राजस्थान कांग्रेस में चल रहे सियासी घमासान के बीच भारत जोड़ो यात्रा राज्य में शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके सियासी प्रतिद्वंद्वी और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट यात्रा में पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ दिखाई दिए हैं।
कांग्रेस नेतृत्व नहीं चाहता था कि अशोक गहलोत और सचिन पायलट की लड़ाई का कोई असर राजस्थान में भारत जोड़ो यात्रा पर पड़े क्योंकि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है और यहां अगले साल विधानसभा के चुनाव भी होने हैं, इसलिए कांग्रेस के महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल मंगलवार को जयपुर पहुंचे थे।
उन्होंने अशोक गहलोत और सचिन पायलट के हाथ खड़े करवा कर यह संदेश देने की कोशिश की थी कि राजस्थान कांग्रेस में अब डैमेज कंट्रोल कर लिया गया है।
लेकिन सवाल यह है कि डैमेज कंट्रोल की बात सिर्फ मीडिया के सामने तक ही सीमित है या पर्दे के पीछे भी अशोक गहलोत और सचिन पायलट के दिल मिले हैं।
केसी वेणुगोपाल ने कहा था कि अब बयानबाजी करने वाले नेताओं और यहां तक कि मंत्रियों को खिलाफ भी सख्त कार्रवाई होगी। कांग्रेस इससे पहले भी कार्रवाई की बात कह चुकी है लेकिन कोई कार्रवाई होती नहीं दिखी। अशोक गहलोत और सचिन पायलट के समर्थकों ने भारत जोड़ो यात्रा के रास्ते को पोस्टरों से पाट दिया है।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने इंदौर में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कहा था कि अशोक गहलोत और सचिन पायलट दोनों ही कांग्रेस के लिए एसेट हैं।
गद्दारी वाला बयान
बताना होगा कि अशोक गहलोत और सचिन पायलट के खेमों के बीच पिछले ढाई साल से सियासी अदावत चल रही है। कुछ दिन पहले गहलोत के सचिन पायलट के द्वारा साल 2020 में की गई बगावत को गद्दारी का नाम दिए जाने के बाद यह अदावत फिर तेज हो गई है।
साल 2020 में जब सचिन पायलट ने अपने समर्थक विधायकों के साथ गहलोत सरकार से बगावत की थी तो उसके बाद भी किसी तरह की बड़ी कार्रवाई सचिन पायलट या उनके समर्थक बागी विधायकों के खिलाफ नहीं की गई। हालांकि सचिन पायलट को उपमुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष जैसे बड़े पदों से हाथ धोना पड़ा था।
लेकिन बगावत के बाद भी कांग्रेस हाईकमान ने पायलट के समर्थक 5 विधायकों को गहलोत सरकार में मंत्री बनवाया था।
गहलोत ने कहा था कि पायलट के पास 10 विधायक भी नहीं हैं और उन्हें किसी भी सूरत में मुख्यमंत्री नहीं बनाया जा सकता। दूसरी ओर सचिन पायलट के समर्थक विधायक और मंत्री इस इंतजार में हैं कि कब उनके नेता को मुख्यमंत्री की कुर्सी मिलेगी।
भारत जोड़ो यात्रा में सचिन पायलट और अशोक गहलोत राहुल गांधी के साथ मिलकर चलें भी तो क्या भारत जोड़ो यात्रा के राजस्थान से निकलने के बाद भी पायलट और गहलोत खेमे एकजुट रहेंगे और वह पहले की तरह आमने-सामने आकर एक दूसरे के खिलाफ बयानबाजी नहीं करेंगे, इसकी गारंटी कांग्रेस नेतृत्व नहीं दे सकता क्योंकि पिछले ढाई साल से यह लड़ाई जोर-शोर से जारी है।
इतना तय है कि अगर गहलोत व पायलट खेमों के बीच यह लड़ाई बंद नहीं हुई तो 2023 का विधानसभा चुनाव जीतना कांग्रेस के लिए बहुत मुश्किल हो जाएगा। कांग्रेस को अगर राजस्थान का चुनाव जीतना है तो उसे इस लड़ाई को खत्म करना ही होगा। देखना होगा कि क्या भारत जोड़ो यात्रा से राजस्थान में यह लड़ाई खत्म होगी।