राजस्थान के दौसा जिले में आरोपी सब इंस्पेक्टर भूपेन्द्र सिंह (54) को गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस का कहना है कि चुनाव ड्यूटी पर तैनात इस पुलिस अधिकारी पर एक दलित लड़की से कथित तौर पर रेप का आरोप है। इस घटना के कारण पुलिस स्टेशन के बाहर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुआ, प्रदर्शनकारियों ने आरोपी पुलिस अधिकारी के साथ मारपीट की। पुलिस के मुताबिक पुलिस अधिकारी भूपेन्द्र सिंह ड्यूटी के दौरान अपने सहकर्मी कांस्टेबल के किराए के कमरे में पहुंचा, जहां पड़ोस में रहने वाले दूसरे कांस्टेबल की नाबालिग बेटी खेलने आई थी। पुलिस के मुताबिक, आरोपी बच्ची को बहला-फुसलाकर किराए के कमरे में ले गया जहां उसने कथित तौर पर उसके साथ बलात्कार किया।
भाजपा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर दो वीडियो क्लिप साझा किए, जिसमें ग्रामीणों को पुलिस के खिलाफ नारे लगाते हुए सुना जा सकता है। उन्होंने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, "लालसोट में एक पुलिसकर्मी द्वारा सात वर्षीय दलित बच्ची के साथ बलात्कार की घटना को लेकर लोगों में भारी गुस्सा है। मैं मासूम बच्ची को न्याय दिलाने के लिए मौके पर पहुंचा हूं।" मीणा ने लड़की के परिवार के लिए 50 लाख रुपये मुआवजे की घोषणा भी की है। राज्य में 25 नवंबर को मतदान है। इसलिए चुनाव की वजह से भाजपा इसे मुद्दा बनाने का मौका नहीं छोड़ रही है।
भाजपा सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने राजस्थान सरकार पर कटाक्ष किया और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को राज्य में 'माहौल को बर्बाद करने' के लिए जिम्मेदार ठहराया, जहां अपराधी सत्ता की आड़ ले रहे हैं और नियमों को तोड़ रहे हैं। उन्होंने कहा- “यह राजस्थान में रोजाना हो रहा है। राजस्थान में 35,000 महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न हुआ और यह माहौल बनाया गया है जिसमें राजस्थान कांग्रेस के विधायकों के पीए और विधायकों और मंत्रियों के परिवार के सदस्य शामिल हैं, लोग क्या देखेंगे?... यह माहौल को बर्बाद करने के बारे में है... यह पूरी जिम्मेदारी सीएम और गृह मंत्री यानी अशोक गहलोत पर आती है।” इन्हीं लाइनों पर भाजपा के तमाम नेताओं ने इस घटना पर ट्वीट किए और बयान दे डाले।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा- "...कहीं भी महिलाओं का उत्पीड़न शर्मनाक है...गुजरात, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में देखें... लेकिन वे राजस्थान का मुद्दा उठाते हैं ...राजस्थान में अपराधियों के खिलाफ तेजी से होती है जांच...।''
द हिन्दू अखबार की रिपोर्ट बताती है कि भारत में रोजाना 86 रेप केस देश के किसी न किसी हिस्से से सामने आते हैं। अखबार ने नेशनल क्राइम रेकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के हवाले से यह बात कही है। एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में लापता होने वाली महिलाओं और लड़कियों की सबसे ज्यादा संख्या मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र से है। इन दोनों राज्यों में भाजपा सत्ता में है। इस सूची में भाजपा शासित असम तीसरे नंबर पर, सातवें पर गुजरात, 8वें पर हरियाणा प्रदेश है।
NCRB का कहना है कि 2012 में निर्भया की घटना ने पूरे देश को हिला दिया था। लेकिन निर्भया कांड के बाद सामूहिक बलात्कार और हत्या के बाद बलात्कार की घटनाओं की संख्या में वृद्धि हुई है। इंडिया टुडे की डेटा इंटेलिजेंस यूनिट (DIU) का कहना है कि भारत में दर्ज किए गए कुल बलात्कार के मामलों में, पांच बलात्कार पीड़ितों में से चार इन 10 राज्यों - राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, केरल, असम, हरियाणा, झारखंड, ओडिशा और दिल्ली से हैं। यानी ये 10 राज्य महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं हैं। इन 10 राज्यों में अकेले भाजपा शासित 5 राज्य है। शेष में कांग्रेस, सीपीएम, आप, शिवसेना शिंदे गुट, जेएमएम आदि हैं।
ऐसे में कांग्रेस का यह कहना सही है कि सिर्फ राजस्थान के रेप केस पर बात नहीं होना चाहिए, बल्कि गुजरात और असम को भी देखा जाना चाहिए, जहां से लड़कियां गायब हो रही हैं। जाहिर सी बात है कि वहां से लड़कियों को उठाकर तमाम तरह के अनैतिक कार्यों में धकेला जा रहा है, उससे पहले वे रेप का शिकार होती हैं।
आंकड़ों से पता चलता है कि निर्भया मामले के बाद केंद्र सरकार सख्त कानून लेकर आई, लेकिन ऐसा लगता है कि ये कानून अधिकांश अपराधियों के लिए निवारक के रूप में काम नहीं कर सके। कानून के कमजोर कार्यान्वयन के कारण कुछ राज्यों में बलात्कार के मामलों की संख्या में वृद्धि हुई है। हाल ही में यूपी में हुई बलात्कार की घटना दहलाने वाली है। वाराणसी में बीएचयू कैंपस में गैंगरेप की खबर को दबाने की कोशिश अभी तक जारी है।