अकबर ने माँगी थी राजपूत रानी से जान की भीख: राजस्थान बीजेपी प्रमुख

04:25 pm Jul 26, 2019 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

राजस्थान बीजेपी प्रमुख मदन लाल सैनी ने एक बार फिर अकबर को लेकर विवादित बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि एक बार मुगल बादशाह अकबर को राजपूत रानी से जान की भीख माँगनी पड़ी थी। महाराणा प्रताप की जयंती पर एक कार्यक्रम के दौरान सैनी ने कहा कि अकबर चरित्रहीन था और महिलाओं के प्रति उसका व्यवहार ख़राब था। उन्होंने आगे कहा कि ऐसे में महाराणा प्रताप से उसकी तुलना नहीं की जा सकती है। हालाँकि अकबर के बारे में टिप्पणी करते हुए उन्होंने इतिहास में दर्ज कोई प्रमाण नहीं दिए। इससे पहले उन्होंने जुलाई 2018 में भी मुगल शासन का ज़िक्र करते हुए हुमायूँ को बाबर का पिता बता दिया था, जबकि तथ्य यह है कि मुगल शासन के संस्‍थापक बाबर का बेटा हुमायूँ था।

सैनी ने अब अकबर को लेकर कहा है कि वह ग़लत काम करने के लिए सिर्फ़ महिलाओं के लिए बने बाजार में अक्सर जाया करता था। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने कहा, 'अकबर ने मीना बाजार लगवाया। दुनिया जानती है कि सिर्फ़ महिलाएँ ही बाजार को संभालती थीं और पुरुषों को अंदर जाने की मनाही थी। यह इतिहास में दर्ज है कि कैसे वह अक्‍सर महिलाओं का वेश बनाकर वहाँ जाता था और उनके साथ छेड़खानी और ग़लत हरकत करने का प्रयास करता था।'

सैनी ने कहा, ‘अकबर ने एक बार राजपूत रानी किरण देवी के साथ भी मीना बाजार में छेड़छाड़ की कोशिश की थी। लेकिन बीकानेर की रानी ने उसे पहचान लिया था और उसके इरादे भाँप कर उसके सीने पर कटार रख दिया था। अपनी जान की भीख माँगने पर अकबर को राजपूत रानी ने उसे छोड़ दिया, जिसके बाद मीना बाजार बंद कर दिया गया।’

अकबर को चरित्रहीन बताने के साथ ही बीजेपी नेता ने यह भी कहा कि महाराणा प्रताप से अकबर की तुलना नहीं की जानी चाहिए और अगर कोई ऐसा करता है तो यह इतिहास के साथ बड़ा मज़ाक होगा।

बता दें कि महाराणा प्रताप, अकबर और हल्दी घाटी के युद्ध को लेकर राज्य में सियासत भी ख़ूब होती रही है। यही कारण है कि राजस्थान में सत्ता बदलने के साथ ही स्कूली शिक्षा के पाठ्क्रम में लगातार हो रहे बदलाव को लेकर बवाल मचा है। पहले की वसुंधरा राजे सरकार ने पाठ्यक्रम में महाराणा प्रताप को हल्दीघाटी के युद्ध का विजेता घोषित कराया था। कांग्रेस ने इस पर इतिहास के साथ छेड़छाड़ का आरोप लगाया था। अब कांग्रेस की सरकार बनी तो इतिहास की किताबों की समीक्षा की बात की गई। इस पर भी लगातार हंगामा होता रहा है। केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह भी इस पर जब तब खुलकर बोलते रहे हैं।

राजनाथ सिंह ने भी कहा था, इतिहासकारों से भूल हुई

राजनाथ सिंह ने 2017 में जयपुर में एक कार्यक्रम में कहा था कि उन्हें आश्चर्य है कि इतिहासकारों को अकबर की महानता तो नज़र आयी, लेकिन राजस्थान के वीर सपूत महाराणा प्रताप की महानता नज़र नहीं आयी। उन्होंने साफ़ तौर पर कहा था कि उन्हें लगता है कि इतिहासकारों से यह भूल हुई है। राजनाथ ने कहा था कि इतिहासकारों ने इस मामले में सही मूल्यांकन नहीं किया है, इतिहासकारों को अपनी इस ग़लती को सुधारना चाहिए। राजनाथ ने महाराणा प्रताप के अद्भुत शौर्य और साहस की चर्चा करते हुए कहा कि महाराणा प्रताप ने संघर्ष किया, उन्हें गद्दी और सत्ता विरासत में मिली लेकिन यह गद्दी फूलों की नहीं, बल्कि काँटों की सेज थी।

बाबर को बता दिया था हुमायूँ का बेटा

मदन लाल सैनी ने जुलाई 2018 के एक कार्यक्रम में कहा था कि हुमायूँ की मौत के वक़्त बाबर ज़िंदा था। सैनी के अनुसार, हुमायूँ और बाबर के बीच भी गाय को लेकर चर्चा हुई थी और हुमायूँ ने बाबर को गाय का सम्मान करने की बात कही थी। सैनी ने तब कहा था, ‘जहाँ तक मुझे पता है जब हुमायूँ मर रहा था तो उसने बाबर को बुलाकर कहा अगर तुमको हिंदुस्तान में शासन करना है तो तीन चीजों का ध्यान रखना। एक तो गाय, दूसरा ब्राह्मण और फिर महिला, इनका अपमान नहीं होना चाहिए, हिंदुस्तान इनको सहन नहीं करता है।’

यह टिप्पणी सैनी ने अलवर में मॉब लिंचिंग की घटना पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए की थी। अलवर में गाय ले जा रहे अल्पसंख्यक समुदाय के एक व्यक्ति को गोरक्षकों ने घेरकर पीटा जिसके बाद उसकी मौत हो गई थी। 

हालाँकि अलवर की घटना पर टिप्पणी करते हुए मदनलाल कई ग़लतियाँ कर गए थे। पहली तो यह कि उन्होंने बाप को बेटा और बेटे को बाप बता दिया था। सच यह है कि बाबर के बेटे का नाम हुमायूँ था। लेकिन उन्होंने हुमायूँ को बाबर का पिता बता दिया। हुमायूँ की मृत्यु 1556 में हुई थी, जबकि बाबर की मौत 1531 में ही हो गई थी। ऐसे में सवाल उठता है कि मरते समय हुमायूँ बाबर को इस तरह की नसीहत कैसे दे सकता है।