलाकमान थोड़ा सहमा है और राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी अजय माकन ने कहा है कि मंत्रिमंडल और आयोगों में खाली पड़े पदों को भरने का काम जल्द किया जाएगा। 

पायलट गुट ने शुक्रवार को पेट्रोल-डीजल की बढ़ी क़ीमतों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया था और अपनी ताक़त दिखाई थी। इस दौरान पायलट ने बीजेपी में शामिल होने की ख़बरों को ग़लत बताया था। 

आलाकमान के लिए मुश्किल

कांग्रेस की चिंता यह है कि अगर पायलट और  गहलोत के घमासान को रोका नहीं गया तो 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले ही सरकार को ख़तरा पैदा हो जाएगा और तब तक अगर सरकार को चला भी लिया जाता है तो मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर जोरदार जंग होगी, ऐसे में आलाकमान को पायलट को मनाना ही होगा और इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि गहलोत नाराज़ न हों।