राजस्थान संकटः सोनिया गांधी ने पर्यवेक्षकों से लिखित रिपोर्ट मांगी
राजस्थान में चल रहे संकट की रिपोर्ट लेकर कांग्रेस पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खड़गे और इंचार्ज अजय माकन सोनिया गांधी से मिलने उनके आवास पर पहुंच गए हैं। सोनिया गांधी के बुलावे पर कमलनाथ भी पहुंचे हैं। खड़गे और माकन ने सारा घटनाक्रम जुबानी बताया। सोनिया गांधी ने दोनों से लिखित रिपोर्ट मांगी है। ये रिपोर्ट सोमवार देर रात या मंगलवार सुबह दी जाएगी। इस बीच गहलोत ने मल्लिकार्जुन खड़गे से माफी मांगी है। उन्होंने खड़गे से कहा है कि मेरा असंतुष्ट विधायकों से कोई मतलब नहीं है।
#RajasthanPoliticalCrisis | Mallikarjun Kharge & I briefed, in detail, the Congress chief about our meetings in Rajasthan. She asked us for a written report. We'll give it to her by tonight or tomorrow: AICC Observer Ajay Maken, after meeting Congress interim chief Sonia Gandhi pic.twitter.com/3SepW92C1P
— ANI (@ANI) September 26, 2022
बैठक करीब दो घंटे चली। उसके बाद अजय माकन ने मीडिया को संबोधित किया। माकन ने कहा कि राजस्थान के विधायकों ने सामूहिक बैठक की मांग की थी, जबकि हम लोग हर विधायक की राय अकेले में जानना चाहते थे। लेकिन कुछ विधायकों ने इसे स्वीकार नहीं किया। विधायकों की सबसे बड़ी शर्त यह रखी थी कि गहलोत खेमे से ही राजस्थान का नया सीएम बने। माकन ने कहा कि ये सारी जानकारी कांग्रेस अध्यक्ष को दी गई है। लेकिन उन्होंने सारे तथ्य लिखित रूप से मांगे हैं। इस बीच गहलोत खेमे के कुछ विधायकों के बयान आना शुरू हो गए हैं, जिनमें वो कह रहे हैं कि आलाकमान का जो फैसला होगा, उन्हें मंजूर होगा।
मल्लिकार्जुन खड़गे और माकन करीब चार बजे शाम को जयपुर से दिल्ली पहुंचे और सीधे सोनिया गांधी के निवास पर पहुंचे। इस समाचार के लिखे जाने तक उनकी मंत्रणा सोनिया गांधी से चल रही थी। इस संबंध में सोनिया को पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की ओर से यही सलाह दी गई है कि अब गहलोत पर दांव नहीं लगाया जाए। तमाम मीडिया रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि अध्यक्ष पद की रेस में मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह, मुकुल वासनिक के नाम सबसे आगे हैं। इसमें मुकुल वासनिक पर सबसे ज्यादा दांव गांधी परिवार लगा सकता है। हालांकि मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम भी तीसरे नंबर पर है। हालांकि मजाक के तौर पर एआईसीसी दफ्तर के इंचार्ज केसी वेणु गोपाल का नाम भी चल रहा है। शशि थरूर पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि वो कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ेंगे। वो 30 सितंबर को नामांकन दाखिल करने वाले हैं। कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव 17 अक्टूबर को प्रस्तावित है।
अभी जो हालात हैं, उससे नहीं लग रहा है कि राजस्थान का संकट आज या कल में खत्म हो जाएगा। राजस्थान में गहलोत को बनाए रखना अब कांग्रेस अध्यक्ष मजबूरी बन गया है। लेकिन देर सवेर गहलोत को इसके नतीजे तो भुगतने ही होंगे। इस बीच राजस्थान में कांग्रेस विधायक गंगा देवी का बयान सामने आया है। उन्होंने कैमरे के सामने आकर कहा कि मुझे कोई जानकारी नहीं थी, मैं वहां देर से पहुंची थी। मैंने चिट्ठी नहीं पढ़ी थी, मैंने कोई इस्तीफा नहीं दिया। आलाकमान जो फैसला करेंगे हम उसके साथ हैं। पर्यवेक्षक से हमारी मिलने की बात थी लेकिन हम नहीं जा सके। उनके बयान का वीडियो नीचे है। इसी तरह का बयान गहलोत समर्थक इंदिरा मीणा का भी आया है। गहलोत समर्थक कुछ अन्य विधायकों ने संकेत दिया है कि वे भी आलाकमान के फैसले को स्वीकार करेंगे।
