गोरक्षकों के कारण अलवर में बीजेपी ने खाई मात

05:45 pm Mar 28, 2020 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

गोरक्षा के नाम पर हुई मॉब लिंचिंग के कारण चर्चा में आए अलवर ज़िले में इस बार विधानसभा चुनाव में बीजेपी को अच्छा-खासा नुक़सान हुआ है। पार्टी को यहाँ 2013 में 9  सीटें मिली थी लेकिन इस बार यह संख्या 2 पर आकर रुक गई। अलवर ज़िले में पिछले साल गोरक्षा के नाम पर मेवात के रहने वाले पहलू ख़ान और इस साल रक़बर ख़ान की हत्या कर दी गई थी।अलवर ज़िले में बीजेपी इस बार सिर्फ़ अलवर (शहर) और मुंडावर सीट को बचा पाई जबकि तिजारा, किशनगढ़ बास, बहरोर, बांसुर, थंगाजी, अलवर(ग्रामीण), काठुमार और राजगढ़-लक्ष्मणगढ़ सीटों पर उसे हार का सामना करना पड़ा।अलवर हरियाणा की सीमा से लगता हुआ ज़िला है और यहाँ बड़ी संख्या में दूध का काम करने वाले किसान रहते हैं। एक किसान ने बताया कि गोरक्षकों के डर के कारण गायों को लाना बहुत कठिन हो गया है और इससे हमारा जीवन प्रभावित हो रहा है।खेतों में आवारा जानवरों के घुस जाने के कारण भी यहाँ के किसान बहुत परेशान हैं। स्थानीय किसानों का कहना है कि उन्हें रात को टॉर्च और डंडा लेकर पहरा देना पड़ता है कि कहीं कोई जानवर खेतों में न घुस जाए। किसानों का कहना है कि बीजेपी ने उनकी समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं दिया।

बीजेपी के ख़िलाफ़ दिया वोट

मेवात के इलाक़े में दलित, जनजाति और मुसलिम वोट काफ़ी संख्या में हैं और इन्होंने बीजेपी के ख़िलाफ़ वोट दिया है। इसे कुछ सीटों के चुनाव परिणाम से समझ सकते हैं। जैसे, तिजारा में बीएसपी उम्मीदवार संदीप कुमार यादव ने यादव और बीजेपी के दलित वोटों में सेंध लगाई और बीजेपी को नुक़सान पहुँचाया। किशनगढ़ बास में बीएसपी के दीपचंद ने गुर्जर और जाट वोट लेकर बीजेपी उम्मीदवार को हराने में अहम भूमिका निभाई।

भरतपुर में नहीं मिली कोई सीट

भरतपुर में बीजेपी को काफ़ी नुक़सान हुआ। यहाँ बीजेपी ने 2013 में 6 में से 5 सीटें जीती थीं लेकिन इस बार उसे एक भी सीट नहीं मिली। यहाँ नदबई और नागर सीटों पर एससी और एसटी वोट बीएसपी उम्मीदवार को मिले। नागर सीट पर बीएसपी के उम्मीदवार वाज़िब अली ने मुस्लिम, जाट और दलित वोट बटोरे और बीजेपी को तीसरे नंबर पर धकेल दिया।