गहलोत कैबिनेट में पायलट के 5 वफादारों को मिलेगी जगह; नाराज़गी दूर?

04:09 pm Nov 21, 2021 | सत्य ब्यूरो

राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल में पहली बार आज फ़ेरबदल होने जा रहा है। गहलोत की नई कैबिनेट में 30 मंत्रियों में सचिन पायलट के पांच वफादार लोग शामिल होंगे। यह शनिवार रात खुलासा हुआ। फ़ेरबदल में मंत्रिमंडल में 15 नए मंत्री शामिल होंगे। इसमें 12 नये चेहरे होंगे जबकि तीन राज्य मंत्रियों को पदोन्नत कर कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया जाएगा। 

2018 में गहलोत के कार्यभार संभालने और तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के नेतृत्व में विद्रोह के क़रीब 16 महीने बाद गहलोत मंत्रिमंडल में यह पहली बार फेरबदल होगा। मंत्रियों को रविवार दोपहर 2 बजे प्रदेश कांग्रेस कमेटी कार्यालय बुलाया गया है, जहां से वे शपथ ग्रहण समारोह के लिए राजभवन जाएंगे।

नये मंत्रिमंडल में पायलट के वफादार रमेश मीणा और विश्वेंद्र सिंह की मंत्रालय में वापसी होगी, जबकि बृजेंद्र सिंह ओला, हेमाराम चौधरी और मुरारीलाल मीणा नये चेहरे होंगे। मुरारीलाल मीणा को राज्य मंत्री के रूप में शामिल किया जाएगा जबकि अन्य तीन कैबिनेट मंत्री होंगे। बताया जाता है कि इस प्रस्तावित नये फ़ेरबदल से पायलट संतुष्ट हैं।

बता दें कि राजस्थान में 2018 में पार्टी को सत्ता तक पहुँचाने में सचिन पायलट की अहम भूमिका मानी जाती है। इसी कारण उन्हें 2018 की जीत के बाद मुख्यमंत्री पद का दावेदार माना गया था। लेकिन राहुल गांधी ने उन्हें उप मुख्यमंत्री के लिए राजी कर लिया था। बाद में पायलट और गहलोत के बीच संघर्ष हो गया था और पिछले साल पायलट ने 18 विधायकों के साथ विद्रोह कर दिया था। तब बड़ी मुश्किल से उन्हें मनाया गया था।

अब इस फेरबदल में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदायों को भी संदेश देने का प्रयास किया जा रहा है। तीनों राज्य मंत्री- टी भजनलाल जाथव, ममता भूपेश और टीकाराम जूली- जिन्हें पदोन्नत किया जा रहा है वे अनुसूचित जाति समुदायों से हैं। अनुसूचित जनजाति समुदाय के तीन मंत्री होंगे। इसमें पूर्व सांसद गोविंद राम मेघवाल और रमेश मीणा कैबिनेट मंत्री और मुरारीलाल मीणा शामिल हैं।

समझा जाता है कि यह फेरबदल पार्टी में चल रही हलचल को शांत कराने के लिए किया जा रहा है। ऐसा इसलिए कि राज्य में चुनाव अभी भी 2 साल दूर है यानी इसका मक़सद तात्कालिक चुनावी लाभ लेना भी शायद नहीं है।

बता दें कि बीते दिनों दोनों गुटों के बीच समझौते का एक फ़ॉर्मूला यह निकाला गया था कि सचिन पायलट के कुछ विश्वस्तों को मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया जाए और कुछ दूसरे विधायकों को अलग-अलग बोर्ड वगैरह सरकारी निकायों में लगा दिया जाए। इससे मुख्यमंत्री भी खुश रहेंगे और असंतुष्टों की शिकायत भी दूर हो जाएगी। अब कुछ वैसा ही होता दिख भी रहा है।

गहलोत सरकार को 13 निर्दलीय विधायकों का समर्थन मिलने के बावजूद कांग्रेस नेतृत्व ने किसी को भी मंत्रिमंडल में शामिल नहीं करने का फ़ैसला किया है। कांग्रेस में शामिल होने वाले बसपा के एक विधायक राजेंद्रसिंह गुढ़ा को राज्य मंत्री के रूप में परिषद में जगह मिलेगी।

बता दें कि बीजेपी से एक सीट छीनकर और हाल के उपचुनावों में एक सीट को बरकरार रखते हुए कांग्रेस ने अपने विधायकों की संख्या 102 पहुँचा दी है। 200 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के पास अपने दम पर बहुमत का आँकड़ा है। 

इससे पहले मुख्यमंत्री आवास पर बुलाई गई मंत्रिपरिषद की बैठक में सभी मंत्रियों ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को अपना इस्तीफा सौंपा था। बैठक में राजस्थान के एआईसीसी प्रभारी अजय माकन भी शामिल हुए थे। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने फेरबदल का प्रस्ताव रखा था।