#WATCH चिट्ठी के विषय में मुझे कोई जानकारी नहीं है मैं वहां देर से पहुंची थी। मैंने चिट्ठी नहीं पढ़ी थी, मैंने इस्तीफा नहीं दिया, आलाकमान जो फैसला करेंगे हम उसके साथ हैं। पर्यवेक्षक से हमारी मिलने की बात थी लेकिन हम नहीं जा सके: गंगा देवी, कांग्रेस MLA#RajasthanPoliticalCrisis pic.twitter.com/3aWr88pRHl
— ANI_HindiNews (@AHindinews) September 26, 2022
बहरहाल, राजस्थान को लेकर कांग्रेस का संकट गहराता जा रहा है। कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से कहा है कि वो अशोक गहलोत को अब कांग्रेस अध्यक्ष पद की दौड़ से हटा लें। यह खबर एएनआई ने सीडब्ल्यूसी सदस्यों के हवाले से दी है, लेकिन एएनआई ने उन सदस्यों के नाम नहीं बताए कि किन लोगों ने सोनिया से यह मांग रखी है। सीडब्ल्यूसी के इन सदस्यों ने सोनिया से कहा है कि बेहतर होगा कि गहलोत की जगह अब किसी और को इस पद के लिए लाया जाए।
सीडब्ल्यूसी के कुछ सदस्यों ने सोनिया गांधी से कहा कि राजस्थान में गहलोत समर्थक विधायकों की अपने नेता के पक्ष में की गई बगावत पर ऐतराज किया। उन लोगों ने सोनिया से कहा कि अब अशोक गहलोत पर विश्वास करना और अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी देना मुश्किल होगा। बेहतर होगा कि पार्टी आलाकमान अब किसी और नाम पर विचार करे। आलाकमान को अब ऐसा प्रत्याशी चुनना पड़ेगा जो बहुत वरिष्ठ हो और गांधी परिवार का भी वफादार हो।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने राजस्थान संकट को हल करने के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे और पार्टी के राजस्थान इंचार्ज अजय माकन को रविवार को जयपुर भेजा था। वहां रविवार शाम को विधायक दल की बैठक बुलाई गई थी। लेकिन उससे पहले गहलोत और सचिन पायलट समर्थक विधायकों में बयानबाजी शुरू कर दी। गहलोत समर्थक विधायकों ने कथित तौर पर इस्तीफे दे दिया। विधायक दल की बैठक नहीं हो सकी। मल्लिकार्जुन खड़गे से गहलोत समर्थक विधायक मिलने नहीं पहुंचे। गहलोत ने सोमवार 26 सितंबर को मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात की। अजय माकन ने इस सारे मामले में विधायकों को अनुशासनहीन करार दिया है।
राजस्थान का संकट बढ़ाने में गहलोत खेमे का ज्यादा बड़ा हाथ है। रविवार शाम 7 बजे कांग्रेस विधायक दल की बैठक गहलोत के आवास पर तय थी। उसमें मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन को मौजूद रहना था। पायलट समर्थक विधायक इस बैठक में पहुंचे। लेकिन गहलोत समर्थक विधायक शांति धारीवाल ने गहलोत गुट के विधायकों की अलग से बैठक बुलाई। कांग्रेस आलाकमान के खिलाफ भाषणबाजी हुई और उसके बाद करीब 90 विधायकों ने विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी को जाकर इस्तीफा सौंप दिया।
कांग्रेस नेतृत्व यह चाह रहा था कि विधायक दल की बैठक में सारे विधायक अपनी राय रखते और उस राय के बाद फैसला कांग्रेस आलाकमान सोनिया गांधी पर छोड़ दिया जाता। बाद में कांग्रेस अध्यक्ष जिसे राजस्थान के सीएम की कमान सौंपतीं वो मुख्यमंत्री बन जाता। कांग्रेस में अभी तक ऐसी ही प्रक्रिया का पालन होता रहा है। लेकिन इस बार कांग्रेस आलाकमान से यह चूक हो गई कि वो गहलोत से बात करके उन्हें पहले इसके लिए तैयार नहीं कर पाया। कहा जा रहा है कि सचिन पायलट दरअसल प्रियंका गांधी की पसंद हैं, इसलिए पार्टी भी इसी नाम पर राजी थी। लेकिन कांग्रेस आलाकमान गहलोत के इरादे नहीं भांप सकी। गहलोत अपने वफादार को जयपुर में सीएम की कुर्सी पर बैठाना चाहती है।