राजस्थान का सियासी संकट अब निर्णायक मोड़ पर पहुँच गया है। हालांकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत शुरू से ही पार्टी के बहुमत विधायकों के अपने साथ होने का दावा करते रहे हैं, पर समझा जाता है कि उन्होंने अब इसे औपचारिक रूप से साबित करने का फ़ैसला कर लिया है। यह मुमकिन है कि वह अगले हफ़्ते विधानसभा सत्र बुलाने का आग्रह स्पीकर से करें और विधानसभा के पटल पर अपना बहुमत साबित करने की पेशकश करें।
सचिन पायलट के नेतृत्व में उनके ही दल के विधायकों ने गहलोत के ख़िलाफ़ बग़ावत कर दी, दिल्ली पहुँच गए, विधायक दल की बैठक में शिरकत नहीं की। कांग्रेस पार्टी ने उन्हें 'कारण बताओ' नोटिस दिया और स्पीकर से शिकायत कर दी।
स्पीकर ने 19 कांग्रेस विधायकों को नोटिस दिया तो ये सभी विधायक अदालत चले गए। सचिन पायलट को उप मुख्यमंत्री पद से हटा दिया गया है। बाग़ी विधायक एक होटल में टिके हुए हैं और अगली रणनीति का खाका बनाने में जुटे हुए हैं।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार को राज्यपाल कलराज मिश्रा से मुलाक़ात की। हालांकि इसे शिष्टाचार मुलाक़ात कहा जा रहा है, पर समझा जाता है कि उन्होंने राज्यपाल को संकेत दिया है कि वह अगले हफ़्ते विधानसभा का सत्र बुलाना चाहते हैं।
मुख्यमंत्री का दावा है कि उनके साथ 109 विधायक हैं। दूसरी ओर, बाग़ी विधायकों का कहना है कि वे पायलट के साथ हैं और ज़रूरत पड़ने पर सरकार का साथ छोड़ बाहर निकलने को तैयार हैं।
बीटीपी विधायकों का समर्थन
शनिवार को ही हुए एक अहम राजनीतिक घटनाक्रम में भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) के दो विधायकों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को समर्थन देने का एलान किया था। बीटीपी की ओर से कुछ ही दिन पहले व्हिप जारी कर कहा गया था कि पार्टी के दोनों विधायक तटस्थ रहेंगे और किसी को भी वोट नहीं देंगे।बीटीपी के विधायक राजकुमार रोत और रामप्रसाद कांग्रेस के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के साथ प्रेस कॉन्फ़्रेन्स में पहुँचे थे। दोनों विधायकों ने कहा कि उनकी पार्टी के अध्यक्ष और अन्य नेता गहलोत सरकार के पक्ष में समर्थन जारी रखने के लिए राजी हैं। उन्होंने कहा कि इसके लिए उन्होंने राज्य के विकास की शर्त रखी है।